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Gorakhpur News: प्राकृतिक संसाधनों से तैयार दवाएं कोरोना में कारगर बनीं, भविष्य भी इन्हीं दवाओं का, 'बायोनेचर कॉन-2023' में बोले दिग्गज

Gorakhpur News: महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति प्रो. उदय प्रताप सिंह (प्रो. यूपी सिंह) ने कहा है कि प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा की भारतीय पद्धति सदैव प्रासंगिक बनी रहेगी।

Purnima Srivastava
Published on: 17 Dec 2023 7:39 PM IST
Gorakhpur News: प्राकृतिक संसाधनों से तैयार दवाएं कोरोना में कारगर बनीं, भविष्य भी इन्हीं दवाओं का, बायोनेचर कॉन-2023 में बोले दिग्गज
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Gorakhpur News: महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति प्रो. उदय प्रताप सिंह (प्रो. यूपी सिंह) ने कहा है कि प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा की भारतीय पद्धति सदैव प्रासंगिक बनी रहेगी। कोरोना काल मे जब पूरी दुनिया त्रस्त थी, तब प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ने मानव जीवन को बचाया।

प्रो. यूपी सिंह रविवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय व फार्मेसी संकाय के संयुक्त तत्वावधान एवं ट्रांसलेशन बायोमेडिकल रिसर्च सोसायटी के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समारोप (समाप सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। एडवांसेज एंड ऑपर्चुनिटीज इन ड्रग डिस्कवरी फ्रॉम नेचुरल प्रोडक्ट्स 'बायोनेचर कॉन-2023' विषयक संगोष्ठी के समारोप अवसर पर उन्होंने कहा कि निरोग बने रहने को दुनिया एक बार फिर प्राकृतिक संसाधनों से बन रही औषधियों को अपनाने पर जोर दे रही है। ऐसे में जरूरत है कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को समयानुकूल जरूरतों के अनुसार अनुसंधान पूर्वक आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे ही प्रयासों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी वास्तव में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान समान है।

प्रो यूपी सिंह ने कहा कि विजन, एक्शन और मिशन के एकसाथ मिलने पर ही क्रिएशन होता है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय इसके कुलाधिपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन, यहां की फैकल्टी व अन्य कार्मिकों के एक्शन और समाज को अनुसंधानपरक ज्ञान उपलब्ध कराने के मिशन का मूर्त रूप है। दो साल के भीतर की इस विश्वविद्यालय की उपलब्धियां बेहद शानदार हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए ज्ञान, कौशल, दृष्टि, पहचान और संतुलन को शिक्षा के पांच महत्वपूर्ण उद्देश्य के रूप में समझाया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह ने कहा कि आयुर्वेद समेत प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा की उपादेयता को विस्तार देने के लिए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के सतत प्रयास सराहनीय हैं। राष्ट्रीय संगोष्ठी विश्वविद्यालय के इन प्रयासों को नया आयाम देगी। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के निष्कर्ष आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा को नई दृष्टि देकर आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसधानो में असीम संभावनाएं हैं जो हम सभी को स्वस्थ और ठीक करने में सक्षम हैं। हमे इस दिशा में अपने योगदान को प्रमाणित करने कि जरूरत है। प्रो. सिंह ने कहा कि हमारे आसपास की समस्त वनस्पतियां औषधी गुणों से युक्त हैं। हमे उनके बारे में जानने का प्रयास करना चाहिए। प्रो. सिंह ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में आयुर्वेद के साथ ही नर्सिंग, पैरामेडिकल, फार्मेसी, बायोमेडिकल जैसी सभी विधाएं और सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को नसीहत दी कि वे अपने विषय के अलावा मिलते जुलते विषयों में भी अभिरुचि बढ़ाएं।


ज्ञान व अनुसंधान का संगम बन गई राष्ट्रीय संगोष्ठी : डॉ. वाजपेयी

इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि तीन दिन तक विशद मंथन से यह संगोष्ठी प्राकृतिक संसाधनों के ज्ञान और अनुसंधान का संगम बन गई। उन्होंने प्रतिभागियों और विद्यार्थियों से यहां वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के द्वारा बताए गए अनुभव को अपने व्यावहारिक अध्ययन का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया। समापन सत्र में स्वागत संबोधन महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो. सुनील कुमार ने तथा आभार ज्ञापन फार्मेसी संकाय के प्रिंसिपल प्रो. शशिकांत सिंह ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के सह संयोजक ट्रांसलेशनल बायोमेडिकल रिसर्च सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार भी मंचासीन रहे। राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने समस्त विश्वविद्यालय परिवार को साधुवाद दिया है। इस पूरे आयोजन में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक, विद्यार्थी एवं देश के विभिन्न प्रान्तों से आये वरिष्ठ वैज्ञानिक, शोधार्थी आदि उपस्थित रहे।

पवन कन्नौजिया को यंग साइंटिस्ट अवार्ड

इस संगोष्ठी में ओरल प्रेजेंटेशन में कुल 14, पोस्टर प्रेजेंटेशन में कुल 40 और यंग साइंटिस्ट अवार्ड में कुल 7 लोगो ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी के सह संयोजक व ट्रांसलेशनल बायोमेडिकल रिसर्च सोसायटी के अध्यक्ष डॉ दिनेश कुमार ने यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड्स ओरल प्रेजेंटेशन, पोस्टर प्रेजेंटेशन के विजय प्रतिभागियों के नाम की घोषणा की। यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड्स में प्रथम स्थान महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य पवन कुमार कन्नौजिया, द्वितीय स्थान दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय की शोध छात्रा प्रियंका भारती एवं तृतीय स्थान महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ अवेद्यनाथ सिंह को प्राप्त हुआ। पोस्टर प्रेजेंटेशन में प्रथम स्थान एसजीपीजीआई की शोध छात्रा अमृता साहू, द्वितीय स्थान महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की शोध छात्रा अंजली राय, तृतीय स्थान एसजीपीजीआई लखनऊ के शोध छात्र कार्तिक दुबे को प्राप्त हुआ एवं ओरल प्रेजेंटेशन में प्रथम स्थान सीबीएमआर लखनऊ की शोध छात्रा रिमझिम त्रिवेदी, द्वितीय स्थान सीएसआईआर लखनऊ के शोध छात्र रोहित सिंह तथा तृतीय स्थान एसजीपीजीआई लखनऊ के शोध छात्र गुरविंदर सिंह को प्राप्त हुआ।

कोविड के इलाज में पॉलीहर्बल दवा आयुष-64 के अप्रत्याशित परिणाम : प्रो. रेड्डी

राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने अपने शोध अनुभव साझा कर प्रतिभागियों और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रस शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. के रामचंद्र रेड्डी ने 'डिजाइनिंग एंड डेवलपमेंट ऑफ आयुर्वेदिक दोसगे फॉर्म्स फॉर द मैनेजमेंट ऑफ सार्स कोविड-19' विषय पर शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कोविड महामारी के समय आशा की किरण के रूप में वर्णित पॉलीहर्बल दवा आयुष- 64 के अप्रत्याशित परिणाम प्राप्त हुए। इसे मूल रूप से 1980 में मलेरिया के इलाज के लिए विकसित किया गया था। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए परीक्षणों से पता चला है कि आयुष - 64 में उल्लेखनीय एंटीवायरल, इम्यून-मॉड्यूलेटर और एंटीपायरेटिक गुण हैं।

एक सत्र में आरएमआरसीगोरखपुर के डॉ. गौरव राज ने 'ड्रग रेजिस्टेंस रेवेर्सल पोटेंशियल ऑफ़ नेचुरल प्रोडक्ट्स' विषय पर अपने शोध के माध्यम से बताया कि प्राकृतिक उत्पाद धीरे-धीरे सुरक्षित और प्रभावी कैंसर रोधी यौगिकों के मूल्यवान स्रोत के रूप में उभर रहे हैं। प्राकृतिक उत्पाद ईएमटी प्रक्रिया को उलट कर कैंसर दवा प्रतिरोध में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकते हैं। अलग अलग सत्रों में सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च लखनऊ में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड इमेजिंग के हेड प्रो. नीरज सिन्हा, अलगप्पा विश्वविद्यालय तमिलनाडु में बायो इंफॉर्मेटिक्स साइंस के प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार सिंह आदि ने विविध शोध विषयों पर व्याख्यान दिए।



Shashi kant gautam

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