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Gorakhpur News: 50 घंटे में 700 रुपये कुंतल तक गिर गईं प्याज की कीमतें
Gorakhpur News: प्याज की कीमतों में अचानक गिरावट से मुनाफाखोरों को मुश्किल हुई है। महेवा में प्याज को डंप करने वाले कुछ कारोबारियों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
Gorakhpur News: केन्द्र सरकार के प्याज के निर्यात पर रोक जारी रखने और हटाने को लेकर चंद घंटों की खामोशी में प्याज की कीमतों में 600 रुपये प्रति कुंतल तक बढ़ोतरी कर दी थी। जैसे ही केन्द्र सरकार की तरफ से साफ किया गया कि प्याज के निर्यात पर लगी रोक 31 मार्च तक जारी रहेगी, वैसे ही प्याज की कीमतें धड़ाघड़ कम होने लगीं। सोमवार और मंगलवार को थोक मंडी में 2200 से 2600 रुपये कुंतल प्याज बिका था। लेकिन गुरुवार को प्याज 1500 से 1900 रुपये कुंतल तक बिका। बाजार के जानकारों का कहना है कि कीमतें अभी और गिर सकती हैं।
प्याज के निर्यात पर लगी रोक पर पिछले तीन चार दिनों से अलग-अलग भ्रामक खबरों को लेकर मंडी में इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव दिख रहा है। प्याज के बंपर पैदावार के बाद विदेशों को जारी निर्यात पर रोक हटाने की भ्रामक खबरों के बाद गोरखपुर की सरहगंज से लेकर महेवा मंडी में कीमतें 2200 से लेकर 2700 रुपये कुंतल तक पहुंच गईं थी। ऐसे में फुटकर मंडी में कीमतें 30 से 35 रुपये किलो तक पहुंच गईं। लेकिन एक बार फिर सरकार द्वारा 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर रोक को लेकर बयान जारी करने के बाद गुरुवार को कीमतें 1600 से 2000 रुपये प्रति कुंतल तक आ गईं। असल में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि प्याज के निर्यात पर रोक नहीं हटाई गई है। यह रोक 31 मार्च तक जारी रहेगी।
डंप करने वालों को हुआ लाखों का नुकसान
प्याज की कीमतों में अचानक गिरावट से मुनाफाखोरों को मुश्किल हुई है। महेवा में प्याज को डंप करने वाले कुछ कारोबारियों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। पूर्वांचल सब्जी फल थोक बिक्रेता समिति के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि प्याज के निर्यात को लेकर भ्रामक खबरों के बाद नासिक से ही महंगा प्याज आ रहा था। जिससे कीमतें अचानक बढ़ गई थीं। बुधवार को थोक कीमतों में दो दिन की तुलना में 6 रुपये तक की गिरावट दर्ज की गई। कीमतें होली तक इसी दर पर स्थिर रहने की संभावना है। वहीं फुटकर कारोबारी मुकेश मौर्या ने बताया कि दो दिन पहले थोक में प्याज 27 रुपये प्रति किलो की दर से लाया था। अब 25 रुपये किलो बेचने की मजबूरी है।