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Gorakhpur University: विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए शुरू हुआ आवेदन
Gorakhpur University: कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि जो कॉलेज स्वेच्छा से चाहें वे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
Gorakhpur University: दीन दयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन की प्रक्रिया 4 अप्रैल से शुरू हो गई है। इसके पहले कुलपति ने प्राचार्यों के साथ प्रवेश परीक्षा की तैयारियों की समीक्षा की। जिसमें प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए केंद्रीयकृत परीक्षा में हिस्सा लेने की बाध्यता खत्म कर दी गई। अभ्यर्थियों को प्रवेश के लिए ऑनलाइन करना होगा। ऑनलाइन काउंसलिंग से छात्रों को प्रवेश मिलेगा।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि जो कॉलेज स्वेच्छा से चाहें वे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। शामिल होने के लिए नियमित दो कोर्स के लिए 40 हजार रुपये, उसके बाद प्रत्येक कोर्स के लिए 20 हजार रुपये जमा करने होंगे। प्रोफेशनल कोर्सेज के दो पाठ्यक्रमों के लिए 1 लाख और उसके बाद प्रत्येक कोर्स के लिए 50 हजार रुपये शुल्क जमा करना होगा। कॉलेज 10 अप्रैल तक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। कुलपति ने बताया कि अगले सत्र में प्रवेश के लिए फॉर्म 4 अप्रैल को शाम 4 बजे लांच कर दिया जाएगा। उसके बाद अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इच्छुक अभ्यर्थी 11 मई तक प्रवेश के लिए आवेदन कर सकेंगे। केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा और केंद्रीयकृत काउंसलिंग पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
इन कोर्स के लिए प्रवेश के लिए कर सकेंगे आवेदन
कुलपति ने बताया कि केंद्रीयकृत परीक्षा के अन्तर्गत बीबीए, एमबीए, बीसीए, बीएससी गृह विज्ञान, बीएससी एजी, एमएससी एजी, बीए एलएलबी, डीएलएड आदि कोर्स में कॉलेजों में भी प्रवेश के लिए अनिवार्य रूप से केंद्रीयकृत प्रवेश परीक्षा का निर्णय लिया गया था। अब इन विषयों में प्रवेश के लिए कॉलेजों को छूट दे दी गई है। जो कॉलेज चाहें, वे खुद प्रवेश ले सकते हैं या विश्वविद्यालय के केंद्रीयकृत परीक्षा के अन्तर्गत आवेदन कर सकते हैं। कुलपति ने कहा कि जो कॉलेज संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं, उनसे डीडीयू का एडमिशन सेल बैठक कर उनके महत्वपूर्ण सुझावों को प्रवेश प्रक्रिया में शामिल करेगा। ऑनलाइन काउंसलिंग में दिया जाएगा विकल्प ऑनलाइन काउंसलिंग में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे विषय कांबिनेशंस के साथ-साथ विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय की वरीयता भी चुन सकेंगे। इससे कॉलेजों को भी फायदा होगा।