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Gorakhpur News: GDA ने बेसमेंट सील किया, नर्सिंग होम पर मेहरबानी उठ रहे सवाल
Gorakhpur News: प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई की जा रही है। नोटिस जारी होने के बाद भी जिन बेसमेंट में गतिविधियां बंद नहीं की गईं, उसे सील किया जा रहा है। मंगलवार को तीन भवनों के बेसमेंट को सील किया गया।
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने तीन भवनों के बेसमेंट को सील किया: Photo- Newstrack
Gorakhpur News: दिल्ली में प्रतिष्ठित कोचिंग संस्था द्वारा संचालित क्लास रूम में बारिश का पानी घुसने से छात्रों की हुई मौत के बाद पूरे देश में हंगामा हुआ। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने बेसमेंट में संचालित अवैध गतिविधियों को लेकर पिछले दिनों 100 से अधिक प्रतिष्ठानों को नोटिस दिया था। अब प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई की जा रही है। नोटिस जारी होने के बाद भी जिन बेसमेंट में गतिविधियां बंद नहीं की गईं, उसे सील किया जा रहा है। मंगलवार को तीन भवनों के बेसमेंट को सील किया गया। इसमें 23 दुकानें एवं फर्नीचर का एक गोदाम शामिल है। सील करने का अभियान छह सितंबर तक चलेगा।
प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने बताया कि रेती रोड स्थित एके श्रीवास्तव के आनंद कांप्लेक्स के बेसमेंट में अनधिकृत रूप से निर्मित 11 दुकानों को सील कर दिया गया। इसी तरह राजेश जायसवाल के बैँक रोड स्थित शंकर कांप्लेक्स में 12 दुकानों को सील किया गया। जीडीए की टीम ने चक जलाल पुर्दिलपुर में बेसमेंट में अवैध रूप से संचालित फर्नीचर गोदाम को सील कर दिया गया। सील करने वाली जीडीए की टीम में सहायक अभियंता राजबहादुर सिंह, विनोद कुमार शर्मा, ज्योति राय, अवर अभियंता प्रभात कुमार, रमापति वर्मा, संजीव कुमार तिवारी, डीएन शुक्ला, मनीष त्रिपाठी, मजिस्ट्रेट दीपक सिंह, पुलिस बल एवं पीएसी के जवान शामिल रहे।
कई नर्सिंग होम पर मेहरबानी पर सवाल
प्राधिकरण की कार्रवाई हालांकि 6 सितम्बर तक चलेगी लेकिन कई नर्सिंग होम समेत कोचिंग संस्थाओं को लेकर नरमी पर जिम्मेदारों पर सवाल उठ रहे हैं। दिलचस्प यह है कि प्राधिकरण ने जिन प्रतिष्ठानों के खिलाफ मंगलवार को कार्रवाई की है, उनके खिलाफ पूर्व में भी कार्रवाई हो चुकी है। शंकर काम्पलेक्स का सील 6 साल पहले खुद प्राधिकरण से सशर्त खोला था। बता दें कि प्राधिकरण द्वारा विकसित बुद्ध विहार पार्ट सी में कई नर्सिंग होम बेसमेंट में संचालित हो रहे हैं। इनमें से सभी का मानचित्र कमर्शियल गतिविधियों के लिए स्वीकृत है। जबकि नर्सिंग होम के लिए कई तरह की एनओसी लेनी होती है। प्राधिकरण ठीक से कार्रवाई करे तो उसे अपने ही कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।