TRENDING TAGS :
Gorakhpur News: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद क्यों बदल देना चाहते हैं गोरखपुर का नाम? जानें इनका तर्क
Gorakhpur News: शंकराचार्य ने कहा कि 75 साल पहले देश में 30 करोड़ मनुष्य और 78 करोड़ गाय थीं। अब 150 करोड़ आबादी हो चुकी है लेकिन गाय केवल 17 करोड़ ही हैं। जिस प्रकार गो-हत्या हो रही है, अगर उस पर रोक नहीं लगी तो गाय का वजूद ही खत्म हो जाएगा।
Gorakhpur News: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद इन दिनों गोरखपुर में है। मंगलवार को उन्होंने गोरखनाथ मंदिर और गीता प्रेस का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने गो-रक्षा पर काफी जोर दिया। गोरखपुर में गो-रक्षा और धर्म पर संवाद कार्यक्रम में कहा कि गोरखपुर में गो शब्द जुड़ा है। यहां गो-रक्षा होनी चाहिए। गो हत्या कतई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि यहां से गो-रक्षा की आवाज उठाओ या गोरखपुर का नाम बदलो।
अविमुक्तेश्वरानंद बोले- गो रक्षा की आवाज उठनी चाहिए
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मंगलवार को गीता प्रेस के चित्र मंदिर में गो-रक्षा और धर्म पर संवाद करते हुए कहा कि गोरखपुर से गो-रक्षा की आवाज उठनी चाहिए। गोरखपुर के नाम में ही गो समाहित है। यहां से गो- रक्षा का कार्य न हो तो गोरखपुर का नाम बदला जाना चाहिए, क्योंकि जो नाम काम के ही नहीं हैं, उन्हें बदला भी जा रहा है। गोरखनाथ मंदिर में उन्होंने बाबा गोरखनाथ से प्रार्थना की कि गो-रक्षा को लेकर संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गो और प्रकृति की रक्षा की थी। हमने भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से गो-रक्षा के लिए पैदल यात्रा की और दिल्ली में पहुंचकर 1986 में गो- रक्षा आंदोलन के दौरान गोली लगने से अपने प्राणों की आहुति देने वाले गो-भक्तों का तर्पण किया।
मनुष्य बढ़ रहे, गायों की संख्या घट रहीं
शंकराचार्य ने कहा कि 75 साल पहले देश में 30 करोड़ मनुष्य और 78 करोड़ गाय थीं। अब 150 करोड़ आबादी हो चुकी है लेकिन गाय केवल 17 करोड़ ही हैं। जिस प्रकार गो-हत्या हो रही है, अगर इस पर रोक नहीं लगी तो गाय का वजूद ही खत्म हो जाएगा। गो-हत्या पर रोक नहीं नहीं लगी तो पांच साल बाद गायों को चित्रों में देखना पड़ेगा। ऐसी स्थिति तब है कि जब संकर वर्ण को भी गाय गिना जा रहा है। शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने देश के 2615 दलों को पत्र लिखा था कि वे गो-रक्षा का शपथ पत्र दें, लेकिन कोई बड़ा दल आगे नहीं आया। अब तक 61 छोटे दलों ने उनसे संपर्क करके गो-रक्षा का समर्थन किया है।