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Gorakhpur News: कारोबारियों की नजर में फ्लाप रहा गीडा ट्रेड शो, इन खामियों से हुई किरकिरी
Gorakhpur News: गीडा ट्रेड शो में कुल 250 स्टाल लगे थे, लेकिन करीब 150 स्टॉल ऐसे थे, जहां से सामान की बिक्री भी हुई। पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्मानित हो चुके मुरादाबाद के पीतल कारीगर अकरम हुसैन पूरी व्यवस्था से नाराज है।
Gorakhpur News: चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज, लघु उद्योग भारती से लेकर गीडा प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा था कि 30 नवम्बर से शुरू हुआ गीडा का 34वां स्थापना दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा। नोएडा की तर्ज पर गीडा में भी ट्रेड शो होगा। जिसमें नेपाल, सीमावर्ती बिहार से लेकर पूर्वांचल की करीब 5 करोड़ आबादी के लिए गीडा नोएडा की तरफ फायदेमंद होगा। अब जब चार दिवसीय गीडा ट्रेड शो समाप्त हो गया है, तो उद्यमियों से लेकर बाहर से आए कारोबारी इसकी समीक्षा कर रहे हैं। कुल मिलाकर गीडा ट्रेड शो फ्लाप की साबित हुआ। टॉयलेट, ठहरने की व्यवस्था से लेकर लोगों की आमद नहीं होने से पूरे आयोजन पर सवाल उठ रहे हैं।
गीडा ट्रेड शो में कुल 250 स्टाल लगे थे, लेकिन करीब 150 स्टॉल ऐसे थे, जहां से सामान की बिक्री भी हुई। पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्मानित हो चुके मुरादाबाद के पीतल कारीगर अकरम हुसैन पूरी व्यवस्था से नाराज है। उनका कहना है, ट्रेड शो में उम्मीद का 20 फीसदी भी रिस्पांस नहीं मिला। पहले ही दिन स्टाल से कुछ सामान चोरी हो गए। कोई शिकायत सुनने वाला नहीं है। पानी से लेकर टॉयलेट के लिए परेशान होना पड़ा। वह कहते हैं कि मेरे स्टॉल पर 2.5 लाख रुपये कीमत का प्लेट आकर्षण का केन्द्र रहा। प्लेट पर 56 हाथियों की आकृति बनी थी। लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला।
डैक फर्नीचर के एमडी डॉ.आरिफ साबिर आयोजन को सफल बताते हैं। उनका कहना है कि फर्म के लिए आठ स्टाल लिए थे। ट्रेड शो गीडा के उत्पादों का शो केस है। यहां बिक्री से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बाहर से आए उद्यमी, कारोबारी यह जान रहे हैं कि यहां कौन-कौन से उत्पाद बन रहे हैं।
ऊषा फोम के स्टॉल पर भी चार दिनों में एक लाख की बिक्री हुई। इसी तरह आगरा, कानपुर से लेदर प्रोडक्ट लेकर आए कारोबारी निराश ही दिखे। एक कारोबारी का कहना है कि चार दिनों में स्टाल और कर्मचारियों का खर्च मिलाकर करीब एक लाख खर्च हो गए। बिक्री 30 हजार रुपये की भी नहीं हुई। एक बड़े कारोबारी ने बताया कि गीडा सीईओ ने बैठकों में गोरखपुर शहर से गीडा तक हर पांच मिनट पर बस चलाने का दावा किया था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
गीडा सीईओ का फरमान भी कारगर नहीं
ट्रेड शो में बिक्री को लेकर गीडा सीईओ अनुज मलिक भी फिक्रमंद दिखीं। उन्होंने खुद को कई हजार के सामान खरीदे ही, मातहतों को आदेश भी दिया था कि वे कम से 7 से 10 हजार रुपये के सामान की खरीदारी करें। तीन दिनों तक वह स्टॉलों पर जाती रहीं। मेरठ से अचार के प्रोडक्ट लेकर आए एक कारोबारी ने बताया कि टॉयलेट की व्यवस्था बेहद खराब थी। पानी तक नहीं मिल रहा था।
खामियों को दूर कराएंगे
लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि बाहर से आए उद्यमियों और कारोबारियों के लिए गीडा प्रशासन को अच्छी व्यवस्था की जानी चाहिए थी। जो खामियां स्टॉल लगाने वालों ने बताई हैं, समीक्षा बैठक में अधिकारियों के समक्ष रखेंगे।