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Gorakhpur News: हजारों छात्रों के भविष्य से खेलने वाले अभिषेक यादव पर दर्ज 14 मुकदमों में एक ही दिन में एफआर, नपेंगे 25 दरोगा!
Gorakhpur News: आठ साल पहले इन विवेचकों ने अभिषेक यादव पर दर्ज 14 केस में एक ही दिन में एफआर लगाकर इस बात को बल दिया था कि उनके कालेज की मान्यता फर्जी नहीं है।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राज नर्सिग एंड पैरा मेडिकल कालेज के संचालक अभिषेक यादव और उसके गैंग द्वारा हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ का मामला शासन के संज्ञान में आने के बाद एक ही दिन में 14 मुकदमों में एफआर लगाने वाले पुलिस वालों को मुसीबत बढ़ गई है। शासन के निर्देश पर इनपर कार्रवाई की तैयारी है।
संचालक अभिषेक यादव को क्लीनचिट देने वाले 25 दरोगा भी फंस गए हैं। शासन ने निर्देश पर न सिर्फ उनकी फाइल खुल गई है बल्कि जांच के बाद बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है। आठ साल पहले इन विवेचकों ने अभिषेक यादव पर दर्ज 14 केस में एक ही दिन में एफआर लगाकर इस बात को बल दिया था कि उनके कालेज की मान्यता फर्जी नहीं है। नतीजा उसके बाद सैकड़ों और छात्रों ने दाखिला लिया और उनके साथ भी जालसाजी हो गई।
दरअसल, 2022 में जब इस मामले की सच्चाई सामने आई तब न सिर्फ कॉलेज संचालक अभिषेक यादव पर नया केस दर्ज किया गया बल्कि पुराने 14 केस में पुनर्विवेचना कराकर तत्कालीन एसएसपी विपिन टाडा ने चार्जशीट दाखिल कराई थी। लेकिन तब फर्जीवाड़े में साथ देने वाले यह सभी दरोगा बच गए थे। शासन ने जब उन दारोगा पर कार्रवाई के बारे में पूछा तो हड़कम्प मच गया। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने मामले की जांच एसपी नार्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव को सौंपी। वहीं उस समय एफआर लगाने वाले दरोगा की तलाश शुरू हो गई है। एफआर लगाने से पहले भी विवेचना में शामिल रहे सभी दरोगा का बयान दर्ज करने के साथ जांच शुरू हो गई है। बता दें कि छात्रों ने मार्च 2022 में तत्कालीन एसएसपी डॉ. विपिन ताडा को डॉक्टर अभिषेक यादव के खिलाफ दर्ज पुराने केस और उसमें लगे एफआर की जानकारी दी। जांच में पाया गया कि सभी मामलों में गलत तरीके से एफआर लगाई गई थी। एसएसपी के आदेश पर सभी मामलों की फिर से जांच कर 2022 में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। अभिषेक यादव मार्च 2022 में फर्जी लेटर हेड के इस्तेमाल से दाखिले के बाद चर्चा में आया था। एसपी नार्थ जितेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि डॉक्टर अभिषेक यादव पर 2015 में दर्ज जालसाजी के 14 केस में एफआर लगाई गई थी। जांच के बाद सभी केस में चार्जशीट लगाई गई लेकिन एफआर लगाने वाले दरोगाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इसी मामले की जांच कर उन सभी विवेचकों पर, जिन्होंने एफआर लगाई थी, कार्रवाई की जाएगी।
दो साल पहले खुला था मामला
राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज, जंगल अहमद अली शाह तुरा बाजार के संचालक डॉक्टर अभिषेक यादव के खिलाफ 17 मार्च को पिपराइच थाने में केस दर्ज कराया गया था। तहरीर में लिखा था कि कॉलेज ने वर्ष 2018-19 से 2021-22 में छात्रों से एएनएम, जीएनएम, बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए मनमाना शुल्क वसूला है। चार वर्षों में कॉलेज के किसी भी छात्र को डिग्री नहीं दी गई है। सीएमओ ने जांच कराई तो कॉलेज की मान्यता फर्जी मिली। राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज में कूटरचित दस्तावेज तैयार करके निर्धारित से ज्यादा सीटों पर दाखिले का खेल शैक्षिक सत्र 2014-15 से चल रहा था। अतिरिक्त सीट पर दाखिले की वजह से तमाम छात्र परीक्षा से वंचित हो गए थे। पीड़ित छात्रों ने अलग-अलग तहरीर देकर कोतवाली थाने में जनवरी से अप्रैल 2015 के बीच 14 केस दर्ज कराए थे। सभी केस में 23 मई 2016 को एफआर लगा कर अभिषेक यादव को बड़ी राहत दे दी गई थी। इस बीच 10 जनवरी 2022 को एक बार फिर कूटरचित दस्तावेज पर दाखिले का मामला सामने आया। शासन स्तर से मिली तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने एक और केस दर्ज कर लिया, लेकिन, अभिषेक गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। बाद में छात्रों ने धरना-प्रदर्शन किया। इसी का नतीजा रहा कि तहसीलदार सदर ने 17 मार्च 2022 को पिपराइच थाने में एक और मुकदमा दर्ज कराया। बाद में लखनऊ पुलिस ने भी जालसाजी का केस दर्ज किया। साथ ही 15 अप्रैल को डॉक्टर अभिषेक यादव को उसके घर से गिरफ्तार करके जेल भिजवा दिया था।
गोरखपुर से लेकर बस्ती तक है अभिषेक का नेटवर्क
डॉ. अभिषेक यादव की करीब 100 करोड़ की संपत्ति को नवम्बर 2022 में प्रशासन ने जब्त किया था। डॉ. अभिषेक यादव ने शासन से मान्यता मिलने की गलत जानकारी देकर नर्सिंग कालेज में छात्र-छात्राओं का प्रवेश लिया था। शिकायत पर शासन के संयुक्त सचिव अनिल कुमार सिंह ने आठ जनवरी 2022 को कोतवाली थाने में राज नर्सिंग कॉलेज के संचालक पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज कराया था। कोतवाली पुलिस की जांच में दुर्गाबाडी निवासी डॉ. अभिषेक यादव, उसकी पत्नी डॉ. मनीषा यादव, शाहपुर के बशारतपुर में रहने वाली बहन डॉ. पूनम यादव, साथी शक्तिनगर निवासी डॉ. सी प्रसाद उर्फ चौथी, बस्ती जिले के लालगंज,खोरिया निवासी शोभितानंद यादव, गुलरिहा थानाक्षेत्र के करमहा निवासी श्यामनरायण मौर्य व मोगलहा निवासी विशाल त्रिपाठी का एक गैंग सामने आया। यह सभी मिलकर 2015 से यह गिरोह चला रहे थे। 16 सितंबर को सभी आरोपितों के खिलाफ कोतवाली थाने में गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था।