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Sonbhadra News: वाहनों की एनओसी में फर्जीवाड़े की सुगबुगाहट, दफ्तर से पत्रावलियां गायब
Sonbhadra News: बताया जा रहा है कि कुछ बाहरी और कुछ विभागीय लोगों की सांठगांठ से बड़े विभागीय बकाया या बड़े बैंक बकाया वाले दर्जनों वाहनों की फर्जी तरीके से एनओसी जारी की गई है।
Sonbhadra News: सोनभद्र स्थित परिवहन दफ्तर से वाहन रिलीज फर्जीवाड़े का बड़ा मामला लंबे समय तक सुर्खियों में रहने के बाद, अब एनओसी में फर्जीवाड़े की सुगबुगाहट से हड़कंप की स्थिति बनने लगी है। वर्ष 2011 से 2017 के बीच एनओसी को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा होने का दावा किया जा रहा है। फिलहाल इसके पीछे का सच क्या है? यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन जिस तरह की चर्चाएं सामने आ रही है उसको देखते हुए कहा जा रहा है कि मामले की गहराई से जांच की जाए तो, एनओसी का खेल वाहन रिलीज फर्जीवाड़े को काफी पीछे छोड़ता दिखाई दे सकता है।
बताया जा रहा है कि कुछ बाहरी और कुछ विभागीय लोगों की सांठगांठ से बड़े विभागीय बकाया या बड़े बैंक बकाया वाले दर्जनों वाहनों की फर्जी तरीके से एनओसी जारी की गई है। इस एनओसी के जरिए कई वाहनों का पंजीयन/नामांतरण दूसरे जिलों में कराया जा चुका है। सिर्फ गैर जनपद ही नहीं, गैर प्रांतों की भी एनओसी में बड़ा खेल खेले जाने का दावा किया जा रहा है। मंगलवार को कुछ ऐसे ही मामलों को लेकर, लोगों ने एआरटीओ दफ्तर पहुंचकर एआरटीओ प्रशासन धनवीर यादव से शिकायत की। दावा किया कि बैंको/फाइनेंस कंपनियों का बकाया रहने के बावजूद, विभागीय स्तर पर कई वाहनों का बकाया नील दिखा दिया गया है और गैर जनपद के लिए संबंधित वाहनों की एनओसी भी जारी कर दी गई है। एआरटीओ धनवीर यादव का कहना था कि संबंधित प्रकरण पहली बार उनकी संज्ञान में आया है। इसकी जानकारी कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
लंबे समय से आ रही फर्जीवाड़े की शिकायतें, नहीं हो पा रही कार्रवाई
बताया जा रहा है कि एनओसी फर्जीवाड़े की शिकायत लंबे समय से की जा रही है। कभी ऑनलाइन तो कभी दफ्तर जाकर संबंधितों को अवगत कराया जा रहा है लेकिन अब तक ऐसे मामलों में एक भी कार्रवाई सामने आ पाई है। ताजा मामला वर्ष 2011 से 2017 के बीच एक नहीं, कई वाहनों के फर्जीवाड़े से जुड़ा बताया जा रहा है। न्यूजटै्रक के हाथ लगे दस्तावेज बताते हैं कि ऐसे ही एक मामले को लेकर अगस्त-सितंबर 2018 में शिकायत की गई थी। 29 सितंबर 2018 को दिए गए जवाब में कहा गया था कि 11 फरवरी 2014 को प्रतापगढ़ के लिए एनओसी जारी की गई है। जिस बैंक से फाइनेंस बकाए का दावा किया जा रहा है, उसे समाप्त होने के बाद ही ई-एनओसी जारी की गई।
विभागीय दावा - जनवरी 2014 में बकाया समाप्त, फाइनेंस कंपनी - 2018 तक 24 लाख बकाया
जब संबंधित फाइनेंस कंपनी टाटा मोटर्स से संपर्क साधा गया तो पता चला कि 28 अगस्त 2018 तक संबंधि मामले की 24 लाख से अधिक की रकम बकाया पड़ी थी। इसको लेकर लोक अदालत से प्रकरण निबटारे के लिए एक नोटिस भी जारी होने की बात सामने आई। वहीं, इस नोटिस के प्रकरण को लेकर वर्ष 2024 में जब सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो जवाब मिला कि टाटा मोटर फाइनेंस का संबंधित बकाया/वाहन का 16 जनवरी 2014 को ही बकाया समाप्त हो चुका है। इसी के क्रम में 11 फरवरी 2014 को एनओसी प्रतापगढ़ के लिए जारी हुई है।
मांगे गए एनओसी से जुड़े दस्तावेज तो बता दी गई पत्रावली गायब
सबसे दिलचस्प मामला यह है कि जब लोन/फाइनेंस खत्म होने संबंधित एनओसी अथवा उससे जुड़े दस्तावेज के बारे में आरटीआई के जरिए सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय से जानकारी मांगी गई तो कहा गया कि पत्रावली ही कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। सवाल उठता है कि जनवरी 2014 तक जब बकाया समाप्त हो चुका था तो फिर वर्ष 2018 में 27 लाख के बकाए की नोटिस कैसे जारी हुई? सब कुछ सही है तो फिर पत्रावली कैसे गायब हुई? ऐसे कितने वाहनों को लेकर एनओसी और पत्रावली गायब करने का खेल हुआ है? जैसे सवाल लोगों के जेहन में सुलगने लगे है। वहीं, वाहन रिलिजिंग फर्जीवाड़े के खुलासे की तरह, इस मामले के भी गहन जांच-खुलासे की मांग उठाई जाने लगी है।