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विश्व दिव्यांग दिवस: आठ फीसदी बच्चों में जन्म से होती है दिव्यांगता, अब गोरखपुर के इस केन्द्र पर जन्म से साल भर के अंदर होगी दिव्यांगता की पहचान

Gorakhpur News: सेंटर में नवजात को जन्म से ही दिव्यांगता पुनर्वास का प्रशिक्षण मिलेगा। इससे मासूम के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बनेगी। इसमें अब तक 46 मासूम चिह्नित होकर पंजीकृत हो चुके हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 3 Dec 2024 8:31 AM IST
विश्व दिव्यांग दिवस: आठ फीसदी बच्चों में जन्म से होती है दिव्यांगता, अब गोरखपुर के इस केन्द्र पर जन्म से साल भर के अंदर होगी दिव्यांगता की पहचान
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विश्व दिव्यांग दिवस  (photo: social media ) 

Gorakhpur News: दुनिया 3 दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दिव्यांगता को लेकर बड़ी पहल हुई है। सीआरसी में नवजात के जन्म के एक वर्ष के अंदर दिव्यांगता की पहचान हो जाएगी। इससे न सिर्फ बच्चों की दिव्यांगता को समय रहते दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि इन्हें जरूरी संसाधन भी दिया जा सकेगा। दिव्यांगता के अभिशाप से लड़ने के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज के समेकित क्षेत्रीय निदान केन्द्र दिव्यांगजन (सीआरसी) में क्रास डिसएबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का संचालन शुरू हो गया है।

सेंटर में नवजात को जन्म से ही दिव्यांगता पुनर्वास का प्रशिक्षण मिलेगा। इससे मासूम के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बनेगी। इसमें अब तक 46 मासूम चिह्नित होकर पंजीकृत हो चुके हैं। इंटरवेंशन सेंटर में 16 अलग-अलग प्रकार के अनुभागों में पदों का सृजन व चयन हो चुका है। अगले हफ्ते से विशेषज्ञ यहां दिव्यांगों को इलाज व परामर्श देने लगेंगे। सीआरसी के निदेशक जितेन्द्र यादव ने बताया कि करीब तीन से आठ फीसदी बच्चों में जन्म के बाद बोलने, सुनने, चलने समेत कई तरह के मानसिक विकास जैसे होने चाहिए, नहीं हो पाते हैं। ज्यादातर मामलों में माता-पिता को बच्चों की उम्र बढ़ने के बाद ही इस स्थिति की जानकारी हो पाती है। निदेशक ने बताया कि इसमें शिशु परीक्षण केन्द्र, बालरोग विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, व्यवहार परिमार्जन केन्द्र, पालक प्रशिक्षण केन्द्र, वाणी चिकित्सा एवं भाषा हस्तक्षेप, भौतिक चिकित्सा, नर्सिंग देखभाल, इंद्रीय एकीकरण चिकित्सा, ट्रांस डिसीप्लीनरी चिकित्सा, अंतरंग क्रीड़ा चिकित्सा, बाह्य क्रीड़ा क्षेत्र, बहुद्देशीय क्रिया कलाप शामिल हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज के बालरोग के विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र शर्मा हर बुधवार को दिव्यांगों को परामर्श देंगे।

देर से दिव्यांगता पता चलने पर पुनर्वास में होती है दिक्कत

निदेशक ने बताया कि दिव्यांगता का देर से पता चलने पर पुनर्वास में देरी होती है। दिव्यांग का आत्मबल कमजोर हो जाता है। पुनर्वास में समय और खर्च कई गुना बढ़ जाता है। बच्चों के परिजनों को इस दुश्वारी से बचाने के लिए क्रॉस डिसएबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की शुरूआत की गई है। इस सेंटर दिव्यांग बच्चों के लिए चिकित्सीय, पुनर्वास देखभाल सेवाओं और प्री-स्कूल प्रशिक्षण (0-6 वर्ष) के लिए निकटवर्ती सुविधाएं प्रदान करेंगे।

फ्री में उपकरण भी मिलेंगे

सीआरसी में इसी वर्ष जून से एलिम्को ने दिव्यांगों के लिए उपकरण बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। इसमें कृत्रिम हाथ व पैर शामिल है। इसके अलावा छड़ी, बैसाखी, व्हीलचेयर, ट्राई साइकिल और मोटराइज्ड ट्राई साइकिल शामिल है। अब तक सिर्फ गोरखपुर के रहने वाले 700 से अधिक दिव्यांगों को सहायक उपकरण दिए गए हैं। जबकि गोरखपुर के अतिरिक्त दूसरे जनपदों के 950 से अधिक दिव्यांगों को उपकरण दिए गए है। यह सुविधा फ्री है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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