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Gorakhpur News: संतान सुख से परेशान पूर्वांचल की युवतियां पहुंच रहीं एम्स, नहीं बन रहा एक्स क्रोमोसोम

Gorakhpur News: पूर्वांचल में कम उम्र की विवाहितों में संतान सुख में एक्स क्रोमोसोम बाधा बन रहा है। गोरखपुर एम्स में कुछ ऐसी महिलाएं पहुंची हैं जिनमें एक्स क्रोमोसोम नहीं बन रहा है।

Purnima Srivastava
Published on: 31 Jan 2025 9:21 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Photo Social Media)

Gorakhpur News: पूर्वांचल में कम उम्र की विवाहितों में संतान सुख में एक्स क्रोमोसोम बाधा बन रहा है। गोरखपुर एम्स में कुछ ऐसी महिलाएं पहुंची हैं जिनमें एक्स क्रोमोसोम नहीं बन रहा है। जिससे उन्हें बांझपन का खतरा है। शुरुआती जांच में इन युवतियों के अंडाशय में एक ही एक्स क्रोमोसोम मिले हैं, जो टर्नर सिंड्रोम का लक्षण है।

टर्नर सिंड्रोम तो नहीं

ऐसी युवतियों में शारीरिक संरचना के अनुसार इनका विकास नहीं हो रहा है। एम्स की ओपीडी में आने वाली इन युवतियों की उम्र 14 से लेकर 24 साल के बीच है। एम्स ने ऐसे मरीजों का डाटा इकट्ठा करना शुरू कर दिया है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि उनके मां और पिता में से किससे बीमारी मिली है। टर्नर सिंड्रोम की वजह से युवतियों में कई अन्य तरह की दिक्कतें देखने को मिली हैं। इनमें हृदय रोग और उच्च रक्तचाप का खतरा, सुनने की क्षमता में कमी और किडनी में दिक्कतें मिली हैं। ऐसे मरीजों का समय से अगर इलाज शुरू हो जाए तो काफी हद तक इस बीमारी से निजात मिल सकती है। इलाज में देरी से खतरा ज्यादा है। डॉक्टर का कहना है कि टर्नर सिंड्रोम का पहला कारण मोनोसोमी हो सकता है। इसमें एक्स गुणसूत्र की पूर्ण अनुपस्थिति आम तौर पर पिता के शुक्राणु या माता के अंडाशय में गड़बड़ी के कारण होता है। इसकी वजह से शरीर की प्रत्येक कोशिका में केवल एक एक्स गुणसूत्र रहते हैं। अब इन युवतियों में किसकी वजह से यह दिक्कत आई है, यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा। इसके अलावा एक्स गुणसूत्र और पिता के वाई गुणसूत्र में परिवर्तन भी एक वजह हो सकती है।

एम्स ऐसी युवतियों का डाटा जुटाया जा रहा

एम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि महिलाओं की कोशिकाओं में दो एक्स गुणसूत्र होते हैं। इन्हीं एक्स गुणसूत्रों की वजह से महिलाएं मां बनती हैं। लेकिन, एम्स की ओपीडी में आने वाली कम उम्र की बेटियों में एक एक्स क्रोमोसोम पूरी तरह से गायब मिल रहे हैं, जो ज्यादा चिंता का विषय है। आमतौर पर यह दिक्कत महिलाओं को 36 वर्ष के बाद होती है। अगर कम समय में यह दिक्कत हो रही है तो मां बनने के सुख से ऐसी युवतियां वंचित रह जाएंगी। ऐसी युवतियों का कद छोटा हो रहा है। साथ ही उनका पीरियड भी समय से शुरू नहीं हो रहा है। हर दिन इस तरह के तीन से चार मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। उनका पूरा डाटा इकट्ठा किया जा रहा है, जिससे कि क्रोमोसोम के गायब होने की सही जानकारी मिल सके।



Ramkrishna Vajpei

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