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Gorakhpur News: राजनीतिक लाभ के लिए 60 करोड़ लोगों की भावनाओं का तिरस्कार कर रहे सनातन विरोधी
Gorakhpur News: अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में साहित्यकार एवं रेलवे के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रणविजय सिंह ने कहा कि महाकुंभ अमृतत्व की अवधारणा का प्रत्यक्ष स्वरूप है।
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Gorakhpur News: महाकुंभ को सनातन की अनादिकाल से चली आ रही परंपरा है। कुछ राजनीतिक दलों के नेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए अनादिकाल से जारी की इस परंपरा के विरोधी बन गए हैं। सनातन का तिरस्कार राष्ट्र और महाकुंभ में आए 60 करोड़ लोगों की भावना का तिरस्कार है। ऐसा करने वालों की राजनीति के ज्यादा दिन शेष नहीं है। राजनीतिक कारणों से महाकुंभ का तिरस्कार गहरी कुंठा का प्रतीक है।
ये बातें श्रीहनुमन्निवास धाम अयोध्या के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कही। वे शनिवार को यहां महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ में महाकुंभ 2025 पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिबद्धता के कारण महाकुंभ का तिरस्कार करने वालों के लिए आत्म समीक्षा का समय है। ऐसे लोग राजनीति पर, अपनी सीटों पर विमर्श करें तो बेहतर होगा, महाकुंभ पर विमर्श उनके सामर्थ्य का विषय नहीं है।
ऐसे राजनीतिक यदि जनमत के निर्णय को मानते हैं तो उन्हें महाकुंभ के रूप में जनमत का सम्मान करना चाहिए। महाकुंभ में आने वाले व्यक्ति को किसी ने प्रेरित नहीं किया, बल्कि वह स्वतः स्फूर्त स्नान करने के लिए आए। सरकार ने उनके लिए बेहतर व्यवस्था की। इसके लिए सरकार का अभिनंदन किया जाना चाहिए। पहले भी राजनेता महाकुंभ में आते थे, स्नान करते थे पर फोटो नहीं डालते थे। आज अनुकूल परिस्थितियां हैं तो फोटो भी डाल रहे हैं।
महाकुंभ के विविध आयामों पर 18 शोधपत्र पढ़े गए
महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ के कला संकाय के तत्वावधान में ‘महाकुंभ 2025 : परम्परा, अनुष्ठान और महत्ता’ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित तकनीकी सत्र में वक्ताओं ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुव्यवस्थित प्रबंधन का सुफल बताया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पहले दिन यूएसए, नेपाल, इजरायल और भूटान से कुल पांच वक्ता ऑनलाइन जुड़े। कुल 70 प्रतिभागियों वाली इस संगोष्ठी में पहले दिन महाकुंभ के विविध आयामों पर 18 शोधपत्र पढ़े गए।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में साहित्यकार एवं रेलवे के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रणविजय सिंह ने कहा कि महाकुंभ अमृतत्व की अवधारणा का प्रत्यक्ष स्वरूप है। मृत्यु ,अमरतत्व और मोक्ष पर दुनिया की तमाम सभ्यताओं में सदैव संवाद होता रहा है। मनुष्य सदा अमर होने का आकांक्षी रहा है। सनातन धर्म में अमरतत्व और मोक्ष के लिए पाप मुक्ति का आधार है महाकुंभ। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रयागराज महाकुंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल प्रबंधन के मंथन से निकली सुव्यवस्था का प्रतीक बना है। योगी जी का प्रबंधन अकल्पनीय है। प्रो. शिवशरण दास ने कहा कि महाकुंभ स्वतंत्र भारत के इतिहास का कालजयी अध्याय है। यह विज्ञान और आस्था का भी संगम है।
महाकुंभ आस्था का आकर्षण है। वहां का अहसास अद्भुत है। प्रयागराज महाकुंभ सुव्यवस्था नियोजन एवं क्राउड मैनेजमेंट की मिशाल है। महाकुंभ में प्रवास करने वाले अश्वनी कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को शब्दों में वर्णित करना कठिन है। महाकुंभ में जाति, वर्ण और वर्ग के विभेद संगम की पावन जलधारा में विलुप्त हो गए हैं। यह अस्तित्व के सनातन प्रवाह का महोत्सव है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ से हमें आत्मावलोकन का अवसर मिला है कि हम सब एक हैं। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय के आचार्य प्रो. के. रामचंद्र रेड्डी ने की।