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Ayushman Card: 100 से अधिक बेड वाले निजी अस्पताल ही कर सकेंगे आयुष्मान कार्ड से इलाज

Ayushman Card: नियमानुसार अब 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान की सुविधा नहीं मिलेगा। हालांकि आईएमए के सचिव डॉ.अमित मिश्रा का कहना है कि आयुष्मान का लाभ नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

Purnima Srivastava
Published on: 29 Feb 2024 8:10 AM IST
poor praised government for free operation at Rani Durgavati Medical College in Banda up ki khabar
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सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)

Ayushman Card: यूपी के गोरखपुर समेत पूर्वांचल के बड़े शहरों में बड़े अस्पताल न तो खुद को आयुष्मान योजना से संबद्ध करा रहे हैं, न ही कार्ड धारकों का इलाज कर रहे हैं। संबंद्ध अस्पतालों की संख्या तो बढ़ गई, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं है। इसीलिए कोई यहां जाना भी नहीं चाहता है। ऐसे में छोटे अस्पताल आयुष्मान योजना में इम्पैनल्ड होकर विभागों की सांठगांठ से मरीजों के साथ इलाज के नाम पर धोखा दे रहे हैं। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि आयुष्मान कार्ड योजना से 100 से कम बेड वाले अस्पतालों को सूची में नहीं शामिल किया जाएगा। स्टेट हेल्थ एजेंसी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (साची) की ओर से यह निर्णय लिया गया है। इससे गोरखपुर के साथ लखनऊ, वाराणसी समेत प्रदेश के सात शहरों में बड़ा असर पड़ने वाला है।

गोरखपुर जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में काफी अंतर है। गोरखपुर में 162 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। इन अस्पतालों में बीते साढ़े पांच वर्ष में आयुष्मान कार्डधारक एक लाख 92 हजार 771 मरीजों का इलाज हुआ है। वहीं सरकारी अस्पतालों बीआरडी मेडिकल कॉलेज को छोड़ दें तो मरीज कहीं इलाज नहीं कराना चाहता है। गोरखपुर के 251 अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत इलाज की मंजूरी मिली हुई है। इसमें 89 अस्पताल सरकारी व 162 निजी अस्पताल हैं। साची ने अस्पतालों की इस लंबी-चौड़ी सूची को देखकर ही रोक लगाने का फैसला लिया है।

दिलचस्प यह है कि 60 सरकारी अस्पतालों में एक भी मरीज ने इलाज नहीं कराया है। देश में वर्ष 2018 में आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पतालों में 13002 मरीजों का इलाज हो चुका है। सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में हुआ है। सीएमओ डॉ.आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि साची की तरफ से आदेश मिला है। आवेदन करने वाले जो अस्पताल नए मानक के मुताबिक नहीं होंगे। नियमानुसार अब 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान की सुविधा नहीं मिलेगा। हालांकि आईएमए के सचिव डॉ.अमित मिश्रा का कहना है कि आयुष्मान का लाभ नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ बड़े अस्पतालों का आयुष्मान में रजिस्ट्रेशन से कारपोरेट अस्पतालों को बढ़ावा मिलेगा।

यूपी इन शहरों में दिखेगा असर

गोरखपुर के अलावा लखनऊ, बनारस, कानपुर नगर, प्रयागराज, बरेली और मेरठ जिले के अधिकांश नए अस्पताल आयुष्मान की सूची में इम्पैनल्ड(संबद्ध) नहीं हो सकेंगे। इन जिलों में आयुष्मान योजना में नए अस्पतालों को शामिल करने पर भी अघोषित रोक लग गई है। साची की सीईओ संगीता सिंह ने 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान सुविधा देने पर रोक लगा दी है।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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