Gorakhpur News: यूरिया के साथ गोरखपुर के विकास में योगदान दे रहा एचयूआरएल, 70 करोड़ रुपये से अधिक की दी धनराशि

Gorakhpur News: खाद कारखाने ने कॉरपोरेट एन्वॉयरमेंट रिस्पांसिबिलिटी (सीईआर) फंड से 70 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि शिक्षा, स्वास्थ्य और नगरीय सुविधाओं के ढांचागत विकास पर खर्च किए हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 19 July 2024 4:13 PM GMT
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा स्थापित गोरखपुर का खाद कारखाना विकास में भरपूर योगदान तो दे ही रहा है, सामाजिक सरोकारों को निभाने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अपनी स्थापना के महज तीन साल के भीतर इस खाद कारखाने ने कॉरपोरेट एन्वॉयरमेंट रिस्पांसिबिलिटी (सीईआर) फंड से 70 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि शिक्षा, स्वास्थ्य और नगरीय सुविधाओं के ढांचागत विकास पर खर्च किए हैं। इस खाद कारखाने को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संघर्ष के सुखद परिणाम का प्रतीक मानते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से करीब तीन दशक बाद दोबारा शुरू एचयूआरएल के खाद कारखाने के नाम यूरिया उत्पादन के साथ सामाजिक दायित्व निर्वहन की सतत उपलब्धियां दर्ज होती जा रही हैं। एचयूआरएल गोरखपुर इकाई के परियोजना प्रमुख दिप्तेन रॉय का कहना है कि हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का यह खाद कारखाना यूरिया के लिए किसानों की दिक्कत को कम करने में मील का पत्थर साबित हुआ है तो साथ ही गोरखपुर के शिक्षा और स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना को भी मजबूत बना रहा है। एचयूआरएल ने अपने सीईआर फंड से गोरखपुर में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना कराई है तो 16 स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों के इलाज के लिए हाईटेक पीडियाट्रिक आईसीयू का निर्माण कराया है। इसके साथ ही उसने मानीराम के समीप स्थित सोनबरसा गांव को मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया है, 12 प्राइमरी स्कूलों में आरओ प्लांट लगवाया है, कई सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का जीर्णोद्धार कर उन्हें स्मार्ट बनाया है।

एचयूआरएल के महाप्रबंधक (सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग, मुख्यालय) संजय चावला और गोरखपुर यूनिट के उप महाप्रबंधक (मानव संसाधन) सुबोध दीक्षित ने बताया कि इनमें से कई कार्य पूरे हो गए हैं तो कुछ निर्माणाधीन हैं। ताजा पहल करते हुए एचयूआरएल अब नगर निगम के माध्यम से शहर में 27 स्थानों पर इंटीग्रेटेड सोलर स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम की स्थापना करने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कई मंचों से एचयूआरएल की तारीफ करते हुए कह चुके हैं कि यह कारखाना खाद उत्पादन के साथ ही अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ा रहा है।

गोरखपुर में एचयूआरएल के खाद कारखाना की स्थापना का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। गोरखपुर में पूर्व में स्थापित खाद कारखाना 1990 में एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया था। सांसद बनने के बाद 1998 से ही योगी आदित्यनाथ ने इसे दोबारा चलाने के लिए संघर्ष किया। इसकी साक्षी समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनता है। योगी की पहल पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने खाद कारखाना परिसर में ही नये कारखाने का शिलान्यास किया। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके निर्माण का रास्ता और प्रशस्त हो गया। सात दिसम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर आकर खाद कारखाने को राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। करीब 600 एकड़ में 8603 करोड़ रुपये की लागत से बने और प्राकृतिक गैस आधारित इस खाद कारखाने की अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मिट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन की है।

कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के बाद कई दिन ऐसे भी रहे हैं जब खाद कारखाने में सौ प्रतिशत क्षमता से भी अधिक उत्पादन हुआ है। मसलन, 13 अक्टूबर 2023 को एचयूआरएल गोरखपुर यूनिट में 110 प्रतिशत क्षमता से एक दिन में रिकॉर्ड 4224 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हुआ था। यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में कमी आई है। साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित हो रही। गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन करने वाली हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं।

गोरखपुर के खाद कारखाने में बेस्ट क्वालिटी की नीम कोटेड यूरिया बन रही है। कारण, इस कारखाने की प्रीलिंग टावर की रिकार्ड ऊंचाई। यहां बने प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है। तुलनात्मक विश्लेषण करें तो यह कुतुब मीनार से भी दोगुना ऊंचा है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। प्रीलिंग टावर की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे व गुणवत्तायुक्त बनते हैं।

एचयूआरएल द्वारा निभाए गए सामाजिक सरोकार

  • हरनही और कैम्पियरगंज सीएचसी पर ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना (जरिये एयरनॉक्स) - 72 लाख रुपये
  • 12 प्राथमिक विद्यालयों पर शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट की स्थापना - 14 लाख रुपये
  • रामगढ़ताल का सुंदरीकरण (जरिये जीडीए) - 3 करोड़ 29 लाख रुपये
  • सोनबरसा गांव का मॉडल विलेज के रूप में विकास (जरिये जीडीए) - 12 करोड़ 30 लाख रुपये
  • 16 सीएचसी पर पीडियाट्रिक आईसीयू की स्थापना (जरिये जीडीए) - 26 करोड़ 43 लाख रुपये
  • विभिन्न सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प, शिक्षा क्षेत्र में आधारभूत ढांचे का विकास (जरिये जिला प्रशासन) - 6 करोड़ 35 लाख रुपये
  • 27 स्थानों पर इंटीग्रेटेड सोलर स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम की स्थापना (जरिये नगर निगम) - 21 करोड़ 13 लाख रुपये
Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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