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Gorakhpur News: थानों में रखा जा रहा रजिस्टर ‘पी’ सुर्खियों में, इनमें दर्ज होने वाले रिकॉर्ड को लेकर डीजीपी का क्या है आदेश

Gorakhpur News: थानेदार इस रजिस्टर में गंभीर आरोप वाले प्रार्थना पत्र को दर्ज कर उसकी जांच करेंगे और इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर सीओ की अनुमति से केस दर्ज करेंगे।

Purnima Srivastava
Published on: 16 Nov 2024 9:23 AM IST
Gorakhpur News: थानों में रखा जा रहा रजिस्टर ‘पी’ सुर्खियों में, इनमें दर्ज होने वाले रिकॉर्ड को लेकर डीजीपी का क्या है आदेश
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थानों में रखा जा रहा रजिस्टर ‘पी’ सुर्खियों में   (photo: social media )

Gorakhpur News: यूपी के थानों में डीजीपी के आदेश के बाद सुरक्षित किया जाने वाला रजिस्टर ‘पी’ इन दिनों सुर्खियों में है। कई थानेदार इसे नहीं समझ रहे हैं। तो कई थानों पर इसे लेकर काम भी शुरू हो गया है। यह आदेश बीएनएस लागू होने के बाद अहम है। इसमें एनसीआर या फिर सात वर्ष से कम सजा वाले गंभीर मामलों का रिकॉर्ड रखा जाएगा।

एनसीआर या फिर सात वर्ष से कम सजा वाले गंभीर मामलों के लिए अब थानों में रजिस्टर ‘पी’ बनाया जाएगा। थानेदार इस रजिस्टर में गंभीर आरोप वाले प्रार्थना पत्र को दर्ज कर उसकी जांच करेंगे और इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर सीओ की अनुमति से केस दर्ज करेंगे। थानों में नए रजिस्टर को बनाए जाने के लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने आदेश जारी कर दिया है। इसके मानीटरिंग की जिम्मेदारी सीओ की होगी, तो समीक्षा एडिशनल एसपी करेंगे। रजिस्टर ‘पी’ थानों का 73वां रजिस्टर होगा। थानों में पहले से 72 रजिस्टर मौजूद हैं, जिसमें से 32 नियमित क्रियाशील होते हैं, जबकि अन्य सूचनार्थ होते हैं।

गम्भीर मामलों में क्षेत्राधिकारी के संज्ञान के बाद दर्ज होगा मुकदमा

बीएनएस लागू होने के बाद से ही एनसीआर केस दर्ज होने लगे हैं, जिस वजह से गिरफ्तारी नहीं हो पाती है। इसके अलावा थाने पर कई ऐसे प्रार्थना पत्र आते हैं, जिसमें गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे ही प्रार्थना पत्रों को दर्ज करने के लिए रजिस्टर ‘पी’ बनाए जाने का निर्देश दिया गया है। इस रजिस्टर में गंभीर मामलों को वैसे ही दर्ज किया जाएगा, जैसा तहरीर में लिखा रहेगा। फिर उस पर थानेदार खुद या किसी उप निरीक्षक को जांच सौंपेंगे, जो 14 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट तैयार कर देंगे। रिपोर्ट में गंभीरता होने पर थानेदार सीओ से केस दर्ज करने की अनुमति लेंगे और फिर केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। गंभीर मामला नहीं होने पर शिकायतकर्ता को देनी होगी जानकारी डीजीपी ने आदेश में लिखा है कि मामले में गंभीरता होने पर सीओ के निर्देश पर केस दर्ज होगा। वहीं, अगर मामला गलत पाया जाएगा, तो भी सीओ को बताना होगा। सीओ के माध्यम से ही शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी देनी होगी कि पुलिस की जांच में उसका मामला गलत पाया गया है और जांच रिपोर्ट से भी अवगत कराना होगा।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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