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Gorakhpur News: निषाद पार्टी के बाद गोरखपुर से एक और जातिगत पार्टी का जन्म, क्या होगा कायस्थ पार्टी का भविष्य?
Gorakhpur News: सम्मेलन की सफलता के साथ ही कायस्थ पार्टी के भविष्य और लोकसभा चुनाव में भूमिका को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। अब KAYSTH पार्टी का महासम्मेलन 24 दिसम्बर को गोरखपुर में हैं।
Gorakhpur News: प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ.संजय निषाद गोरखपुर के रहने वाले हैं। इसी माटी पर संघर्ष कर उन्होंने निषाद पार्टी का गठन ही नहीं किया, बल्कि इसका दायरा बढ़ाकर पूरे प्रदेश में कर दिया। निषाद पार्टी की तर्ज पर ही गोरखपुर में जातिगत आधार पर कायस्थ (किसान आमजन युवा शोषित ट्रेडर्स हमारी पार्टी) पार्टी का गठन किया गया है। KAYSTH पार्टी का महासम्मेलन 24 दिसम्बर को गोरखपुर में हैं। अब सम्मेलन की सफलता के साथ ही कायस्थ पार्टी के भविष्य और लोकसभा चुनाव में भूमिका को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं।
कायस्थ पार्टी की स्थापना करने वाले अजय शंकर श्रीवास्तव ही इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही उन्होंने डॉन बॉस्को सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रबंधक श्रीमती सविता श्रीवास्तव को कायस्थ पार्टी के महिला सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष को भरोसा है कि श्रीमती सविता श्रीवास्तव के नेतृत्व में पूरे देश से महिलाओं का जुड़ाव पार्टी से होगा और पार्टी काफी मजबूत होकर उभरेगी। पार्टी फिलहाल 24 दिसम्बर को चित्रगुप्त मंदिर में होने वाले महासम्मेलन को लेकर तैयारियों में जुटी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय शंकर श्रीवास्तव ने 2022 के विधानसभा में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा था। निर्दल चुनाव लड़ने वाले अजय शंकर श्रीवास्तव को तब कायस्थ वोटरों का समर्थन नहीं मिला था। अजय को विधानसभा चुनाव में नौवें स्थान पर थे। उन्हें 468 वोट मिले थे। विधानसभा में आम आदमी पार्टी से विजय कुमार श्रीवास्तव ने भी चुनाव लड़ा था, उन्हें 853 वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी से जुड़े विजय श्रीवास्तव का कहना है कि ‘कायस्थ पार्टी को पूरा समर्थन है। चुनावों में गैर भाजपाईयों को वोट नहीं देने के पीछे कायस्थ वोटरों की दलील रहती है कि आप भी पार्टी बनाएं। कायस्थों को वोट करेंगे। अब लोकसभा चुनाव में इस दलील का भी लिटमस टेस्ट हो जाएगा।’ कायस्थ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय शंकर श्रीवास्तव का कहना है कि सभी राजनीतिक दलों ने कायस्थों को हाशिये पर रखा है। हमें साबित करना होगा कि हम एक राजनीतिक ताकत हैं। ताकत दिखाने पर ही हमें तरजीह मिलेगी। कायस्थ पार्टी लोकसभा चुनाव में पूरी दमदारी से लड़ेगी।
गोरखपुर लोकसभा में हैं डेढ़ लाख से अधिक कायस्थ वोटर
गोरखपुर पूर्वांचल में कायस्थ बाहुल्य जिलों में माना जाता है। लोकसभा सीट पर डेढ़ लाख से अधिक कायस्थ वोटरों की संख्या बताई जाती है। कायस्थ वोटर भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं। इसीलिए शुरूआती दौर को छोड़ दें तो ज्यादेतर कायस्थ उम्मीदवारों को भाजपा के सामने कड़ी शिकस्त खानी पड़ी है। गोरखपुर विधानसभा से बसपा के टिकट पर अशोक श्रीवास्तव से लेकर देवेश श्रीवास्तव तक ने चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें जमानत बचाने में भी मुश्किल हुई। इसी तरह सपा ने रवि श्रीवास्तव को टिकट दिया। लेकिन उन्हें भी कायस्थों का खास समर्थन नहीं मिला। एक कायस्थ नेता का दावा हैं कि गोरखपुर शहर विधानसभा में 90 हजार से एक लाख वोटर हैं। इसी तरह ग्रामीण विधानसभा में 80 हजार वोटर कायस्थ हैं। लेकिन नेता जी इस सवाल पर सटीक उत्तर नहीं दे पाते की इतनी संख्या के बाद भी चुनावों को वोट की संख्या 1000 के पार भी नहीं जा पा रही है।
लंबे समय बाद भाजपा ने कायस्थ को दिया टिकट, महापौर बने डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव
कायस्थ जाति की भाजपा के प्रति निष्ठा ही है कि पार्टी को महापौर के चुनाव में कायस्थ उम्मीदवार के तौर पर डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव को टिकट देना पड़ा। डॉ.मंगलेश अब गोरखपुर और आसपास के जिलों में भाजपा के कायस्थ चेहरा बने हुए हैं। संगठन स्तर पर भी भाजपा ने डॉ.सत्येन्द्र सिन्हा और राहुल श्रीवास्तव को महत्व दिया है।
कभी अवधेश श्रीवास्तव और सुनील शास्त्री से होती थी विधानसभा की पहचान
गोरखपुर विधानसभा सीट से कभी कायस्थों का वचर्स्व होता था। 1974 और 1977 में अवधेश श्रीवास्तव ने चुनाव जीता। पहली बार वे भारतीय जनसंघ के टिकट पर तो दूसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद 1980 और 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में सुनील शास्त्री भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल हुए। लेकिन इसके बाद कायस्थ बिरादरी को जीत नसीब नहीं हुई। चार बार शिव प्रताप शुक्ला तो चार बार डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2022 में पहली बार योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीते। दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। कायस्थों का समर्थन पाने के लिए डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल चित्रगुप्त मंदिर से बराबर संपर्क में रहते हैं। पिछले दिनों कलम दवात की पूजा में नहीं शामिल होने पर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि लंबे समय बाद शहर से बाहर होने के चलते कलम दवात की पूजा में शामिल नहीं हो पा रहा हूं।