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Gorakhpur News: पचास प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं कि वे मधुमेह की चपेट में, ऐसे करें बचाव

Gorakhpur News: प्रो. कुशवाहा ने कहा कि यदि हमारे शरीर में पहले से ही कोई जीवनशैली संबंधी विकार है तो अन्य विकार होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

Purnima Srivastava
Published on: 28 Oct 2024 8:16 PM IST
Gorakhpur News: पचास प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं कि वे मधुमेह की चपेट में, ऐसे करें बचाव
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Gorakhpur News (Pic-NewsTrack)

Gorakhpur News: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अधीन संचालित गुरु गोरखनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान में आयुर्वेद द्वारा परिभाषित जीवनशैली पर केंद्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'हिताय-2024' के दूसरे दिन के उद्घाटन वैज्ञानिक सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं शोध केंद्र के प्राचार्य प्रो. अरविंद कुशवाहा ने जीवनशैली विकारों में एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल विषय पर व्याख्यान दिया।

प्रो. कुशवाहा ने कहा कि यदि हमारे शरीर में पहले से ही कोई जीवनशैली संबंधी विकार है तो अन्य विकार होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके लिए हमें अपने खान-पान और जीवनशैली को बेहतर बनाने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में हर्बल संपदा का खजाना है जिसका उपयोग हम विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आहार का सबसे अच्छा और बड़ा स्त्रोत वनस्पति आधारित आहार है। 1990 के बाद से दुनिया भर में वयस्कों में मोटापा दोगुना और किशोरों में चौगुना हो गया है। उन्होंने रोगों की रोकथाम और निदान के लिए जीवनशैली में बदलाव और एकीकृत चिकित्सा प्रणाली अपनाने पर जोर दिया। इस सत्र की अध्यक्षता गुरु गोरक्षनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान के प्राचार्य प्रो. गिरिधर वेदांतम ने की। दूसरे दिन के दूसरे वैज्ञानिक सत्र में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजकिशोर सिंह ने मधुमेह और उससे जुड़ी जटिलताओं पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज भी पचास फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें मधुमेह है संतुलित आहार के साथ-साथ योग, नींद प्रबंधन, वजन प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है।

हमें जठराग्नि का ध्यान रखते हुए ही भोजन करना चाहिए

राष्ट्रीय संगोष्ठी के एक अन्य सत्र में मुख्य वक्ता विश्व आयुर्वेद मिशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जीएस तोमर ने आयुर्वेद में मधुमेह प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि हमें जठराग्नि को ध्यान में रखते हुए भोजन करना चाहिए। हमारा आहार ही कई बीमारियों का कारण बनता है। प्रो. तोमर ने कहा कि हम मधुमेह को सिर्फ नियंत्रित कर सकते हैं, खत्म नहीं कर सकते। आगे उन्होंने मधुमेह रोग की रोकथाम में कहा कि दोषरहित जीवनशैली और अच्छे आचरण से ही मधुमेह की रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने मधुमेह के दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए बताया कि कैसे हम शुरुआती अवस्था में ही मधुमेह का पता लगा सकते हैं। तनाव, बैठे रहने की स्थिति, कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन के अलावा आनुवांशिकी और कफ पैदा करने वाले तत्व भी मधुमेह का कारण हो सकते हैं। उन्होंने मधुमेह को नियंत्रित करने वाले कुछ आयुर्वेदिक योगों के बारे में भी बताया। अलग-अलग सत्रों में डॉ. रश्मि पुष्पन, डॉ. नवीन कोडलाडी ने वक्ताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।



Ragini Sinha

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