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Gorakhpur News: कुत्ता काटे तो टीका के लिए AIIMS, BRD मेडिकल कॉलेज नहीं, सिर्फ यहां आएं

Gorakhpur News: गोरखपुर में रेबीज टीकाकरण का सबसे बड़ा केंद्र नेहरू जिला अस्पताल बन गया है। यहां रोजाना 100 से 150 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है।

Purnima Srivastava
Published on: 28 Sept 2024 9:09 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Pic: Social Media)

Gorakhpur News: मानक है कि किसी भी मेडिकल कॉलेज और एम्स में इनफेक्शियस डिजीज सेंटर अनिवार्य रूप से होगा। लेकिन गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स में कुत्ता या ऐसे जानवरों के काटने पर लगने वाली एंट्री रेबीज टीका नहीं लगता है। गोरखपुर में सिर्फ जिला अस्पताल में ही एंटी रेबीज टीका लगता है। हर महीने 3000 से 3500 लोगों को टीका लगता है। ऐसे में हमेशा किल्लत भी बनी रहती है।

नेहरू जिला अस्पताल टीकाकरण का सबसे बड़ा केंद्र

गोरखपुर में रेबीज टीकाकरण का सबसे बड़ा केंद्र नेहरू जिला अस्पताल बन गया है। यहां रोजाना 100 से 150 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है। जिला अस्पताल में हर महीने औसतन 3000 से 3600 मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जा रही है। दूर दराज से भी ले भी लोग टीका लगवाने के लिए आते हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तो एंटी रेबीज वैक्सीनेशन (एआरवी) का टीका सामान्य मरीजों को लगता ही नहीं है। बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में एआरवी सेंटर जरूर मौजूद है, लेकिन इसकी सुविधा सिर्फ अस्पताल के चिकित्सक, कर्मचारी एवं उनके पारिवारीजनों के लिए ही है।

बीआरडी में हाइड्रोफोबिया का इलाज नहीं

बीआरडी में हाइड्रोफोबिया का इलाज नहीं होता। जिन मरीजों को हाइड्रोफोबिया हो जाता है। उन्हें यहां से लखनऊ रेफर किया जाता है। हर महीने ऐसे आठ से 10 मरीज लखनऊ रेफर किया जा रहे हैं। बीआरडी की एसआईसी डॉ. कंचन श्रीवास्तव ने कहा कि इसमें तकनीकी दिक्कत है। बीआरडी को एआरवी फ्री में नहीं मिलती। वह सीएमओ को ही फ्री में मुहैया होती है। एम्स में भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसके लिए सेंटर संचालित नहीं है। एम्स प्रशासन इसको शुरू करने पर विचार कर रहा है।

सिर्फ कुत्ता नहीं इन जानवरों के काटने पर लगता है टीका

रेबीज कुत्ते, सियार, लोमड़ी, भेड़या, बंदर, चूहा, खरगोश, घोड़ा, गधा, खच्चर के लार में पाया जाने वाला वायरस होता है। यह जानवर जब इंसानों को काटते हैं तो वायरस खून में मिल जाता है। इसके कारण हाइड्रोफोबिया नामक घातक व जानलेवा बीमारी होती है। इस बीमारी के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज और एम्स में इन्फेक्शन डिजीज सेंटर होना अनिवार्य है। एनएमसी ने कई बार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन्फेक्शन डिजीज सेंटर संचालित करने के निर्देश दिए हैं। एनएमसी की टीम के निरीक्षण में इस पर आपत्तियां भी उठीं, लेकिन जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं।



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Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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