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National Microwave Oven Day: पांच साल में तीन गुना से अधिक बढ़ गई माइक्रोवेव ओवन की बिक्री, यह है बड़ी वजह
National Microwave Oven Day: पांच साल में माइक्रोवेव ओवन का कारोबार तीन गुना से अधिक हो चुका है। कारोबारी अतुल वर्मा का कहना है कि पहले ओटीजी 8 से 10 हजार रुपये में मिलते हैं।
National Microwave Oven Day: यूपी के गोरखपुर जिले में महेवा बाजार निवासी अनुराग गुप्ता प्राथमिक स्कूल में शिक्षक हैं, तो उनकी पत्नी बबिता मल्टीब्रांड शो रूम में मैनेजर का काम करती हैं। बबिता रोज सुबह शो रूम जाने से पहले नाश्ते के साथ दोपहर का लंच भी तैयार कर देती हैं। अनुराग दोपहर में ही ड्यूटी से लौट आते हैं। इसके बाद माक्रोवेव ओवन में रोटी से लेकर सब्जी-दाल को गर्म कर लेते हैं। गरम खाना उन्हें बिना पत्नी के परोसे ही मिल जाता है।
असल में अनुराग और बबिता जैसे दंपति की संख्या तो बढ़ ही रही है, हॉस्टल और भागदौड़ की जिंदगी में माइक्रोवेव ओवन किचन की खास जरूरत बन गया है। जरूरत ही है कि पांच साल में माइक्रोवेव ओवन का कारोबार तीन गुना से अधिक हो चुका है। कारोबारी अतुल वर्मा का कहना है कि पहले ओटीजी 8 से 10 हजार रुपये में मिलते हैं। अब उससे अपग्रेड माइक्रोवेव ओवन 6000 से लेकर 15000 रुपये में मिल जा रहे हैं। एकल परिवारों और कामकाजी महिलाओं के चलते माइक्रोवेव ओवन की मांग बढ़ी है। मेडिकल रोड पर बड़े शो रूम के मैनेजर अजीत दास बताते हैं कि दस साल पहले तक ओटीजी या फिर माइक्रोवेव ओवन किसी परिवार का स्टेटस सिंबल माना जाता था। लेकिन वर्तमान समय में ज्यादातर परिवारों में रसोई में माइक्रोवेव अनिवार्य हो गया है। माइक्रोवेव की कीमत 5000 से लेकर 40000 रुपये तक है। मोहद्दीपुर में इलेक्ट्रानिक्स शो रूम में मैनेजर मनीष अग्रवाल का कहना है कि अब सामान्य परिवार में इसकी खरीद हो रही है। लोग अब स्टेटस सिंबल के लिए जरूरत के लिए खरीद रहे हैं। इसीलिए रेस्टोरेंट से लेकर हॉस्टल लाइफ में माइक्रोवेव ओवन का दखल है। समाज शास्त्री डॉ.मनीष मिश्रा का कहना है कि परिवारों में ढांचे में समय के साथ हो रहे बदलाव रसोई की जरुरतों को भी बदल दिया है। जब संयुक्त परिवार में एक साथ भोजन होता था, तो सभी को गरम-गरम रोटियां मिलती थीं। लेकिन कामकाजी महिलाएं, वक्त की कमी और एकल परिवारों के चलन ने माइक्रोवेव को रसोई को महत्वपूर्ण सदस्य बना दिया है।
रेडी टू कुक मील ने बढ़ाया माइक्रोवेव का क्रेज
दशक भर पहले जहां हर साल जिले में बमुश्किल 4 से 5 हजार ओटीजी या फिर माइक्रोवेव ओवन की बिक्री होती थी। लेकिन बदलते माहौल में हर साल 14 से 18 हजार माइक्रोवेव ओवन की बिक्री हो रही है। नोएडा के एक निजी विश्वविद्यालय से स्नातक कर रहीं आस्था श्रीवास्तव कहती हैं कि अब रेडी टू कुक मील मिल रहा है। इसे माइक्रोवेव में चंद मिनटों में खाने योग्य बनाया जा सकता है। हॉस्टल लाइफ में इससे बेहतर कुछ नहीं।