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Gorakhpur News: ब्रह्मांड पुराण से मिलेगी अच्छी सरकार, 12000 श्लोक के साथ गीता प्रेस प्रकाशित करेगा यह पुराण
Gorakhpur News: गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि ब्रह्मांड पुराण का संकलन करके बनारस संपादकीय विभाग को भेजा गया है।
Gorakhpur News: धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ कहे जाने वाले गीता प्रेस पहली बार ब्रह्मांड पुराण की पूरी श्रृंखला प्रकाशित करने की तैयारी है। गीता प्रेस अभी तक 16 पुराण प्रकाशित कर चुका है। ब्रह्मांड पुराण के प्रकाश के साथ 18 पुराण की श्रृंखला पूरी हो जाएगी। ब्रह्मांड पुराण को 12 हजार श्लोक के हिंदी टीका के साथ इसे बड़े ग्रंथाकार के रूप में छापने की योजना है। हिन्दी अनुवाद का कार्य तकरीबन 80 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है। इसके प्रकाशन के साथ ही गीता प्रेस की सभी 18 पुराणों की शृंखला पूरी हो जाएगी।
ब्रह्मांड पुराण की पांडुलिपियां विश्वकोश हैं, जो ब्रह्मांड विज्ञान, संस्कार, वंशावली, नैतिकता और कर्तव्य (धर्म) पर अध्याय , योग, भूगोल, नदियां, अच्छी सरकार, प्रशासन, कूटनीति, व्यापार, त्योहार, कश्मीर, कटक, कांचीपुरम जैसे स्थानों के लिए एक यात्रा गाइड और अन्य महत्वपूर्ण विषयों को समेटे हुए है। बता दें कि गीता प्रेस से फिलहाल 16 पुराणों का नियमित प्रकाशन हो रहा है। भविष्य पुराण 2020 में आखिरी बार प्रकाशित हुआ। कुछ तथ्यों पर आपत्ति आने से प्रबंधन ने इसके प्रकाशन पर रोक लगा दिया है। अब पुराणों की शृंखला पूरी करने के लिए ब्रह्मांड पुराण के प्रकाशन की कवायद तेज कर दी गई है। ब्रह्मांड पुराण को कल्याण के विशेषांक के रूप में नहीं, बल्कि बड़े ग्रंथ के रूप में अलग से प्रकाशित किया जाएगा।
गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली पत्रिका कल्याण के विशेषांक के रूप में कई पुराणों व विशेष ग्रंथों का प्रकाशन हुआ है। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि ब्रह्मांड पुराण का संकलन करके बनारस संपादकीय विभाग को भेजा गया है। हिंदी अनुवाद होने के बाद छपाई का कार्य शुरू होगा। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित 18 पुराणों की शृंखला में यह अंतिम है। गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका विद्वान मंडली द्वारा ब्रह्मांड महापुराण का हिंदी अनुवाद किया जा रहा है। पुराणों के अवलोकन और संपादन में अधिक समय लगता है। एक वर्ष में इसके संपादन का कार्य पूरा हो जाएगा।
कल्याण के विशेषांक में प्रकाशित हो चुके हैं कई पुराण
गीता प्रेस प्रबंधन ने बताया कि कुल 18 पुराण हैं। इनमें विष्णु महापुराण, पद्म महापुराण, ब्रह्म महापुराण, शिव महापुराण, श्रीमद्भागवत महापुराण, नारद पुराण, मार्कंडेय पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिंग पुराण, वराह पुराण, स्कंद पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्मांड पुराण और भविष्य पुराण शामिल हैं। शिव महापुराण और भविष्य पुराण को भी कल्याण विशेषांक के रूप में ही पहली बार प्रकाशित किया गया था। श्रीमद्भागवत महापुराण को भी कल्याण के विशेषांक भगवतांक के रूप में प्रकाशित किया गया। जिसका अब भागवत महापुराण ग्रंथ के रूप में प्रकाशन हो रहा है।