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Gorakhpur News: प्रेम,दया, क्षमा और अहिंसा की बेजोड़ कहानी है नाटक मायापरी

Gorakhpur News: नाटक मायापरी कथा वस्तु फ़ंतासी है जिसमें एक समुद्री डाकू जहाज के शो केस में शिक्षक, सैनिक, डॉक्टर, व्यवसायी और एक पागल विवाहित बूढ़ा जैसी पांच ‘धातु की गुड़िया’ है।

Purnima Srivastava
Published on: 4 Feb 2025 8:42 PM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News ( Photo - Social Media) 

Gorakhpur News: भारत रंग महोत्सव भारंगम के दूसरे दिन मंगलवार को बारी थी थिएलाइट कोलकाता वेस्ट बंगाल की। जिसने दर्शकों से खचाखच भरे बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में बांग्ला नाटक मायापरी की शानदार प्रस्तुति दी। निर्देशक अतनु सरकार ने समय को तय करने के लिए परियों की कहानियों का सहारा लिया। देखा जाए तो संजय चटोपाध्याय के नाटक मायापरी में परी कथा के आवरण में एक समसामयिक विषय छुपा है- सत्ता, आभाव, गिरावट और हिंसा। हालांकि सैकत मुखोपाध्याय की मूल कथा में नाट्य रूपांतरकार संजय चटोपाध्याय ने सबसे ऊपर प्रेम, दया, क्षमा और अहिंसा से नाटक मायापरी की कहानी को रूपाकार दिया है, जिसे कलाकारों ने अपनी संवाद अदायगी में जीवंतता के साथ बखूबी निभाया।

नाटक मायापरी कथा वस्तु फ़ंतासी है जिसमें एक समुद्री डाकू जहाज के शो केस में शिक्षक, सैनिक, डॉक्टर, व्यवसायी और एक पागल विवाहित बूढ़ा जैसी पांच ‘धातु की गुड़िया’ है। जो समाज में विभिन्न भूमिकाओं के लिए जानी जाती है। एक दिन जब जहाज डूब जाता है, तो यह पांच गुड़ियाएं एक निर्जन द्वीप पर तैरती है। इस द्वीप में एक छोटी सी परी आती है और वह बर्फीले तूफान में खो जाती है। इस बीच जंग लगे शरीर और जंग लगे दिमाग वाली कठपुतलियां बेईमानी से परी के पंखों में से पांच सबसे बड़े पंखों को अलग कर देती है और परी का इस्तेमाल अपने ज़रूरतों के लिए करना चाहती है।

परी अपनी जीवन शक्ति खो देती है। जहाज की तबाही और बर्फीले तूफान की मूल मास्टर माइंड चुड़ैलों की रानी परी वंश को नष्ट करना चाहती है और देवदार के जंगल पर कब्ज़ा करना चाहती है। चुड़ैलों की रानी रानी छोटी परी को मारना चाहती है। पूरे परी समाज को मानसिक रूप से वह कमजोर करना चाहती है। अपने परिवार और रिश्तेदारों से अलग होकर खोई नन्ही परी का जीवन मृत्यु के घेरे में है।

इस बीच जादूगरनी मायापरी आती है। उसे हिंसा और क्रूरता पसंद नहीं। परी के पंख के स्पर्श ने उन धातु की गुड़ियाओं में नई जान फूंक दी। गुड़ियां का जीवन मुक्त हो गया। हिंसक चुड़ैल मानसिक रूप से हार गई और उसने आत्म समर्पण कर दिया। परी ने मानव वन पर अपने पंख दिए। बांग्ला नाटक मायापरी में अलंकृता सरकार, सुकुमार दास, संकु कुमार दास,सैमसन माथुर चक्रवर्ती, उत्पल रजक, अतनु सरकार, पारोमिता दास, तन्द्रा चौधरी, उरनिशा बनर्जी, सालोक्य दास, सायंतन मित्रा, सानक कुमार साहा, सोमनाथ बोस, रुमा रजक, संपा दास सरकार ने विभिन्न भूमिकाओं में उल्लेखनीय अभिनय किया।

मंच से परे नृत्य गतियां शुभेंदु, प्रकाश अभिकल्पना सुजीत दास, संगीत समन्वयन सैमसन माथुर चक्रवर्ती, गायन सैमसन माथुर चक्रवर्ती, ऋतू श्री चक्रवर्ती, ध्वनि संपादन मानजीत मंडल, ध्वनि निष्पादन अधीर कुमार गांगुली, दृश्यबंध निर्माण मदन हलधर,वेशभूषा देवब्रत दास,रूप सज्जा समीर घोष,छायांकन अशोक बनिक और सुलेख विश्वजीत बिस्वास का रहा

इससे पहले भारत रंग महोत्सव भारंगम के समन्वयक श्री नारायण पांडेय ने सभी दर्शकों का स्वागत करते हुए रंग कर्म के क्षेत्र में गोरखपुर की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि गोरखपुर की जनता से मिल रहा सानिध्य और प्रेम हर पल कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। श्री पाण्डेय ने सभी दर्शकों को सात फरवरी तक चलने वाले भारत रंग महोत्सव में आने की अपील की।

5 फरवरी को होगा नाटक रघुनाथ

समन्वयक नवीन पाण्डेय ने बताया कि भारत रंग महोत्सव भारंगम के तीसरे दिन बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में बुधवार 5 फरवरी को शाम 6 बजे से अहिं, नागांव, असम द्वारा नाटक रघुनाथ की प्रस्तुति होगी। इस नाटक के लेखक और निर्देशक विद्युत कुमार नाथ होंगे।



Shalini singh

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