International Nurses Day: जन्मजात विकृति वाले इन 25 बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं हैं रीता

International Nurses Day: गोरखपुर के धर्मपुर इलाके की रहने वाली 40 वर्षीय रीता बताती हैं कि उन्होंने नर्सिंग का क्षेत्र अपनी सास की सलाह पर चुना। उनकी सास रेलवे अस्पताल में मैट्रन थीं।

Purnima Srivastava
Published on: 12 May 2024 11:08 AM GMT
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जन्मजात विकृति वाले इन 25 बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं हैं रीता (न्यूजट्रैक)

International Nurses Day: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना के तहत गोरखपुर जिले में 38 टीम सभी ब्लॉक में बच्चों का स्वास्थ्य जांच कर बीमारियों की पहचान करती है। सामान्य बीमारियों का उपचार तो मौके पर ही कर दिया जाता है लेकिन गंभीर बीमारियों जैसे कटे होठ-तालु, ह््रदय रोग, टेढ़े मेढ़े पंजे, टीबी, लेप्रोसी आदि मामलों में बच्चों को रेफर करना पड़ता है। बीमारियों की पहचान के लिए टीम आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूल का विजिट करती है, लेकिन जंगल कौड़िया की स्टॉफ नर्स रीता का ज्यादा जोर डिलेवरी प्वाइंट से ही जन्मजात विकृतियों की पहचान पर होता है। वह डिलेवरी प्वाइंट पर नवजात में जन्मजात विकृतियों की पहचान करती हैं और आशा कार्यकर्ता व अभिभावकों को प्रेरित कर ऐसे बच्चों को अस्पताल तक पहुंचाती हैं व उन्हें विकृतियों से मुक्ति दिलाती हैं। बीते एक साल में वह 25 नवजात और बच्चों को अस्पताल पहुंचा कर इलाज कराया है।

गोरखपुर शहर के धर्मपुर इलाके की रहने वाली 40 वर्षीय रीता बताती हैं कि उन्होंने नर्सिंग का क्षेत्र अपनी सास की सलाह पर चुना। उनकी सास रेलवे अस्पताल में मैट्रन थीं। शादी के बाद सास उन्हें नर्सिंग सेवा की अपनी कहानियां बताती थीं। रीता ने सास की बात से महसूस किया कि यह एक पवित्र पेशा है। उनसे सलाह ली तो उन्होंने भी नर्सिंग की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2013 में पहली पोस्टिंग ही आरबीएसके योजना के तहत जंगल कौड़िया ब्लॉक में हुई।

क्षेत्र में कार्य करने के दौरान रीता ने देखा जन्मजात विकृतियों वाले कई ऐसे बच्चे मिले जिनका समय से इलाज होता तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकते थे। फिर रीता ने तय किया कि वह क्षेत्र के साथ साथ डिलेवरी प्वाइंट पर विकृतियों की पहचान करेंगी और समय से इलाज कराएंगी। ब्लॉक के मझौना गांव की आशा कार्यकर्ता चंद्रमुखी मिश्रा बताती हैं कि उनके द्वारा अस्पताल पहुंचाई गयी तीन गर्भवती के बच्चों में कटे होठ और तालु की पहचान स्टॉफ नर्स रीता की ही मदद से हो पाई। उन्होंने अभिभावकों को बताया कि शहर के अस्पताल में इसकी सर्जरी होती है और यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। आशा कार्यकर्ता को प्रेरित किया कि हर हाल में बच्चों की सर्जरी हो जाए। चंद्रमुखी बताती हैं कि तीनों बच्चों में जन्म के बाद त्वरित पहचान से उनकी सर्जरी हो गयी और वह तीनों पूरी तरह से ठीक हो गये हैं।

आरबीएसके योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना का कहना है कि रीता ने वर्ष 2023-24 में कटे होठ तालू वाले 15 बच्चों और टेढ़े मेढ़े पंजों वाले 10 बच्चों का इलाज करवाया है। वह बच्चों को खुद आरबीएसके की गाड़ी से लेकर जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचती हैं। इस कार्य में चिकित्सक डॉ कैफुल, डॉ आरडी चौहान और ऑप्टोमैट्रिस्ट धर्मेंद्र उनकी मदद करते हैं। डिलेवरी प्वाइंट से बर्थ डिफेक्ट पता करने में रीता का विशेष योगदान रहता है।

टीम भावना से करना होता है कार्य

रीता बताती हैं कि आरबीएसके में टीम के सभी सदस्य मिल कर अलग अलग जिम्मेदारियां निभाते हैं। उन्हें नवजात में विकृतियों की पहचान और उन्हें समय से अस्पताल पहुंचाने में रूचि है, इसलिए यह कार्य वह आगे बढ़ कर करती हैं। इससे उन्हें आत्मसुख मिलता है। वह कहती हैं कि इस कार्य में सबसे ज्यादा चुनौती अभिभावकों को समझाना होता है। खासतौर पर लड़की में अगर कोई जन्मजात विकृति मिलती है तो अभिभावक और भी निराश हो जाते हैं। उन्हें बताना होता है कि यह बीमारी ठीक हो जाएगी। वह याद करती हैं कि एक नवजात में उन्होंने क्लब फुट की पहचान कर बच्चों के पैरों का इलाज कराया था। इससे प्रभावित उसकी मां आज भी उन्हें फोन करके हालचाल लेती है और धन्यवाद देती है।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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