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Gorakhpur News: विद्यार्थी हो या शिक्षक उसकी निरंतरता ही उसे श्रेष्ठता की ओर ले जाती है, निराला जयंती पर बोलीं कुलपति प्रो.पूनम टंडन

Gorakhpur News: गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में हीरक जयंती वर्ष के अंतर्गत बसंत पंचमी तथा निराला जयंती कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि हिंदी विभाग निरंतर अपनी विशिष्टता साबित करता आ रहा है।

Purnima Srivastava
Published on: 7 Feb 2025 10:20 PM IST (Updated on: 7 Feb 2025 10:26 PM IST)
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 Gorakhpur News ( Pic- Social- Media)

Goarkhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में हीरक जयंती वर्ष के अंतर्गत बसंत पंचमी तथा निराला जयंती कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि हिंदी विभाग निरंतर अपनी विशिष्टता साबित करता आ रहा है। आज का समारोह कोई सामान्य कार्यक्रम न होकर, विभिन्न कार्यक्रमों का समुच्चय है. यहां के विद्यार्थियों का आत्मविश्वास, सहजता व गुणवत्ता विभाग के शिक्षकों की भूमिका को सहज ही स्पष्ट कर रहा है। शिक्षित वही जिसके आचरण में शिक्षा दिखे। हिंदी विभाग के विद्यार्थियों की प्रस्तुतियां, इसका बेहतरीन उदाहरण है। विद्यार्थी हो या शिक्षक उसकी निरंतरता ही उसे श्रेष्ठता की ओर ले जाती है।

मुख्य समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अपने समय की उग्र असहमतियों को सप्तम स्वर में व्यक्त करने वाले कवि रहे हैं। वह सच कहने में कभी किसी के बड़प्पन से घबराए नहीं, महात्मा गांधी, टैगोर, नेहरू व राजेंद्र प्रसाद जैसी शख्सियतों से भी नहीं। उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य को दायरे से मुक्त करता है. मन की गांठ खोलता है. देश, लोक व जाति से ऊपर उठाता है। इसीलिए निराला लोकोत्तर आनंद की बात करते हैं. निराला का विद्रोह सिर्फ साहित्य या भाषा के भीतर नहीं, बल्कि जीवन में भी घटित होता है. वह लगातार जीवन से सीधे लड़ते रहे. असमानता के खिलाफ उनकी कविता निरंतर खड़ी होती रही है। समाज, सरकार, सामंतवाद, साहित्य, जाति आदि प्रत्येक प्रकार की सत्ता से टकराते हैं।

कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजवंत राव ने कहा कि निराला संस्कृति के शाश्वत सूत्रों को पड़कर चलते हैं और प्रवाहमान रूढ़ियों के विरुद्ध लड़ते हैं। दरअसल वह रूढ़ियों को तोड़ने वाले भारत-बोध के बड़े रचनाकार हैं। उनकी कविता न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ बल्कि देसी सेठ-साहूकारों वह सामंती मूल्यों के खिलाफ भी खड़ी होती है। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि निराला वासंतिक चेतना के साहित्यकार हैं, काव्य हो या गद्य बसंत बराबर उनकी चेतना में उपस्थित है. छायावाद की आलोचना का खंडन भी है निराला का साहित्य।

दीवार पत्रिका 'सृजन' का लोकार्पण

इस अवसर पर हिंदी विभाग की दीवार पत्रिका 'सृजन' का लोकार्पण कुलपति जी द्वारा किया गया। साथ ही विभाग में आयोजित हुए भाषण प्रतियोगिता, काव्य पाठ, फीचर लेखन एवं निबंध प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। विद्यार्थियों ने निराला की कविताओं की सुरमय प्रस्तुतियां दीं। प्रोफेसर विमलेश कुमार मिश्रा ने भी निराला की गजल को सुरीली आवाज दी। दरअसल आज का समारोह हिंदी विभाग में कई दिनों से चल रहे श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों का उपसंहार रहा। इसके अंतर्गत अन्य कार्यक्रमों में 'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली से प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव, 'जयशंकर प्रसाद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व' विषय पर एकल व्याख्यान देने हेतु पूर्वोत्तर से प्रोफेसर हितेंद्र मिश्र उपस्थित हुए।

समारोह का संचालन डॉ सुनील कुमार ने किया। इसके साथ ही आभार ज्ञापन हिंदी विभाग की सांस्कृतिक समिति के संयोजक डॉ. राजेश मल्ल द्वारा किया गया. इस अवसर पर हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर अनिल राय, प्रोफ़ेसर दीपक त्यागी, प्रोफेसर प्रत्यूष दुबे, डॉ. रजनीश चतुर्वेदी, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. रामनरेश राम, डॉ, रितु सागर, डॉ. प्रियंका नायक, डॉ संदीप यादव, डॉक्टर अपर्णा पांडेय डॉ.अखिल मिश्र, डॉ अन्वेषण सिंह, डॉ. नरगिस बानो, डॉक्टर अभय शुक्ल समेत विभाग के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।



Shalini Rai

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