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Gorakhpur News: राष्ट्रीय संगोष्ठी में केके मुहम्मद बोले- इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने की जरूरत
Gorakhpur News: गोरखपुर यूनिवर्सिटी के संवाद भवन में डीडीयू और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में इतिहास विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में केके मुहम्मद ने कहा कि मथुरा और ज्ञानवापी को हिन्दुओं को सौंपा जाना चाहिए।
Padmashri kk Mohammed (photo: social media )
Gorakhpur News: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले कुछ दिनों ने ज्ञानवापी को साक्षात विश्वनाथ का स्वरूप बता रहे हैं। इसी क्रम में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के उत्तर जोन के सेवानिवृत्त निदेशक पद्मश्री केके मुहम्मद ने ज्ञानवापी और मथुरा को लेकर बड़ा बयान दिया है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के संवाद भवन में डीडीयू और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में इतिहास विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में केके मुहम्मद ने कहा कि मथुरा और ज्ञानवापी को हिन्दुओं को सौंपा जाना चाहिए।
केके मुहम्मद ने कहा कि जो भी ऐतिहासिक विकास गुजरी सदियों में हुआ, उससे सबक लेकर मुसलमानों को मथुरा और ज्ञानवापी के स्थान को हिंदुओं को खुद ही उपहार की तरह सौंप देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की जो पवित्र इमारतें हैं, उसे कहीं अन्य उपयुक्त स्थल पर स्थानांतरित करने के लिए उन्हें आगे आना चाहिए। इस स्थानांतरण प्रक्रिया में पवित्रता एवं सम्मान का ध्यान रखा जाना चाहिए।
इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने की जरूरत
इतिहासकार ने कहा कि इतिहास में कुछ गलतियां हुई हैं, तो उनमें सुधार होना चाहिए। मुगलकाल में बड़ी संख्या में हिन्दुओं ने इस्लाम कुबूल किया। अयोध्या में जो मंदिर था, मुसलमान बनने के बाद लोगों को लगा होगा कि अब यह मस्जिद होनी चाहिए। इसलिए ऐसा किया गया होगा। उन गलतियों के लिए आज का मुसलमान जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी इतिहासकारों ने अयोध्या साइट से उत्खनन में प्राप्त अध्ययन सामग्री को लेकर मिथ्या प्रचार किया है।
सही बात कहने पर निलंबन की धमकी
केके मुहम्मद ने संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के सबूत के बाद बयान दिया तो कई इतिहासकारों ने विरोध किया। इतना ही नहीं ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में तैनाती के समय निलंबन की भी धमकियां मिलीं। उन्होंने बताया कि दिल्ली के कुतबुल इस्लाम मंदिर में उन्हें मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं। पुरातत्वशास्त्री कभी बिना साक्ष्य के बात नहीं करता है। साक्ष्य को मिटाया नहीं जा सकता है।