TRENDING TAGS :
National Dengue Day 2024: चिकनगुनिया के मुकाबले डेंगू में मृत्युदर अधिक, आरएमआरसी के रिसर्च में कई नये तथ्य मिले
Gorakhpur News: डॉ. राजीव ने बताया कि चिकनगुनिया के साथ डेंगू जानलेवा हो जाता है। जिन दो मरीजों में दोनों मिले थे। उनकी मौत हो गई।
Gorakhpur News: चिकनगुनिया से एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) होने पर 25 प्रतिशत मासूम दम तोड़ देते हैं। चिकनगुनिया और डेंगू दोनों एईएस की वजह हों तो खतरा और बढ़ जाता है। एडीज मच्छर से होने वाले चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण में मृत्युदर 0.1 फीसदी से कम है। चिकनगुनिया के मुकाबले डेंगू में मृत्युदर ज्यादा है हालांकि तब भी एक प्रतिशत से कम है। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के रिसर्च में ये तथ्य सामने आए हैं।
आरएमआरसी की टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2022 में भर्ती एईएस के 238 मरीजों पर रिसर्च की है। बाल रोग और मेडिसिन विभाग में भर्ती एईएस के मरीजों में 12 चिकनगुनिया से पीड़ित मिले थे, इनमें से तीन की मौत हो गई। दो मरीजों में एईएस की वजह चिकनगुनिया के साथ डेंगू भी पाया गया, इन दोनों मरीजों की मौत हो गई। रिसर्च करने वाले आरएमआरसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह और डॉ. पूजा भारद्वाज ने सबसे पहले एईएस मरीजों में चिकनगुनिया की पहचान की। चिकनगुनिया के चिन्हित मरीजों में दूसरी बीमारियों के लिए एक बार फिर स्क्रीनिंग जांच की। डॉ. राजीव ने बताया कि सबसे खतरनाक बात यह है कि मरीज में चिकनगुनिया के साथ कई बीमारियां को-इन्फेक्शन के तौर पर मिली हैं। चिकनगुनिया के 12 मरीजों में से सात में स्क्रब टायफस मिला। दो में डेंगू मिला। एक मरीज में जेई मिला। जबकि एक मरीज में जेई, डेंगू और स्क्रब टायफस के इंफेक्शन एक साथ मिले। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2022 में एईएस के 238 मरीज भर्ती हुए थे। इन मरीजों में से 27 की मौत हुई थी। मरने वाले ज्यादातर मरीज बस्ती व बिहार के थे। गोरखपुर मंडल के 152 मरीज भर्ती हुए। जिसमें 15 की मौत हुई थी। जबकि बस्ती के 12 मरीजों में से चार की मौत हो गई थी। बिहार के 27 मरीज भर्ती थे। जिनमें से चार की मौत हो गई थी। यहां जानना जरूरी है कि पूर्वी यूपी में इंसेफेलाइटिस करीब पांच दशक से कहर बरपा रही है। वर्ष 2002 से लेकर 2014 तक तो बीमारी का सबसे भयानक दौर रहा। वर्ष 2005 से 2009 तक तो हर साल एक हजार से अधिक मासूमों की मौत हो जाती थी। योगी सरकार का दावा है कि इंसेफेलाइटिस पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है। जल्द इसके खत्मे का ऐलान हो जाएगा।
चिकनगुनिया के साथ डेंगू जानलेवा
डॉ. राजीव ने बताया कि चिकनगुनिया के साथ डेंगू जानलेवा हो जाता है। जिन दो मरीजों में दोनों मिले थे। उनकी मौत हो गई। इसके अलावा एईएस के नौ अन्य मरीजों में सिर्फ डेंगू हुआ था। वे सभी मरीज इलाज से स्वस्थ हो गए। चिकित्सकों का कहना है कि तेज बुखार के साथ झटका आने पर मरीजों में जेई, डेंगू, स्क्रब टायफस, चिकनगुनिया, मलेरिया और लैप्टो स्पायरा की जांच की जाती है। रिसर्च में चिकनगुनिया की जीनोटाइपिंग की गई। इसमें चिकनगुनिया का ईसीएसए वैरिएंट मिला। यह नए प्रकार का वैरिएंट है। जो कि पुराने एशियन वैरिएंट से थोड़ा सा अलग है। इसकी मारक क्षमता अधिक है।