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World Sickle Cell Day 19 June: शादी से पहले भी खून की जांच है जरूरी, इस अनुवांशिक बीमारी से बचाव को चिकित्सक दे रहे सलाह

World Sickle Cell Day 19 June: सिकल सेल, यह एक अनुवांशिक रोग है जिसका पता तब तक नहीं चलता है, जब तक कि खून की जांच न करवाई जाए। यह खून का एक ऐसा विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 18 Jun 2024 12:53 PM GMT (Updated on: 20 Jun 2024 12:49 PM GMT)
Sickle cell is such a genetic disease that blood test is necessary even before marriage
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सिकेल सेल की प्रतिकात्मक तस्वीर: Photo- Social Media

Gorakhpur News: सिकल सेल एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जिसका कोई उपचार नहीं है। सिर्फ इसकी समय से पहचान कर और सतर्कता के जरिये ही इसके प्रसार की चेन को तोड़ा जा सकता है। सबसे अच्छा उपाय यह है कि शादी से पहले दंपति के खून की जांच जरूर कराई जाए। ऐसा करना शादी के बाद सुरक्षित और स्वस्थ बच्चे के लिए भी आवश्यक है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कुछ खास जनजातियां व वर्ग हैं, जो इस बीमारी से ग्रसित हैं। इनके जरिये हो रही बीमारी के अनुवांशिक प्रसार को रोका जाना जरूरी है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर दी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के सोनभद्र समेत कुछ अन्य जिलों में सिकेल सेल की पहचान के लिए स्क्रीनिंग कराई गयी थी, जिसमें कुछ नये मरीज भी मिले। यह एक अनुवांशिक रोग है जिसका पता तब तक नहीं चलता है, जब तक कि खून की जांच न करवाई जाए। यह खून का एक ऐसा विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं। ऐसा होने से एनीमिया, गुर्दे या यकृत का फेल होना, स्ट्रोक और फेफड़े में संक्रमण समेत कई जटिलताएं हो सकती हैं। जो लोग सिर्फ सिकेल सेल के वाहक होते हैं उनमें यह गंभीर लक्षण तो नहीं आते हैं, लेकिन वह आने वाली पीढ़ी में यह बीमारी का संचरण कर सकते हैं। डॉ. दूबे ने बताया कि हाथ व पैरों में दर्द, कमर के जोड़ों में दर्द, बार बार पीलिया होना, लीवर में सूजन, मूत्राशय में दर्द, पित्ताशय में पथरी और अस्थिरोग सिकेल सेल के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए यह लक्षण आने पर सिकेल सेल संबंधी जांच अवश्य करवानी चाहिए। सिकेल सेल की जांच की सुविधा लखनऊ और दिल्ली के उच्चतर चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध है। समय समय पर जिलों में भी अभियान चला कर भी इसके मरीजों और वाहकों की पहचान की जाती है।

बच्चों में ऐसे होता है यह रोग

राष्ट्रीय सिकेल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य हीमोग्लोबिन वाले माता पिता के बच्चों में यह बीमारी नहीं होती है। यदि माता या पिता दोनों में से कोई एक भी सिकेल सेल का वाहक होगा तो 50 फीसदी बच्चों में बीमारी का वाहक होने और 50 फीसदी बच्चों के सामान्य पैदा होने की संभावना है, लेकिन इनमें से किसी भी बच्चे को बीमारी नहीं होगी। यदि माता और पिता दोनों सिकेल सेल के वाहक होंगे तो उनके पच्चीस फीसदी बच्चों में सिकेल रोग, पचास फीसदी बच्चों में सिकेल वाहक और केवल पचीस फीसदी बच्चों के सामान्य होने की संभावना रहती है। यदि माता और पिता में से कोई भी एक सिकेल रोग वाला है और दूसरा सामान्य है तो शत फीसदी बच्चे सिकल वाहक होंगे, लेकिन सिकेल रोगी नहीं होंगे। यदि माता और पिता दोनों में से एक व्यक्ति सिकेल वाहक हो और एक व्यक्ति सिकेल रोगी हो तो 50 फीसदी बच्चे सिकेल रोगी और 50 फीसदी बच्चे सिकेल वाहक होंगे। यदि दंपति में दोनों सिकेल रोगी होंगे तो शत फीसदी बच्चे सिकल रोगी पैदा होंगे।

सावधानी रख कर सामान्य जीवन जी सकते हैं

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि सिकेल रोगी भी कुछ सावधानियों के साथ लंबा और सामान्य जीवन जी सकते हैं। ऐसे रोगियों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। प्रतिदिन फॉलिक एसिड की एक गोली लेनी चाहिए। उल्टी दस्त और ज्यादा पसीना होने पर तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करें। शराब, धुम्रपान और नशे से बचना है। संतुलित भोजन का सेवन करें ताकि शरीर को सभी विटामिन मिल सकें। हर तीन माह पर हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करवानी चाहिए।

Shashi kant gautam

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