×

Gorakhpur News: मोबाइल पर वर्चुअल लूडो-चेस, दुकानों से गायब इनडोर गेम उत्पाद, बच्चों की डोर स्मार्ट टच के हाथ

Gorakhpur News: आज की पीढ़ी लूडो नहीं खेल रही। खेल तो रही है, पर लखपति बनने के लिए। असल में मोबाइल पर दर्जन भर एप पर लूडो खेला जा रहा है। एक साथ कई लोग खेलते हैं। इसमें लाखों रुपये जीतने के चक्कर में लोगों का लत भी लग रही है।

Purnima Srivastava
Published on: 4 Nov 2024 6:53 PM IST
Gorakhpur News
X

Gorakhpur News

Gorakhpur News: समझने और जानने की उम्र में बच्चे स्मार्टफोन के टच में जिंदगी की डोर के साथ जुड़ रहे हैं। ऐसे में आउटडोर ही नहीं इनडोर गेम से भी दूरियां बन गई हैं। इसी का नतीजा है कि हर घर में लूडो, शतरंज से लेकर कैरम बोर्ड की अनिवार्यता खत्म हो गई है। जिसे लूडो, शतरंज या फिर कैरम के गेम का आनंद लेना है, मोबाइल पर ही ले रहा है। ऐसे में स्पोर्ट्स के सामान की दुकानों पर लूडो, शतरंज से लेकर कैरम बोर्ड की बिक्री नाममात्र की रह गई है।

ऐसा नहीं है कि आज की पीढ़ी लूडो नहीं खेल रही। खेल तो रही है, पर लखपति बनने के लिए। असल में मोबाइल पर दर्जन भर एप पर लूडो खेला जा रहा है। एक साथ कई लोग खेलते हैं। इसमें लाखों रुपये जीतने के चक्कर में लोगों का लत भी लग रही है। इसी तरह मोबाइल पर शतरंज का गेम भी रुपये के लिए खेला जा रहा है। दर्जन भर पापुलर गेम पर युवाओं की व्यस्तता दिखती है। कैरम को लेकर स्थिति लूडो और शतरंज जैसी तो खराब नहीं है, लेकिन इसकी बिक्री भी काफी अधिक प्रभावित है।

दशक भर पहले तक मोहल्लों के किराना की दुकानों पर लूडो, शतरंज मिल जाता था। वहीं कापी-किताब की दुकानों पर कैरम बोर्ड भी बिकता था। लेकिन स्मार्ट फोन के दखल के बाद इक्का-दुक्का दुकानों पर ही लूडो और शतरंज बिकता है।स्टेशनरी के सामान के बिक्रेता जय करन गुप्ता का कहना है कि 20 साल से इस धंधे में हैं। स्कूलों की बंदी के बाद लूडो, कैरम से लेकर शतरंज की खूब बिक्री होती थी। अब तो पूरे साल में 5 से 10 लूडो भी नहीं बिकता है।

गोरखपुर जिला शतरंज संघ के सचिव जितेन्द्र सिंह का कहना है कि कोविड के दौरान ऑनलाइन चेस प्रतियोगिताओं का क्रेज बढ़ा। जो अभी भी है। अब ऑफलाइन के साथ ही शतरंज की आनलाइन प्रतियोगिताएं भी हो रही हैं। अब आम घरों में शतरंज बोर्ड रखने का क्रेज काफी कम हुआ है। ऑनलाइन खेलने वाले की संख्या बढ़ी है। स्पोर्ट्स के सामान के थोक बिक्रेता राजीव रंजन अग्रवाल का कहना है कि गोरखपुर के साथ ही आसपास के जिलों में लूडो और शतरंज की बिक्री नाममात्र की रह गई है। शतरंज प्रोफेशनल खिलाड़ी ही खरीद रहे हैं। कैरम बोर्ड की बिक्री दस साल में आधी हुई है, लेकिन लूडो और शतरंज जैसा असर नहीं है।

कोरोना में हुई थी कैरम की बंपर बिक्री

कोरोना की बंदिशों के बीच चार साल पहले कैरम बोर्ड की खूब बिक्री हुई थी। घरों में कैद लोगों के लिए कैरम बोर्ड महत्वपूर्ण टाइम पास बना था। थोक बिक्रेता राजीव रंजन अग्रवाल का कहना है कि कोरोना के समय जितने कैरम की बिक्री हुई थी, उतनी दो दशक में कभी नहीं हुई थी। सिर्फ गोरखपुर में 15 हजार से अधिक कैरम बोर्ड बिक गए थे। अब कैरम की बिक्री भी प्रभावित है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में बमुश्किल 4000 से 5000 कैरम बोर्ड की पूरे साल में बिक्री होती है। इनमें सर्वाधिक बिक्री 300 से 700 रुपये कीमत वाले कैरम बोर्ड की है। अग्रवाल कहते हैं कि खेलों को प्रोत्साहन तो मिला है, लेकिन अब टाइम पास खेल का क्रेज कम हुआ है। अब खिलाड़ी प्रोफेशनल एप्रोच से खेल रहे हैं।



Shalini singh

Shalini singh

Next Story