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Gorakhpur: कभी गोरखनाथ मंदिर के हनुमान कहे जाने वाले ओमप्रकाश पासवान के परिवार में सांसद से लेकर पार्षद तक
Gorakhpur News: मानीराम से विधायक रहे ओमप्रकाश पासवान को कभी गोरखनाथ मंदिर का हनुमान कहा जाता था। वर्ष 1996 में जनसभा के दौरान उनकी बम फेंक कर हत्या कर दी गई थी।
Gorakhpur News: परिवारवाद के आरोप-प्रत्यारोप के बीच हकीकत यही है कि पूर्वांचल की राजनीतिक कुछ चुनिंदा परिवारों में सिमटी है। इसी में एक प्रभावशाली परिवार है ओमप्रकाश पासवान का। मानीराम से विधायक रहे ओमप्रकाश पासवान को कभी गोरखनाथ मंदिर का हनुमान कहा जाता था। वर्ष 1996 में जनसभा के दौरान उनकी बम फेंक कर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उनकी पत्नी सुभावती पासवान बांसगांव लोकसभा से जीतकर संसद पहुंची। बेटे कमलेश पासवान विधायक बने। अबकी बार बांसगांव लोकसभा सीट से भाजपा के सिंबल पर जीत का चौका मारने का दावा कर रहे हैं।
ओमप्रकाश पासवान ने सियायत में एंट्री बीडीसी सदस्य के रूप में की थी। बाद में वह चरगांवा ब्लाक के प्रमुख बने। इसके बाद पासवान मानीराम विधानसभा से विधायक बने। वर्ष 1996 में गोरखपुर के बांसगांव में ओम प्रकाश पासवान की जनसभा के दौरान बम फेंका गया था, जिसमें उनकी मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। इसके बाद अस्पताल में भी कई घायलों ने दम तोड़ दिया। यूपी के इतिहास में इस तरह की ये पहली घटना थी। घटना के बाद आरोपी दो बाइकों से फरार हो गए थे। इसके घटना ने पूर्वांचल की सियासत को हिलाकर रख दिया।
सुभावती पासवान बांसगांव से सांसद का चुनाव लड़ने उतरीं थीं
पति ओमप्रकाश पासवान की राजनीतिक विरासत को संभालने पत्नी सुभावती पासवान बांसगांव से सांसद का चुनाव लड़ने उतरीं। सपा के टिकट पर संसद पहुंचने वाली गोरखपुर-बस्ती मंडल की पहली महिला हुईं। सुभावती सपा सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं। ओम प्रकाश पासवान के भाई चन्द्रेश पासवान भी मानीराम विधानसभा से विधायक चुने गए। इसके बाद कमलेश पासवान ने भी मानीराम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया।
कमलेश पासवान 2009 से लगातार बांसगांव लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके जीत का अंतर भी साल दर साल बढ़ रहा है। उनके छोटे भाई डॉ.विमलेश पासवान भी चिकित्सा चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले सियासत में उतर गए। वह चरगांवा ब्लाक के प्रमुख रहे। बाद में डॉ.विमलेश पासवान ने 2017 में भाजपा के सिंबल पर बांसगांव विधानसभा से चुनाव लड़ा। पहली ही बार में डॉ.विमलेश सपा की शारदा देवी को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2022 में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल की और विधानसभा पहुंचे।
कमलेश की पत्नी रीतू भी रह चुकी हैं पार्षद
भाजपा सांसद कमलेश पासवान की पत्नी रीतू पासवान वर्ष 2006 से लेकर 2012 तक नगर निगम में पार्षद भी रह चुकी हैं। हालांकि उनके पास नगर निगम के चुनाव में परिवार से कोई नहीं उतरा।