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Gorakhpur News: विज्ञापन कंपनी से मिलकर नगर निगम को लगाया तीन करोड़ का चूना, किसके शह पर चल रहा था खेल?
Gorakhpur News: नगर आयुक्त ने विज्ञापन में गोलमाल की जांच के बाद तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। इनपर 3 से 4 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है।
Gorakhpur News: नगर निगम को भ्रष्टाचार मुक्त करने के भले ही तमाम दावे हों लेकिन, घोटाला और गोलमाल कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ठेकेदार और निजी फर्मे तो नगर निगम को चूना लगा ही रही हैं। खुद नगर निगम के कर्मचारी भी इसमें संलिप्त है। नगर आयुक्त ने विज्ञापन में गोलमाल की जांच के बाद तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। इनपर 3 से 4 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। निलंबन के बाद यह सवाल तैर रहा है कि आखिर निगम कर्मचारियों को किस अधिकारी का सरंक्षण मिला हुआ था। विपक्षी आरोप लगा रहे हैं कि छोटी मछलियों के खिलाफ कार्रवाई कर बड़ों को बचाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक मेसर्स सेलवेल मीडिया सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को करीब 16 साल पहले 11 गेंट्री गेट, 23 बस यात्री शेल्टर और 15 यूनिपोल मिले थे। इनके बदले में सालाना शुल्क के साथ कूड़ाघर एवं सौदर्यीकरण का काम करना था। 6 गेट्रीगेट हासिल करने वाले मेसर्स सेपर्स इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड के जिम्मेदारों परआरोप है कि उन्होंने निगम के कर्मचारियों से मिलकर करीब 3 से 4 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। नगर निगम ने फरवरी 2021 में नगर निगम ने नई विज्ञापन नियमावली लागू की। नियमावली में स्पष्ट प्रावधान था कि लागू होने की तिथि के पूर्व के सभी विज्ञापन संबंधी आवंटन मसलन गेंट्री गेट, यूनिपोल, बस यात्री शेल्टर रद्द किए जाते हैं। लेकिन फाइल को गायब कर फर्मों को लाभ दिया जाता रहा।
महापौर को मिली थी शिकायत
महापौर डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ लोगों से गेंट्रीगेट, यूनिपोल एवं शेल्टर के आवंटन में अनियमितता की शिकायत मिली थी। नगर आयुक्त से कई बार इसकी जांच के लिए, रिमाइंडर भी नहीं मिला। उधर नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि 2007 के मामले को लेकर महापौर की ओर से शिकायत मिली थी। संबंधित फर्मों की फाइल अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने मांगी तो कर्मचारी उपलब्ध नहीं करा सके। इस मामले में अपर नगर आयुक्त ने तीनों कर्मियों का निलंबित किया है।
कर्मचारियों पर फाइल गायब करने का आरोप, हुए निलंबित
नगर निगम के वरिष्ठ लिपिक (वर्नाकुलर रिकार्ड कीपर) देवानंद तिवारी, कनिष्ठ लिपिक (चालक) मोहम्मद रिजवान और नायब मोर्हिरर (मुंशी) ज्ञान पाण्डेय पर दो फर्मों के एग्रीमेंट की फाइल को गायब करने का आरोप है। फाइल गायब होने के चलते फर्मों को पर्दे के पीछे से हर महीने लाखों रुपये का लाभ मिल रहा था। जानकारी के मुताबिक, मेसर्स सेलवेल मीडिया सर्विस प्राइवेट लिमिटेड एवं मेसर्स सेपर्स इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने गेंट्री गेट, बस यात्री शेल्टर और यूनिपोल का आवंटन कराया था। बदले में इन्हें कुछ कूड़ाघर का निर्माण, सौंदर्यीकरण के काम करने थे। गेंट्री गेट एवं बस यात्री शेल्टर एवं यूनिपोल का आवंटन सिर्फ 15 साल के लिए किया गया था। बदले में सालाना 1875 रुपये प्रति गेंट्री गेट, बस यात्री शेल्टर एवं यूनिपोल निगम में जमा करना था। हर साल 10 फीसदी की सालाना शुल्क में बढ़ोत्तरी की शर्त थी। महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक इन लोगों ने निगम कर्मचारियों से मिलीभगत कर कोई शुल्क नहीं जमा किया। हेराफेरी कर आवंटन की अवधि भी 15 साल से बढ़ा कर 30 साल कर ली।