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Gorakhpur News: मुकदमों का शतक लगाने वाले इस गांव को अपराध मुक्त करेगी योगी की पुलिस, यह है एक्शन प्लान
Gorakhpur News: गीडा थाने की नौसढ़ चौकी से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में क्राइम कंट्रोल करने के लिए ग्रामीणों से बात कर पुलिस अपराध से दूर रहने को जागरुक भी करेगी।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस अपराध पर अंकुश को लेकर गांव-गांव कोशिश करने में जुटी है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के सर्वाधिक मुकदमे वाले गांव हरैया को चुना गया है। एसएसपी ने अपराध पर अंकुश के प्रयासों को लेकर एसपी नार्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव को जिम्मेदारी सौंपी है।
गोरखपुर के गीडा थानाक्षेत्र के हरैया गांव में बीते 5 साल में 100 मुकदमे दर्ज हुए हैं। गीडा थाने की नौसढ़ चौकी से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में क्राइम कंट्रोल करने के लिए ग्रामीणों से बात कर पुलिस अपराध से दूर रहने को जागरुक भी करेगी।
एसएसपी के निर्देश पर इस गांव में चौपाल लगाया जाएगा। गांवों की फिजा से अपराध की जहरीली हवा के खात्मे को लेकर एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने थानावार गांवों के अपराधों का ब्योरा दर्ज करने को कहा है। थानावार सूची तैयार की जा रही है कि किस गांव में कितने मुकदमे दर्ज हुए हैं। ज्यादा मुकदमे वाले गांवों पर पुलिस फोकस करेगी और जहां कम अपराध हुए हैं। उन गांवों की सूची थानों पर चस्पा की जाएगी ताकि ग्रामीण प्रेरणा लेकर अपने-अपने गांवों को भी अपराधों से मुक्त करने में योगदान दें।
एसपी नार्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि किस तरह के मुकदमे हैं क्या वजह है इन सभी बातों की पड़ताल कर गांव में चौपाल लगाने की तैयारी चल रही है। चौपाल की तारीख इसी सप्ताह तय कर दी जाएगी।
ये है अपराध की वजह
एसएसपी ने हरैया गांव की पड़ताल की तो पाया कि यहां 5 साल में 100 मुकदमे दर्ज हुए हैं। 2024 में यानी एक साल में ही यहां 30 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। करीब 10 हजार आबादी वाले गांव में निषाद, घोषी, मुस्लिम, पठान, बेलदार, हरिजन, धोबी, मौर्या, यादव व ब्राह्मण जातियों की बहुलता है। 75 प्रतिशत लोगों के जीविकोपार्जन का साधन मजदूरी है। लगभग 5 प्रतिशत लोग बैंक, बिजली विभाग, रेलवे में नौकरी कर रहे हैं।
विवाद की सबसे बड़ी वजह भूमि विवाद है। गांव में 1987 में चकबंदी शुरू हुई। सन 1992 में धारा 52 हुआ। यानी चकबंदी फाइनल मान लिया गया। लेकिन किसी को फाइनली चक मिल नहीं पाया था जिससे कुछ लोग हाईकोर्ट में चले गए। धीरे-धीरे 30 वर्ष बाद कानूनी प्रक्रिया से चकबंदी फाइनल हुआ। लेकिन लोग अब भी संतुष्ट नहीं हुए कारण कि इतने लंबे समय के अंतराल में अधिकांश लोग अपने चक में मकान बनवा लिए हैं। इसी सब को लेकर आए दिन जमीनी विवाद होता रहता है।