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Gorakhpur: TB मरीजों के लिए शार्ट एक्सपायरी दवाएं, क्षय रोग अधिकारी की दलील सुन माथा पीट लेंगे

Gorakhpur: शॉर्ट एक्सपायर दवाओं को देखकर डॉक्ट भले ही दिक्कत में नहीं हो लेकिन मरीज परेशान हैं। शासन द्वारा एक तो टीबी की दवाएं देर से भेजी जा रही हैं, दूसरे उनकी मात्रा भी कम है।

Purnima Srivastava
Published on: 2 April 2024 4:13 AM GMT
Short expiry TB medicine Gorakhpur
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एक्सपायर दवा की प्रतीकात्मक तस्वीर (photo: social media )  

Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर में टीबी मरीजों से शासन प्रशासन के लोग जानलेवा मजाक कर रहे हैं। मरीजों के लिए शार्ट एक्सपाइरी दवाएं आ गईं हैं। इन दवाओं को लौटाने और पत्राचार करने के बजाए जिला क्षय रोग अधिक डॉ.गणेश कुमार का तर्क सुनकर आप अपना माथा पीट लेंगे। डॉक्टर की दलील है कि टीबी मरीजों के लिए जिन दवाओं की खेप आई है, उसकी खरीद शासन से हो रही है। वहीं से शॉर्ट एक्सपायर की दवाएं मिल रही हैं। मरीज को गणना कर दवाएं दी जा रही हैं, ताकि वे दवा का सेवन कर लें।

शॉर्ट एक्सपायर दवाओं को देखकर डॉक्ट भले ही दिक्कत में नहीं हो लेकिन मरीज परेशान हैं। शासन द्वारा एक तो टीबी की दवाएं देर से भेजी जा रही हैं, दूसरे उनकी मात्रा भी कम है। जानकार बताते हैं कि एक्सपायरी नजदीक होने का मतलब है दवा की क्षमता का कम होना। उधर शासन की तरफ से टीबी अस्पताल को तीन महीने के बजाय एक महीने की दवा ही दी जा रही है। टीबी अस्पताल मरीजों को एक महीने की जगह 15 दिन की ही दवा दे पा रहा है। इसके चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। सरकार के इस लक्ष्य को शासन के अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। जिले में पिछले सवा साल में करीब 20 हजार टीबी के मरीज चिह्नित हुए। इसके अलावा इस वर्ष भी करीब चार हजार टीबी के मरीज चिह्नित हुए हैं। इनमें से ज्यादातर टीबी के फर्स्ट लाइन के मरीज हैं। इनके इलाज के लिए शासन ने इथमबूटाल-100 एमजी और थ्री-एफडीसी दवाएं भेजी हैं। इथमबूटाल जुलाई 2020 में निर्मित है। इसे अब जाकर शासन ने टीबी अस्पताल को भेजा है। यह दवा जून में, जबकि थ्री-एफडीसी भी मई में एक्सपायर हो जाएगी। इसका निर्माण जून 2022 में हुआ है।

2020 में बनी दवाओं की हो गई सप्लाई

रेजिस्टेंस वाले मरीजों को भी दी जा रहीं शॉर्ट एक्सपायरी दवाएं टीबी के सामान्य मरीजों के साथ ही रेजिस्टेंस वाले मरीजों के साथ भी दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। उन्हें भी शार्ट एक्सपायरी दवाएं दी जा रही है। जिले में ऐसे करीब 1000 मरीज चिह्नित हैं। इनका इलाज नौ महीने से लेकर डेढ़ साल तक चलता है। इन मरीजों को दी जाने वाली इथीयोनामाइड-250 एमजी दवा के दो बैच शासन की तरफ से भेजे गए हैं। इसमें से एक बैच अप्रैल और दूसरा मई में एक्सपायर हो जाएगा। यह दवा में 2020 में निर्मित है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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