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Gorakhpur News: 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति: संकल्प से सिद्धि तक' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

Gorakhpur News: प्रो. हरिकेश सिंह शनिवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड, गोरखपुर के बी. एड. विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: संकल्प से सिद्धि तक' के शुभारंभ समारोह को संबोधित किए।

Dr S K Mishra
Published on: 7 Oct 2023 7:11 PM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Pic:Newstrack)

Gorakhpur News: गोपाल नारायन सिंह विश्वविद्यालय सासाराम बिहार के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। यह नीति लोक कल्याण के संकल्प से परिपूर्ण है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में बड़ा सुधार है। प्रो. हरिकेश सिंह शनिवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड, गोरखपुर के बी. एड. विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: संकल्प से सिद्धि तक' के शुभारंभ समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लोक कल्याण के संकल्प से परिपूर्ण: प्रो.हरिकेश सिंह

समारोह की अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर की कुलपति प्रो. पूनम टंडन तथा विशिष्ट अतिथि दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के शिक्षा संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. शोभा गौंड के साथ मां सरस्वती और भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रो. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताओं में कला तथा विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच संबंध पर बल। भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर, एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, की स्थापना। तथा वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये एक समावेशन शामिलl उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की अति महत्वपूर्ण भूमिका है और भारतीय शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और इस अनुरूप पढ़ाने जैसी नई चुनौतियों को स्वीकार कर शैक्षिक परिदृश्य में एक नई रोशनी दिखाई है।

प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में शिक्षा प्रसार और कौशल विकास हेतु सुचिता, समरसता, संकल्प, संगोष्ठी, संयम और संगम के साथ सिद्ध को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत कर रही हैl वस्तुत शिक्षा नीति के माध्यम से लोक कल्याण अर्थ की स्थिति पर पूर्ण हो रही है निज राष्ट्र की होती है और इसमें लोक महत्वपूर्ण होता है इसलिए लोक चित्र और लोक कल्याण इसकी केंद्र में है। आगे उन्होंने ब्यूटीफुल ट्री नामक पुस्तक का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीन लक्ष्य ट्री की संकल्पना को प्रस्तुत करते हैं जिसमें टीचिंग, रिसर्च, एक्सटेंशन के साथ एनहैंसमेंट तत्व आवश्यक है l

एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा की किसी काल खंड में महाराज द्वारा शिक्षा के उन्नयन के लिए संसद में भेजी गई संस्तुतियां यदि पूर्ण रूप से मान ली गई होती तो भारत का शैक्षिक दृश्य और उत्तम होता, इस संस्तुति को भारत का मैग्ना कार्टा इंडियन एजुकेशन कहा गयाl उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ महत्वपूर्ण पक्षों का उल्लेख करते हुए कहा की इस नीति में गवर्नेस और नेतृत्व पर भी बल दिया गया है जिसमें प्रशासन और संस्था-निर्माण के प्रयासों में गवर्नेस और नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें संस्था की प्रभावशीलता के सभी पहलू नेतृत्व और प्रशासनिक ढांचों पर निर्भर होंगे। शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता के संबंध में डिग्री कार्यक्रमों की अवधि निर्धारित करने में पर्याप्त स्वतंत्रता और शैक्षणिक लचीलेपन के साथ वित्त पोषण, पाठ्यक्रम विकास, छात्र का नामांकन, और संकाय भर्ती में शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता के महत्व को रेखांकित किया गया है।

विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हैप्पीनेस सेंटर की आवश्यकता: प्रो. पूनम टंडन

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति पूनम टंडन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शुभारंभ से भारतीय शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत होगी, जो पहले से काफी बेहतर होगा और एक नये भविष्य का निर्माण करेगा। यह एक उत्कृष्ट दूरदृष्टि का परिणाम है और एक प्रेरणादायक नीति दस्तावेज है जो भारतीय उच्च शिक्षा के परिदृश्य में एक मूलभूत परिवर्तन का आगाज करेगा। इसके तहत भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों को ईमानदारी और स्पष्टता के साथ पहचाना गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरे देश में लागू हो रही है शिक्षा के क्षेत्र में इस शिक्षा परिषद का देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है जैसे सतत रूप से कर रही हैl राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थी केंद्र है या नीति विद्यार्थियों को रोजगार की स्थिति के लिए भी है l डिजिटल शिक्षा प्रणाली तथा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों के कौशल विकास के प्रति भी यह शिक्षा नीति महत्वपूर्ण हैl

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कारण करना है जिसमें शिक्षा की स्थिति को ऐसी बनानी है जिसमें विदेशी छात्र भी आकर्षित हो सके इस शिक्षा नीति के माध्यम से ऐसी कोशिश को भी विकसित करना है जिस देश-विदेश के छत्रपति कर सकेl इस संबंध में ऐसी कोशिश डेवलप किए जाएं जिससे टूरिज्म को बढ़ावा मिले और भारतीय परंपरा तथा संस्कृति से लोगों को जोड़ने का अवसर भी मिल सकेl हर महाविद्यालय अपने यहां एक हैप्पीनेस सेंटर खोलें जिससे विद्यार्थियों की मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर किया जा सके इसकी संस्कृत राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण रूप से किया गया हैl राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल कोर्स करिकुलम तक सीमित ना रह सके इसलिए ऐसी तमाम प्रयासों को किया जा रहा है जिससे विद्यार्थी का कौशल विकास सुनिश्चित हो सके और आगामी भविष्य बेहतर हो सकेl

राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थी के पढ़ने के लिए ट्रांसफर सिस्टम पर भी बोल दिया गया है जिससे वह किसी दूसरे महाविद्यालय में पढ़ना चाहते हैं तो वहां अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं l वस्तुत उत्तर प्रदेश देश का ऐसा प्रथम राज्य है जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति अग्रणी भूमिका में लागू हैl उन्होंने यह भी कहा की यह शिक्षा नीति उत्कृष्टता के उद्देश्य से पूर्ण है जहा विश्व स्तरीय शिक्षा पर बल है जिसमें पूरी दृढ़ता से विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली के निर्माण की आकांक्षा की गई है और माना गया है कि यह भारत के भविष्य के लिए और ज्ञान परक समाज के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण और बेहद जरूरी है। यह बहु-विषयक शिक्षा व्यवस्था के तहत साइंस, टेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग और मेडिसिन में अध्ययन के साथ-साथ लिबरल आर्ट्स, मानविकी और सामाजिक विज्ञान पर जोर देने के साथ एक उदार, बहु-विषयक और अंतर-अनुशासनात्मक शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर भी बल है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रस्तुत कर रही है : प्रो. शोभा गौड़

विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. शोभा गौड़ ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र अपने सामाजिक सांस्कृतिक स्थितियों को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयत्न करता रहता है और यह शिक्षा के माध्यम से संभव होता हैl शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को उत्तरोत्तर विकास संभव हैl शिक्षा एक स्रोत है जो संपूर्ण रूप से समाज को परिष्कृत एवं उत्कृष्ट बनता हैl सटीक तरीके से भारत के भाग्य का निर्माण इस कक्ष में होता है जिस कक्ष में शिक्षा का निरंतर प्रभाव होता है शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व नेतृत्व तथा सर्वांगीण विकास करती हैl

प्रश्न नहीं होता है कि स्वतंत्रता के बाद मैकाले की शिक्षा प्रणाली भारत की सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की प्रतिपूर्ति करती है कि नहींl महात्मा गांधी ने गोलमेज सम्मेलन में कहा था कि मैं अंग्रेजों को भारत में उनकी हर कार्यों के लिए माफ करता हूं लेकिन इस बात के लिए माफ नहीं करता कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भारत की सुनहरे भविष्य को नष्ट कर दियाl उन्होंने कहा कि वस्तुत वस्तुत प्राचीन भारत की शैक्षिक व्यवस्था उत्कृष्ट थी इस व्यवस्था में त्रुटि कहां से उत्पन्न हुई इस संबंध का उल्लेख करते हुए गांधी जी ने इसका पूर्ण उल्लेख किया थाl वस्तुत प्राचीन भारत में शिक्षा आत्म प्रकाश, आत्मज्ञान तथा मुक्ति के रूप में देखा जाता था l विष्णु पुराण के सा विद्या में विमुक्तये श्लोक को भारतीय शिक्षा के पराकाष्ठा से भी समझा जा सकता हैl राष्ट्रीय संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य ने अतिथियों को स्मृतिचिन्ह भेंट कर स्वागत व सम्मान कियाl संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन उप प्राचार्य शिप्रा सिंह ने किया। इस संगोष्ठी में प्रमुख विद्वानों, शोधार्थियों सहित सभी विद्यार्थी तथा शिक्षक उपस्थित रहे।



Durgesh Sharma

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