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Gorakhpur: मौत के बाद भी दुनिया देखेंगी डॉ.एसएन अग्रवाल की आंखें, ताउम्र देंगी नेत्रदान का संदेश

Gorakhpur News: गोरखपुर के प्रतिष्ठित रेडियोलॉजिस्ट डॉ.एसएन अग्रवाल मौत के बाद दो लोगों की आंखों से दुनिया देखेंगे।

Purnima Srivastava
Published on: 13 March 2024 3:19 AM GMT (Updated on: 13 March 2024 3:26 AM GMT)
Dr SN Aggarwal
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Dr SN Aggarwal (photo: social media )

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नेत्रदान को लेकर हर साल जागरूकता रैलियां निकलती हैं। गोष्ठी कर इसे महादान की संज्ञा दी जाती है। लोग नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन भी कराते हैं। लेकिन जब नेत्रदान की बारी आती है तो परिवार वाले ही पांव पीछे खींच लेते हैं। लेकिन गोरखपुर के अग्रवाल परिवार ने लोगों को संदेश दिया है कि नेत्रदान से मरने के बाद भी व्यक्ति दो आंखों में जिंदा रह सकता है। ऐसा करने का नतीजा है कि गोरखपुर के प्रतिष्ठित रेडियोलॉजिस्ट डॉ.एसएन अग्रवाल मौत के बाद दो लोगों की आंखों से दुनिया देखेंगे। उनकी आंखें दूसरे की जिंदगी में रंग ही नहीं भरेंगी, ताउम्र नेत्रदान का संदेश भी देंगी।

पूर्वांचल के सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डॉ सत्यनारायण(एसएन) अग्रवाल का सोमवार की देर शाम निधन हो गया। पूर्वी यूपी में रेडियोलॉजी सेंटर स्थापित करने वाले डॉ एसएन अग्रवाल ने पूरी जिंदगी समाज सेवा में ही गुजार दी। पूर्वोत्तर में शिक्षा की अलख जलाने में जिंदगी खपाने वाले डॉ.अग्रवाल ने मौत के बाद भी दो लोगों की नंगी आंखों से दुनिया देखने का इंतजाम कर दिया। वर्ष 1965 बैच के एमबीबीएस डॉ एसएन अग्रवाल की असली पहचान श्रीराम वनवासी छात्रावास के जरिए हुई। उन्होंने पूर्वोत्तर को उत्तर भारत से जोड़ने का अभियान चलाया। गोरखपुर व नेपाल के काठमांडू समेत आधा दर्जन स्थानों पर वनवासी आश्रम स्थापित किया। जहां पूर्वोत्तर व पहाड़ी क्षेत्र के गरीब परिवार के छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।

करीब 41 साल से यह छात्रावास संचालित है। उनके भाई और चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल बताते हैं कि भाई की इच्छा थी कि मरने के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाएं। सोमवार की रात निधन के बाद परिवार और हम सब भाईयों ने इच्छा को लेकर चर्चा की। सभी ने खुशी-खुशी हामी भर दी। नेत्रदान को लेकर काम करने वाले डॉ.अनिल श्रीवास्तव को इसकी जानकारी दी गई। चंद मिनटों बाद ही नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी हो गई। बड़े भाई भले ही शरीर रूप में हमारे साथ नहीं रहेंगे, लेकिन अपनी आंखों के जरिये दो लोगों की आंखों में रोशनी भरने के साथ ही ताउम्र नेत्रदान का संदेश देंगे। छोटे भाई डॉ. महेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि डॉ एसएन अग्रवाल की अंतिम इच्छा नेत्रदान करने की थी। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुर्दे के रोग से पीड़ित थे। पिछले आठ साल से डायलिसिस हो रही थी। सोमवार की देर शाम उनका निधन हो गया। इसके बाद पुत्र डॉ विक्रांत अग्रवाल से परिजनों ने चर्चा की। सभी ने अंतिम इच्छा का सम्मान करने का फैसला किया।

2000 हजार से अधिक पंजीकरण, नेत्रदान गिनती में

गोरखपुर में नेत्रदान को लेकर 2000 से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। लेकिन नेत्रदान करने वालों की संख्या दहाई में भी नहीं है। नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ.दुर्गेश श्रीवास्तव बताते हैं कि नेत्रदान में आंख की कर्निया निकाली जाती है। इससे पार्थिक शरीर को किसी प्रकार की क्षति भी नहीं होती है। दक्षिण की तरह पूर्वांचल में नेत्रदान को लेकर जागरूकता आएगी तो बड़ी संख्या की जिंदगी में अंधेरा हमेशा के लिए छंटेगा।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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