Gorakhpur News: साथ जीने-मरने की कसमें खाईं, मरे तो एक ही समय, पर अंतिम संस्कार के समय हो गए अलग-अलग

Gorakhpur News: साल 2011-12 में पढ़ाई के दौरान ही दोनों की नजदीकियां बढ़ीं। कॉलेज और शहर अलग हुए पर दोनों ने साथ नहीं छोड़ा। प्रेम कहानी वाराणसी से शुरू हुई थी। दोनों यहां किशोरावस्था में ही पढ़ाई के दौरान करीब आए थे।

Purnima Srivastava
Published on: 8 July 2024 9:40 AM GMT
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Pic: Social Media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ.राम शरण की बेटी संचिता और वाराणसी से हरीश बगेश 2012 में स्कूल की पढ़ाई के दौरान वाराणसी में मिले थे। पहली ही नजर में प्यार हुआ। पढ़ाई के दौरान तो सफर एक साल का रहा, लेकिन स्कूल से अलग होने के बाद भी संपर्क बना रहा। हरीश ने परिवार के विरोध के बाद भी 2022 में अपनी प्रेमिका संचिता से प्रेम विवाह किया। लेकिन दो साल में ही सब कुछ बिखर गया। दोनों ने साथ जीने मरने की कमस खाई थी। संयोग ऐसा कि मरे भी चंद मिनटों के अंतराल पर। लेकिन अंतिम संस्कार अलग-अलग हुआ। हरीश का अंतिम संस्कार जहां वाराणसी में हुआ, वहीं संचिता का दाह संस्कार गोरखपुर के राप्ती नदी के तट पर हुआ। प्रेम कथा का दुखद अंत जो भी सुन रहा है, उसके मुंह से आह निकल रही है।

रविवार को हरीश ने जहां सारनाथ के एक होटल में पंखे से लटक कर जान दे दी थी। वहीं, पति के आत्महत्या के बाद आवेग में संचिता ने भी गोरखपुर में छत से कूद कर अपनी जिंदगी के सफर को पूर्ण विराम दे दिया। जो भी इस प्रेम कहानी को सुन रहा है, वह अपने-अपने तरीके से इसकी व्याख्या कर रहा है। कोई बेरोजगारी को वजह बता रहा है। कोई परिवारों के बीच तनाव को वजह मान रहा है। वहीं, दोनों के नशे का आदी होने को भी मौत की वजह मानी जा रही है। वजह, कुछ भी लेकिन वाराणसी से शुरू हुई हरीश-संचिता की प्रेम कहानी का अंत ऐसा दुखद होगा किसी ने कल्पना नहीं की थी।


वाराणसी में पढ़ाई के दौरान आए थे एक दूसरे के नजदीक

साल 2011-12 में पढ़ाई के दौरान ही दोनों की नजदीकियां बढ़ीं। कॉलेज और शहर अलग हुए पर दोनों ने साथ नहीं छोड़ा। प्रेम कहानी वाराणसी से शुरू हुई थी। दोनों यहां किशोरावस्था में ही पढ़ाई के दौरान करीब आए थे। इसके बाद कॉलेज बदले पर दोनों का प्रेम परवान चढ़ता रहा। हरीश घर का इकलौता पुत्र था। पिता ने उसकी परवरिश और पढ़ाई में कसर नहीं छोड़ी। उसका प्रवेश कक्षा छह से ही वाराणसी के राजघाट बसंत बोर्डिंग स्कूल में कराया। 2012 में हरीश ने यहां से 12वीं पास की थी। यहीं पर एक साल के लिए संचिता भी पढ़ने आई थी। 2011 में उसने 11वीं की पढ़ाई यहीं से की। इसी दौरान हरीश और संचिता में दोस्ती हो गई। संचिता के चले जाने के बाद भी दोनों एक-दूसरे के संपर्क में बने रहे। दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी कर ली। बताते हैं कि हरीश के परिजन इस शादी के लिए तैयार नहीं थे। परिवार के विरोध के बावजूद हरीश ने प्रेम विवाह किया। हालांकि शादी के बाद भी हरीश का गांव आना-जाना लगा रहता था।


परिवार ने कभी संचिता को नहीं स्वीकारा

शादी को हरीश के परिवार वालों ने कभी स्वीकार नहीं किया। हालांकि हरीश परिवार के संपर्क में हमेशा रहा। वह मुंबई में प्राईवेट बैंक में नौकरी करता था। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से नौकरी छूट गई थी। हरीश के ससुर डॉ.राम शरण की गोरखपुर में करोड़ों रुपये की संपत्ति है। वह दामाद को बिजनेस कराने को भी तैयार थे। लेकिन, हरीश की खुद्दारी आड़े आ रही थी। पत्नी की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिक्कत और परिवारिक दुश्वारियों के चलते हरीश अवसाद में आ चुका था। वह नशे का लती हो गया था कमरे से फोरेंसिक टीम ने मादक पदार्थ सिगरेट, लाइटर, मोबाइल और पर्स, फांसी में इस्तेमाल नई रस्सी का टुकड़ा बरामद किया।

पिता ने ससुराल वालों पर लगाया आरोप

पिता का आरोप, ससुराल के लोगों से था परेशान हरीश के पिता रामस्वामी मालवीय ने फोन पर बातचीत में आरोप लगाया कि संचिता और उसके पिता बेटे को परेशान करते थे। उनके व्यवहार से बेटा खिन्न हो गया था। आरोप लगाया कि उसकी मौत के जिम्मेदार उसकी ससुराल के लोग हैं। पिता रामस्वामी मालवीय ने बताया कि 15 दिन पहले वह गांव भी आया था। फिर शनिवार को दोपहर 12 बजे फोन किया था, तब बताया था कि दोपहर डेढ़ बजे ही गांव के लिए निकलेगा। फिर रात तक घर नहीं पहुंचा।

आखिर सुसाइड के लिए क्यों मजबूर हुए संचिता-हर्षित

पति-पत्नी के सुसाइड की परते खुल तो रही हैं लेकिन आत्महत्या की असल वजह तक कोई पहुंच नहीं रहा है। लेकिन, इतना साफ है कि हरीश और संचिता पिछले छह महीने से काफी परेशान चल रहे थे। देश-विदेश में जाकर फैशन फोटोग्राफी करने वाली संचिता इन दिनों सिर्फ अपनी जॉब से ही नहीं बल्कि परिवार से भी काफी परेशान थी। बताया जा रहा है कि संचिता और हरीश इतने परेशान थे कि दोनों गोरखपुर में छोटी-मोटी नौकरी तलाश रहे थे। दो साल पहले अपनी शादी में जिस संचिता ने करीब दो लाख रुपए देकर अपना वेडिंग शूट कराया था, वो इन दिनों खुद वेडिंग शूट तक करने को तैयार थी।


संचिता के पिता ने की हैं दो शादियां

गोरखपुर के डॉ. रामशरण दास की दो शादियां हुई थी। उनकी पहली पत्नी की काफी साल पहले मौत हो चुकी है। पहली पत्नी से उनकी बड़ी बेटी संचिता शरण श्रीवास्तव (28) थी। जबकि, दूसरी पत्नी छोटी बेटी आस्था शरण और बेटा सचित शरण हैं। दूसरी शादी के बाद पिता ने शुरू से ही पढ़ाई के लिए संचिता को घर से बाहर रखा। हालांकि डॉ राम शरण ने परिवरिश में कोई कमी नहीं की। संचिता हमेशा बाहर ही पढ़ी। लेकिन उसे कोई भी कोर्स करना होता तो पिता ने कभी रोका टोका नहीं। पिता ने बेटी को रुपयों की कभी कमी नहीं होने दी। लोगों का कहना है कि शादी के बाद संचिता के खर्चे कम नहीं हुए। पति खुद उन्हें पूरा नहीं कर पाता था और ससुराल से मदद लेने पर उसकी खुद्दारी सामने आ जाती थी। यहीं वजह है कि धीरे-धीरे वह अवसाद में चला गया।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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