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Gorakhpur News: बदमाशों को पकड़ने में पेट्रोल-डीजल पर पुलिस ने खर्च कर दिये 5.20 करोड़ रुपये
Gorakhpur News: थानों की गाड़ियों पर खर्च के साथ ही यात्रा भत्ता भी करोड़ों पर है। पुलिस वालों पर यात्रा भत्ता के नाम पर 5.36 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस बदमाशों को दबोचने पर भारी भरकम रकम खर्च कर रही है। पिछले वित्तीय वर्ष का आकड़ा बता रहा है कि गोरखपुर पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने में सिर्फ डीजल-पेट्रोल पर 5.20 करोड़ रुपये खर्च कर दिये। एक बदमाश को पकड़ने में खर्च 3062 रुपये है। पेट्रोल-डीजल पर खर्च का यह आंकड़ा 2022-23 से करीब 14 लाख था। हालांकि डीजल-पेट्रोल की महंगाई और वाहनों की बढ़ी संख्या भी इसकी वजह बताई जा रही है। वहीं थानों की गाड़ियों पर खर्च के साथ ही यात्रा भत्ता भी करोड़ों पर है। पुलिस वालों पर यात्रा भत्ता के नाम पर 5.36 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने के लिए जिले और प्रदेश में ही नहीं देश में भी खूब सफर किया है। बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने के अलावा पेट्रोलिंग पर किए गए खर्च और जिला या फिर प्रदेश के बाहर जाने में खर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो 2023-24 में गोरखपुर में एक बदमाश को पकड़ने में पुलिस विभाग को 3062 रुपये खर्च करने पड़े हैं। हालांकि इसमें और स्टेशनरी सहित अन्य खर्च का आंकड़ा जोड़ा जाएगा तो यह रकम और बढ़ सकती है। आकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि गोरखपुर पुलिस ने विभिन्न अपराधों में 34485 आरोपितों को जेल पहुंचाया है। इनमें 27727 आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो वहीं 6758 ने पुलिस की दबिश के बाद डर से कोर्ट में सरेंडर कर दिया। यह सब करने में पुलिस विभाग को 10.56 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।
यात्रा भत्ता में खर्च हुए 5.36 करोड़ रुपये यात्रा भत्ता को लेकर जिम्मेदारों की दलील है कि पुलिस बदमाशों को पकड़ने के लिए दूसरे जिले या फिर प्रदेश के बाहर जानकारी जुटाने जाती है तो उसमें पुलिसवालों को पहले अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है। उसके बाद वह टिकट व अन्य खर्च का प्रोफार्मा भरकर आवेदन करते हैं जिसके बदले बजट की डिमांड कर पैसे का भुगतान किया जाता है। विवेचक के अलावा थाने के पैरोकारों की भी अच्छी खासी रकम होती है।
गोरखपुर पुलिस ने एक साल में 34 हजार से अधिक को जेल भेजा
गोरखपुर जिले में दर्ज मुकदमों के आधार पर 2023 में 34666 आरोपितों पर नामजद केस हुआ था। पुलिस ने जब विवेचना शुरू की तो इनमें से 1294 लोगों को गलत तरीके से फंसाते हुए आरोपित बनाया गया था तो वहीं 1441 नए आरोपितों का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने इनमें 27727 आरोपितों को जेल पहुंचाया तो वहीं 6758 ने पुलिस की दबिश के बाद कोर्ट में सरेंडर कर जेल चले गए। इस तरह से 34485 आरोपितों को एक साल में जेल पहुंचाया।