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Gorakhpur News: बोलीं मेधा पाटकर, अडानी की संपत्ति रोज 1600 करोड़ बढ़ रही है, गरीब को पांच किलो राशन में चुप करा रहे
Gorakhpur News: गोरखपुर में बोलीं मेधा पाटकर ने कहा, अडानी की संपत्ति हर रोज 1600 करोड़ बढ़़ रही है जबकि 80 करोड़ जनता को पांच किलो राशन पर संतुष्ट रहने को कहा जा रहा है।
Gorakhpur News: प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा है कि आज देश बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण की प्रक्रिया से प्राप्त समानता, न्याय, समाजवाद के मूल्य पर चोट पहुंचाई जा रही है। गैरबराबरी आज सबसे वीभत्स रूप से हमारे सामने है। अडानी की संपत्ति हर रोज 1600 करोड़ बढ़़ रही है जबकि 80 करोड़ जनता को पांच किलो राशन पर संतुष्ट रहने को कहा जा रहा है। लॉकडाउन में अमीरों की सम्पत्ति छह गुना बढ़ गयी। पूंजीपतियों का 44 लाख करोड़ का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया।
पाटकर ने कहा कि कानून में संशोधन कर और कानून को बदल कर किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, के हक हकूक छीने जा रहे है। आंदोलनों की आवाज को कुचलने के लिए जनता को बांटने व लड़ाने का प्रयास हो रहा है। ऐसे समय में जनआंदोलनों की राजनीति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। हमे एक होकर संगठित शक्ति में बदलना होगा और देश, संविधान, जनतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी।
गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब सभागार में संवाद कार्यक्रम में बोलीं मेधा पाटकर
मेधा पाटकर आज गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब सभागार में जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोल रही थीं। उन्होंने एक घंटे के अपने वक्तव्य में कहा कि जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने अपने गठन के दौरान देश बचाओ, देश बनाओ का नारा दिया था। यह नारा आज भी बेहद महत्वपूर्ण है। देश को मूर्ति नहीं है बल्कि इस देश की जनता है। लोकतंत्र के स्तम्भ का पहला स्तम्भ देश की जनता है। देश बचाने का मतलब जल, जंगल, जमीन बचाना है। पर्यावरण बचाना है, देश के संसाधनों को बेचने से बचाना है।
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उन्होंने कहा कि आज हम एकदम विपरीत प्रक्रिया के अनुभव से गुजर रहे हैं। आवास का अधिकार, जीने का अधिकार, रोजगार का अधिकार, बोलने के अधिकार पर हमला हो रहा है। ऐसी अर्थव्यवस्था निर्मित की जा रही है जिसका रोजगार से कोई रिश्ता नहीं है। लाखों सरकारी पद खाली हैं। देश की संपदा पूंजीपतियों को बेची जा रही है। अर्थव्यवस्था पूंजीपतियों को और अमीर और देश की बहुसंख्यक जनता को गरीब बनाने की दिशा में चल रही हैं।
उन्होंने समूचे करण प्रणाली में बदलाव पर जोर देते हुए कहा कि यदि देश के अमीरों की संपत्ति पर दो फीसदी वेल्थ टैक्स लगा दिया जाए तो सभी को शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त उपलब्ध कराया जा सकता है। कृषि कानूनों सहित कई कानूनों में संशोधन व बदलाव की चर्चा करते हुए उन्होंने जनता के सामने कानूनों के रखने और चर्चा कराने के बजाय उसे आनन-फानन में बदला जा रहा है। कानून बदलने का मकसद जनता के अधिकारों में कटौती करना और पूंजीपतियों को देश का संसाधन सौंपना हैं। वन संरक्षण कानून में संशोधन कर हजारों हेक्टेयर जंगल अडानी को सौंपने की तैयारी चल रही है। मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के 38 वर्ष के संघर्ष, उस पर हुए दमन और आंदोलन की उपलब्धियों की चर्चा की और कहा कि आज नर्मदा का पानी पीने लायक नहीं रह गया है। नर्मदा जैसी स्थिति हर नदी की बना दी गई है।
जनता को दबाने का किया जा रहा प्रयास
उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन का सवाल केवल आदिवासियों का नहीं हैं हम सभी का है और हमें उनको बचाने के लिए आगे आना चाहिए। मणिपुर और हरियाणा में हिंसा और उत्तराखंड में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस लोगों को बांटने और आपस में लड़ाने का कार्य कर रही है। इसका मकसद अपने अधिकारों के लिए उठ खड़ी हो रही जनता को बांटने और उसकी आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश, जनतंत्र, संविधान, समाजवाद और अपने बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए आज बहुत अधिक संगठित शक्ति की जरूरत है। ऐसे संगठित शक्ति में महिलाओं की व्यापक भागीदारी होनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने किया।