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Gorakhpur News: बच्चों में जन्मजात दोषों की शीघ्र पहचान और इलाज जरूरी

Gorakhpur News: एसीएमओ आरसीएच डॉ. चौधरी ने कहा कि जन्मजात दोषों की पहचान कर चिकित्सक और अभिभावक को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए।

Purnima Srivastava
Published on: 22 March 2024 6:23 PM IST
Gorakhpur News
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लेडी मेडिकल ऑफिसर (एलएमओ), स्टॉफ नर्स और एएनएम के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करने मुख्य चिकितसा अधिकारी source: Newstrack

Gorakhpur News: नवजात शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद जन्मजात दोषों की शीघ्र पहचान और इलाज अति आवश्यक है। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, कटा हुआ होंठ व तालू और मुड़े हुए पैर जैसे जन्मजात दोषों की पहचान जितनी जल्दी हो जाती है, निदान उतना ही आसान है। यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने कहीं। वह लेडी मेडिकल ऑफिसर (एलएमओ), स्टॉफ नर्स और एएनएम के प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रेरणा श्री सभागार में शुक्रवार को संबोधित कर रहे थे।

एसीएमओ आरसीएच डॉ. चौधरी ने कहा कि जन्मजात दोषों की पहचान कर चिकित्सक और अभिभावक को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए। ऐसे बच्चों की पहचान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र भ्रमण के दौरान भी की जाती है, लेकिन सबसे बेहतर उपाय है कि यह बच्चे प्रसव कक्ष से ही पहचान लिये जाएं। जन्मजात मोतियाबिंद, बहरापन, ह्रदय रोग भी नवजात शिशुओं में पाए जा रहे हैं और इनका सफलतापूर्वक उपचार भी कराया जा रहा है। अभिभावकों को भी आगे आकर इन दोषों के निदान के लिए आशा कार्यकर्ता और आरबीएसके टीम की मदद लेनी चाहिए।

इस मौके पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Child Health Program) की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने कहा कि छह फीसदी नवजात शिशु किसी न किसी जन्मजात दोष से ग्रसित होकर पैदा होते हैं । प्रसव के तुरंत बाद इन दोषों की पहचान कर प्रबन्धन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अत्यधिक प्रबल जन्मजात दोष की स्थिति में जन्म के 24 घंटे के भीतर कई बार बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है। यदि प्रसव कक्ष में पहचान हो जाए तो इनकी मृत्यु को रोका जा सकता है। समय पर उपचार न मिलने से ऐसे नवजात दिव्यांग हो सकते हैं। ऐसे में प्रसव कक्ष पर तैनात स्टॉफ समय रहते बीमारी की पहचान कर चिकित्सा इकाई को संदर्भित कर दें।

फोलिक एसिड का सेवन महत्वपूर्ण

बांसगांव सीएचसी की चिकित्सक डॉ विजय लक्ष्मी घोष ने बताया कि जन्मजात दोषों से बचाव के लिए गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में फोलिक एसिड का सेवन प्रत्येक गर्भवती द्वारा किया जाना चाहिए । यह दवा सभी सरकारी अस्पतालों और आशा कार्यकर्ता के माध्यम से समुदाय तक पहुंचाई जा रही है। बच्चा प्लान करने से दो माह पहले से ही इस दवा का सेवन इन दोषों के प्रति बच्चों को प्रतिरक्षा प्रदान करता है। इन दोषों के पहचान के बारे में प्रशिक्षण में विस्तार से जानकारी दी गयी है। प्रशिक्षु स्टॉफ नर्स शांति वर्मा ने बताया कि वह जन्मजात दोष के लक्षण वाले नवजात शिशुओं को आरबीएसके टीम को संदर्भित करेंगी ताकि समय रहते उन्हें उपचार मिल सके। प्रसव कक्ष में ही इन दोषों की पहचान करनी है।

142 बच्चों को मिला उपचार

आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक कुल 142 नवजात शिशुओं और बच्चों में जन्मजात दोष की पहचान कर उन्हें उपचार प्रदान किया गया है।



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Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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