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Gorakhpur News: हमेशा के लिए खामोश हो गई गोरखपुर आकाशवाणी से गूँजने वाली आवाज ‘पंचों जय जवान-जय किसान’

Gorakhpur News Today: कम्पियरिंग के अलावा इन्होंने आकाशवाणी गोरखपुर के लिए 500 से अधिक लघु नाटिकाओं का लेखन-निर्देशन भी किया। एक दैनिक अखबार में साप्ताहिक रुप से बेंगुची चलल ठोंकावे नाल नाम से जुगानी भाई स्तंभ काफी लोकप्रिय रहा

Purnima Srivastava
Published on: 14 Feb 2025 5:00 PM IST
Gorakhpur News Today Ravindra Srivastava Alias Jugani Bhai Passes Away
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Gorakhpur News Today Ravindra Srivastava Alias Jugani Bhai Passes Away

Gorakhpur News: गोरखपुर। रेडियो के साथ भोजपुरी साहित्य के प्रतिष्ठित नाम रवीन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई का निधन हो गया है। उन्होंने 14 फरवरी को अंतिम सांसें लीं। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। जुगानी भाई पर गोरखपुर यूनिवर्सिटी में शोध हो चुका है। वहीं वह कई प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल कर चुके थे।

आकाशवाणी गोरखपुर के सेवानिवृत कार्यक्रम अधिकारी जुगानी भाई पर दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग में शोध प्रबंध प्रस्तुत किया गया था।‘भोजपुरी की समकालीन काव्य चेतना और रवीन्द्र श्रीवास्तव जुगानी’ विषय पर प्रोफेसर रामदरस राय के निर्देशन में इसे पवन कुमार राय ने तैयार किया था। जुगानी भाई ने वर्ष 1978 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए तथा उसके पहले बीएएमएस करके फिजियोलॉजी की पढ़ाई की थी। उन्होंने गोरखपुर के आकाशवाणी केंद्र के ग्रामीण प्रसारणों की शुरुआत की थी। ग्राम जगत के कार्यक्रमों में उनके एक वरिष्ठ प्रसारक साथी (हरिराम द्विवेदी उर्फ हरी भैय्या) द्वारा दिया गया नाम ‘जुगानी भाई’ पूर्वी उत्तर प्रदेश के खेत खलिहानों तक लगभग तीन दशक तक गूंजता रहा। गोरखपुर आकाशवाणी से गूँजने वाली आवाज ‘पंचों जय जवान-जय किसान’ अब हमेशा के लिए खामोश हो गई है।

लघु नाटिकाओं का लेखन-निर्देशन भी किया

कम्पियरिंग के अलावा इन्होंने आकाशवाणी गोरखपुर के लिए 500 से अधिक लघु नाटिकाओं का लेखन-निर्देशन भी किया। एक दैनिक अखबार में साप्ताहिक रुप से बेंगुची चलल ठोंकावे नाल नाम से जुगानी भाई स्तंभ काफी लोकप्रिय रहा था।

कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे जुगानी भाई को

जुगानी भाई को अभी पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से लोकभूषण सम्मान, वर्ष 2013 में विद्याश्री न्यास का आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान एवं विद्यानिवास मिश्र लोककला सम्मान मिल चुका है। न्यास के सचिव दयानिधि मिश्र के अनुसार लोक कवि सम्मान के लिए चयनित जुगानी भाई ने आकाशवाणी गोरखपुर को अपनी प्रतिभा से समृद्ध किया है। उनकी रचनाएं ‘मोथा अउर माटी’, ‘गीत गांव-गांव के’, ‘नोकियात दूब’ और ‘अखबारी कविता’ जैसी कृतियों की रचनाकर उन्होंने भोजपुरी की थाती बढ़ाई थी। श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव को वर्ष 2015 में हिन्दी संस्थान ने भिखारी ठाकुर सम्मान भी दिया था। भोजपुरी भाषा के साहित्य को उच्चतम स्तर पर ले जाने में इनके योगदान को देखते हुए इन्हें यह पुरस्कार दिया गया था। उनकी लिखी पुस्तकें ‘ई कइसन घवहा सन्नाटा’, ‘मोथा अउर माटी’, ‘गीत गांव-गांव-, ‘नोकियात दूब, अबहिन कुछ बाकी बा’, ‘अख़बारी कविता’, ‘खिड़की के खोली’ आदि साहित्य जगत में सराही गई। उन्हें वर्ष 2001 में संस्कार भारती, 2002 में लोकभूषण, 2004 में भोजपुरी रत्न, 2009में सरयू रत्न, 2011 में पंडित श्याम नारायण पांडेय सम्मान तथा 2012 में राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार मिले थे।

चारों तरफ शोक की लहर

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह का कहना है कि मशहूर भोजपुरी कवि,लेखक और आकाशवाणी गोरखपुर पर भोजपुरी के जरिये खेती किसानी की जानकारी देने वाले रविन्द्र श्रीवास्तव जुगानी भाई के निधन की खबर अत्यंत दुःखद है। भोजपुरी भाषा को अप्रितम ऊँचाई देने के लिये उन्हें सदैव याद किया जाएगा।



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