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Gorakhpur News: स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचेगा गोरखपुर एम्स में विवादों का पुलिंदा, पहुंच रहे हैं सांसद रवि किशन
Gorakhpur News: सांसद रवि किशन का कहना है कि 2 दिसम्बर से स्वास्थ्य मंत्री से समय मांगा है। उनके समक्ष हर विवाद को बिंदुवार रखेंगे।
Gorakhpur News: प्रधानमंत्री हों या फिर मुख्यमंत्री गोरखपुर एम्स को अपनी उपलब्धियों में गिनाने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। लेकिन इसी एम्स में विवादों से नाता टूट नहीं रहा है। मारपीट सहित अन्य विवाद के बीच एम्स फिर सुर्खियों में है। इसे लेकर सांसद रवि किशन ने नाराजगी जताई है। सांसद ने 30 नवम्बर की रात हुई मारपीट की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को देने की बात कही है।
सांसद रवि किशन का कहना है कि 2 दिसम्बर से स्वास्थ्य मंत्री से समय मांगा है। उनके समक्ष हर विवाद को बिंदुवार रखेंगे। एम्स की इलाज करने वाली छवि के उलट विवाद की बन गई है। इसके साथ ही एम्स में स्थाई निदेशक के नियुक्ति की भी मांग करेंगे। पिछले दिनों छात्रों ने अपने वार्षिक कार्यक्रम में मनोरंजन के लिए फिल्मी कलाकारों को चंदा जुटाकर बुलाने का प्रयास किया। लेकिन कनिका कपूर के नहीं आने पर रुपयों की वापसी को लेकर विवाद हुआ और हंगामा तक हो गया। एम्स प्रशासन पहले इस मुद्दे पर खामोश रहा, लेकिन जब बात नहीं बनी तो छह छात्रों पर अनुशानात्मक कार्रवाई कर दी। इसके अगले ही दिन शनिवार की रात डॉक्टरों में आपसी विवाद हुआ और कुछ बाहरी लोगों को इसमें बुरी तरह जूनियर और सीनियर छात्रों ने जमकर मारा पीटा। सितंबर में सीनियर रेजीडेंट के बर्थडे पार्टी में आर्केस्ट्रा की नर्तकियों के साथ डांस का वीडियो वायरल हुआ। इसे निजता का मामला बताते हुए जांच कमेटी तो गठित की, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए एक और कमेटी बनाकर मामले की इतिश्री कर दी गई। मीडिया सेल, एम्स की चेयरपर्सन डॉ. आराधना सिंह का कहना है कि मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रकरण में अनुशानात्मक कमेटी को जांच के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अगस्त में हुई थी मारपीट
अगस्त में एम्स के गेट नंबर दो (कसया रोड) पर जूनियर डॉक्टर और एक दवा दुकानदार के बीच जमकर मारपीट हुई। इसकी वजह मरीजों की दवा और इंप्लांट खरीदने का मामला सामने आया था। लेकिन, प्रकरण को बाहरी लोगों का हस्ताक्षेप बताया गया। इसके कुछ दिन बाद इमरजेंसी वार्ड में गई गर्भवती के घरवालों के साथ मारपीट की घटना हुई। पहले इसे मरीजों की तरफ से दुर्व्यवहार का मामला बताया गया, फिर जब पीड़ित ने तहरीर दी तो जूनियर डॉक्टरों ने भी तहरीर देकर समझौता कर लिया। मामले में कमेटी बनाकर जांच की बात कही गई, जो ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इसके बाद फिर इमरजेंसी वार्ड से बिना इलाज किए मरीज लौटने का प्रकरण चर्चा में आया।