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Lok Sabha Election 2024: दिग्गजों के बेटों को मैदान में उतार सपा ने योगी के गढ़ में साधा जातिगत समीकरण
Lok Sabha Election 2024: सपा ने गोरखपुर में काजल निषाद और संतकबीर नगर में लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद के रूप में निषाद वोटों को रिझाने की कोशिश की है।
Lok Sabha Election 2024: गोरखपुर-बस्ती एचबी लोकसभा की नौ लोकसभा सीटों पर सपा और कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों के चेहरों से पर्दा हट गया है। बस्ती में राम प्रकाश चौधरी को छोड़ दें तो सपा-कांग्रेस ने नये चेहरों पर दांव लगाया है। कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे चेहरे भले ही पुराने हों लेकिन उनकी पार्टी नई है। क्षेत्र नया है। सपा ने न सिर्फ दिग्गजों को बेटों पर टिकट देकर भाजपा खेमे में हलचल पैदा किया है, बल्कि जातीय समीकरण को साधने की कोशिश भी की है। नौ लोकसभा सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। इससे भी भाजपा खेमे में मुश्किल है।
योगी के गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर-बस्ती के नौ लोकसभा सीटों पर ब्राह्मण, सैथवार, कुर्मी, निषाद वोटों का प्रभाव है। सपा और कांग्रेस गठबंधन ने इन जातियों के उम्मीदावारों को मैदान में उतार कर समीकरण साधने की कोशिश की है। सपा ने गोरखपुर में काजल निषाद और संतकबीर नगर में लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद के रूप में निषाद वोटों को रिझाने की कोशिश की है। पंडित हरिशंकर तिवारी को संतकबीर नगर के बजाए डुमरियागंज से टिकट देकर सपा ने ब्राह्मण वोटों को साधने की कोशिश की है। पिछले दिनों में विनय तिवारी के प्रतिष्ठानों पर पड़े ईडी के छापों को भी बदले की कार्रवाई बताने की कोशिशें हो रही हैं। महराजगंज में कांग्रेस के टिकट पर वीरेन्द्र चौधरी और बस्ती में दिग्गज राम प्रसाद चौधरी को मैदान में उतारकर भाजपा सरकार में मंत्री पंकज चौधरी को चुनौती दी गई है। इसी क्रम में देवरिया में कांग्रेस के टिकट पर अखिलेश प्रताप सिंह और कुशीनगर में पूर्व भाजपा विधायक जनमेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह पिंटू को मैदान में उतारकर सैथवार और क्षत्रीय वोटों को साधने की कोशिश की गई है।
पहली बार लोस चुनाव लड़ेंगे पिंटू सैंथवार
कुशीनगर में सपा से घोषित प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। कुशीनगर लोकसभा में कुर्मी सैंथवार वोटों की संख्या निर्णायक है। माना जा रहा है कि इसी समीकरण को देखते हुए पिंटू सैंथवार को सपा ने प्रत्याशी बनाया है। देवरिया सदर सीट से दो बार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे जन्मेजय सिंह के पुत्र पिंटू सैंथवार ने पिता के साथ रहकर राजनीति की बारीकियां सीखीं। 2017 में विधायक बनने के बाद जन्मेजय सिंह का वर्ष 2020 में निधन हो गया था। निधन से रिक्त सीट पर उपचुनाव हुए। तब पिंटू सैंथवार ने भी भाजपा से टिकट का दावेदारी की। टिकट नहीं मिलने पर निर्दल चुनाव लड़े। तब उन्हें अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू को कुल 19,299 वोट मिले थे। इसके बाद पिंटू सैंथवार ने 2022 में सपा ज्वाइन कर ली और विधानसभा चुनाव लड़े। उस चुनाव में भाजपा के शलभ मणि त्रिपाठी 1,06,701 वोट पाकर विजयी रहे। सपा प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह पिंटू 66,046 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत के जरिये भाजपा प्रत्याशी को घेरेगी सपा
सपा सरकार में मंत्री रहे लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को सपा ने संतकबीर नगर से टिकट दिया है। वह भाजपा के प्रत्याशी प्रवीण निषाद को टक्कर देंगे। प्रवीण निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे हैं। संतकबीर नगर के मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र के बेलहर कला के रहने वाले वाले हैं। लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद 2012 में मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। उन्हें अखिलेश यादव की सरकार में खाद एवं रसद राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था। 2016 में उन्हें मंत्री पद से हटाया गया तो सेतु निगम का अध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में सपा ने उन्हें प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन अंतिम क्षणों में उनका टिकट काटकर जय चन्द उर्फ जयराम पांडेय को टिकट थमा दिया था। वर्ष 2022 के चुनाव में पप्पू निषाद विधानसभा का टिकट मांग रहे थे। लेकिन समाजवादी पार्टी ने जयराम पांडेय को ही टिकट दे दिया।
डुमरियागंज में सपा से भीष्मशंकर वोटरों की अदालत में
डुमरियागंज में सपा ने पूर्वांचल के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी को मैदान में उतारा है। वह दो बार संतकबीर नगर से सांसद रह चुके हैं। पिछले कुछ महीनों से वह डुमरियागंज से तैयारी कर रहे थे लेकिन बीच में वह संतकबीर नगर में जनसंपर्क करने लगे थे। अब सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है तो पूरा परिवार जोरशोर से जुट गया है। बता दें कि उनके छोटे भाई और पूर्व विधायक बांसी विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार मिली थी। 11 अप्रैल से जिले में अचानक आकर पूर्व सांसद भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी ने लोगों से मिलना शुरू कर दिया था। तभी से इनके नाम की सपा प्रत्याशी होने की चर्चा शुरू हो गई थी।
पूर्व सांसद भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी ने चुनावी राजनीति की शुरुआत वर्ष 1999 में बलरामपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर की थी। जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2004 में सपा से खलीलाबाद से चुनाव लड़े और हार गए। वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में वह बसपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और खलीलाबाद लोकसभा सीट से सांसद बन गए। इसके बाद वर्ष 2009 में हुए चुनाव में भी बसपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल कर सांसद बन गए। हालांकि इसके बाद 2014 व 2019 के चुनाव में भी वह संतकबीरनगर से बसपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे पर हार का सामना करना पड़ा।