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Gorakhpur News: जूता-चप्पल बनाने वाली ARP कंपनी होगी नीलाम, 90 साल पुरानी मिल में भी लग गया ताला

Gorakhpur News: यहां बनने वाला चप्पल, जूता, डोर मैट आदि प्रदेश के सभी जिलों के साथ ही सउदी अरब, नेपाल तक भेजे जाते थे।

Purnima Srivastava
Published on: 29 Sept 2024 8:17 AM IST
Gorakhpur News
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गीडा में एआरपी हवाई चप्पल की फैक्ट्री (Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: पूर्वांचल में एक तरफ औद्योगिक विकास को लेकर तमाम दावे हो रहे हैं, वहीं दूसरी तस्वीर यह भी है कि फैक्ट्रियां डिमांड नहीं होने से बंद भी हो रही हैं। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की कभी टॉप कंपनी रही एआरपी चप्पल की 30 अक्तूबर को बैंक नीलामी करने जा रहा है। कंपनी पर करोड़ों रुपये की देनदारी है। वहीं देश के सबसे पुराने जूट मिल में शुमार महावीर जूट मिल पर भी ताला लग गया है। मिल प्रबंधन के नोटिस के बाद 1000 से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।

30 अक्टूबर को होगी नीलाम

गीडा में हवाई चप्पल बनाने वाली कंपनी आजम रबर प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड (एआरपी) 30 अक्टूबर को नीलाम हो जाएगी। बैंक का कर्ज न चुका पाने के कारण एआरपी की ई-नीलामी का नोटिस प्रकाशित कराया गया है। नीलामी के लिए 25 हजार वर्ग मीटर जमीन सहित सभी संपत्तियों का आधार मूल्य 26 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। गीडा के सेक्टर-13 में 1996 में सफर शुरू करने वाली इस कंपनी के उत्पाद काफी चर्चा में रहे। गुणवत्ता व आक्रामक विज्ञापन के दम पर आजम खान के स्वामित्व वाली एआरपी कंपनी ने उसे कड़ी चुनौती दी। लगभग एक दशक से अधिक समय तक इस कंपनी ने खूब तरक्की की।

यहां बनने वाला चप्पल, जूता, डोर मैट आदि प्रदेश के सभी जिलों के साथ ही सउदी अरब, नेपाल तक भेजे जाते थे। इसके अलावा बिहार, हिमाचल, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं उड़ीसा जैसे राज्यों में भी कंपनी ने अच्छी पैठ बना ली। कोरोना काल में बिक्री कम होने के साथ बैकों की देनदारियां भी बढ़ने लगीं। फिलहाल एक वर्ष से एआरपी में उत्पादन बाधित था।

प्रदेश की पहली जूट मिल पर ताला

सहजनवा की पहचान व प्रदेश की पहली दी महाबीर जूट मिल लगातार घाटे में चलने के कारण दिसंबर में बंद हो जाएगी। प्रबंधन ने बंद करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। इसके बाद से एक हजार श्रमिक पर बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है। मिल प्रबंधन का दावा है कि धागे की मिल का संचालन चालू रखेगा। सहजनवा कस्बा में 14 अक्टूबर 1935 में दी महाबीर जूट मिल का स्थापना हुई थी। मिल प्रबंधन के मुताबिक, 2014-15 से प्लास्टिक व कागज का उपयोग बढ़ने के कारण जूट की मांग काफी कम हो गई है। इसकी वजह से मिल लगातार घाटे में चल रहा था।

लगातार घाटे में चलने की वजह से लिया गया फैसला

हालांकि, करोना महामारी के दौरान 2020-21 में मिल को एक करोड़ 10 लाख का लाभ भी हुआ था। इसके बाद से यह फैसला लिया गया है कि आठ दिसंबर को मिल को बंद कर दिया जाएगा। जूट मिल लगातार एक दशक से घाटे में चल रही थी। 2014 से 24 तक मिल करीब 27.5 करोड़ घाटे में जाने के कारण प्रबंधक ने बंद करने का निर्णय लिया है। जूट मिल के सीईओ धीरज मस्करा का कहना है कि धागा मिल के मुनाफे से किसी तरह मिल को चलाया गया, लेकिन अब लग रहा है कि इससे मिल चलाना मुश्किल है। दिसंबर में इसे बंद करने का फैसला लिया गया है।



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Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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