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Gorakhpur News: पत्रकारिता का असल अर्थ ही है जनपक्षधर होना, बोले प्रो. रामदेव शुक्ल

Gorakhpur News: समारोह में प्रो. शुक्ल ने बताया कि ज्ञान बाबू ने अपने दौर में सच्ची और जनता के सुख-दुख से जुड़ी जिस पत्रकारिता को ही पूरा जीवन समर्पित कर दिया वह आज भी सभी पत्रकारों के लिए प्रेरणादायी है।

Purnima Srivastava
Published on: 22 Sept 2024 8:31 PM IST
Gyan Prakash Rai Smriti Guests present at the journalism award ceremony
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ज्ञान प्रकाश राय स्मृति पत्रकारिता सम्मान समारोह में मौजूद अतिथि: Photo- Newstrack

Gorakhpur News: गोरखपुर। प्रख्यात साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि पत्रकारिता का असल अर्थ ही जनपक्षधर होना है। खबरों का लेखन यही जन पक्षधर नहीं है तो इस कार्य को पत्रकारिता कहा ही नहीं जाना चाहिए। प्रो. शुक्ल रविवार को जनपक्षधर एवं खोजी पत्रकारिता के लिए ज्ञान प्रकाश राय (ज्ञान बाबू) स्मृति पत्रकारिता सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। वर्ष 2023 के लिए यह सम्मान वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक दीप्त भानु डे को दिया गया। इस कार्यक्रम में ज्ञान बाबू स्मृति ग्रंथ के संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण का विमोचन भी हुआ। इस ग्रंथ का संपादन वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन शाही तथा लेख संकलन रवि राय ने किया है।

समाज को जनता की आवाज बनने वाले पत्रकारों की जरूरत

समारोह में प्रो. शुक्ल ने बताया कि ज्ञान बाबू ने अपने दौर में सच्ची और जनता के सुख-दुख से जुड़ी जिस पत्रकारिता को ही पूरा जीवन समर्पित कर दिया वह आज भी सभी पत्रकारों के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि सम-विषम परिस्थितियों के बावजूद ज्ञान बाबू की पत्रकारीय परंपरा आज भी जीवंत है और आज उनकी स्मृति में सम्मानित हुए दीप्त भानु डे इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। प्रो. शुक्ल ने कहा कि ‘दीप्त’ का अर्थ है दमकता हुआ सूर्य या सूर्य का प्रखर रूप। आज समाज को जनता की आवाज बनने वाले ऐसे ही प्रखर पत्रकारों की जरूरत है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए एम्स गोरखपुर गवर्निंग काउंसिल के सदस्य एवं दुनिया के दस सर्वाधिक शिक्षित लोगों में शुमार डॉ. अशोक प्रसाद ने कहा कि समाज में पत्रकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। समाज में परिवर्तन पत्रकार ही ला सकते हैं। संवैधानिक मूल्यों की रक्षा सच्चे और जन पक्षधर पत्रकार ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एक अत्यंत सम्मानजनक पेशा है। जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति थे तब राष्ट्रपति भवन में सर्वाधिक सम्मान पत्रकारों को मिलता था।

डॉ. प्रसाद ने कहा कि एक जन पक्षधर पत्रकार किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता है। इसका कारण यह है कि लोकतंत्र की व्यवस्था की निगरानी करने के दौरान एक पत्रकार की चुनौती अन्य लोगों से कहीं अधिक होती है। इस अवसर पर ज्ञान बाबू के व्यक्तित्व और उनकी पत्रकारिता को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि पत्रकार यह संकल्प लें कि सिस्टम में पब्लिक के प्रति किसी भी तरह का अन्याय सहन नहीं करेंगे। इसके लिए जेल जाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

पत्रकारीय सरोकारों के लिए जिद्दी स्वभाव के हैं दीप्त भानु डे : सुजीत पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार सुजीत पांडेय ने ज्ञान बाबू स्मृति सम्मान के लिए दीप्त भानु डे के चयन को उत्कृष्ट निर्णय बताते हुए कहा कि श्री डे पत्रकारीय सरोकारों के लिए सदैव जिद्दी स्वाभाव के रहे हैं। खोजी और जनहित की खबरों को लेकर उनमें गहरी तड़प रही है। अपनी पत्रकरिता से वह जनता की आवाज बने और अपने आचरण से इस पेशे की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखा। गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि ज्ञान बाबू के पत्रकारीय मूल्यों पर विमर्श की श्रृंखला दीप्त भानु डे तक पहुंचती है। श्री डे एक उत्कृष्ट पत्रकार होने के साथ सम सामयिक विषयों के बेहतरीन विश्लेषक भी हैं। विश्लेषण की यह क्षमता उनकी पत्रकारिता को और धारदार बनाती है। सोशल मीडिया के चर्चित लेखक पंकज मिश्रा ने कहा कि समाज को प्रभावित करने वाली घटनाओं को सही अर्थ में उजागर करना मीडिया का दायित्व है और इस दायित्व का दीप्त भानु डे हमेशा ही निर्वहन करते रहे हैं। युवा साहित्यकार आनंद पांडेय ने कहा कि खोजी और जन पक्षधर पत्रकारिता के मानक पर दीप्त भानु डे, ज्ञान बाबू की वैचारिकी के संवाहक हैं।

इस अवसर पर ज्ञान बाबू पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार दीप्त भानु डे ने कहा कि महान पत्रकार ज्ञान बाबू के नाम पर घर मे सम्मान मिलना मेरे लिए एक प्रेरणा है। मेरा हमेशा यह प्रयास रहेगा कि मैं जिस मूल्यों और आदर्शों के निमित्त मुझे यह सम्मान दिया गया है, उसकी रक्षा करूं।

संस्मरणों में जीवंत हुआ ज्ञान बाबू का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

समारोह के दौरान ज्ञान बाबू के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संस्मरणों को जीवंत करने का सत्र भी आयोजित हुआ। इसमें सामाजिक चिंतक फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि ज्ञान बाबू की लिखी खबरों की विश्वसनीयता द्विगुणित हो जाती थी। पत्रकारिता के प्रति उनकी निष्ठा अद्वितीय थी। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह ने कहा कि ज्ञान बाबू अपने दौर की पत्रकारिता में विश्वसनीयता के पर्याय थे। राजनीतिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार राममूर्ति, दिनेश शाही, सरवत जमाल, वरिष्ठ समाजवादी नेता अरुण श्रीवास्तव ने भी ज्ञान बाबू से जुड़े संस्करणों को साझा किया। इन वक्ताओं ने कहा कि ज्ञान बाबू का ज्ञान संसार हरेक क्षेत्र में समृद्ध था। मीलों पैदल चलकर जनहित की खबरें खोजना उनकी फितरत थी।

विज्ञप्ति आधारित खबरों को छापने को डाकियागिरी मानते थे ज्ञान बाबू : रवि राय

स्वागत संबोधन में कार्यक्रम आयोजक एवं ज्ञान प्रकाश राय पत्रकारिता संस्थान के संयोजक रवि राय ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में सशक्त हस्ताक्षर रहे ज्ञान बाबू विज्ञप्ति आधारित खबरों को छापने को डाकियागिरी मानते थे। उनकी प्राथमिकता जनता की आवाज बनने वाली खोजी खबरों की होती थी। उनके आदर्शों के अनुरूप ही जन पक्षधर एवं खोजी पत्रकारिता के लिए वर्ष 2023 के ज्ञान बाबू स्मृति पत्रकारिता सम्मान के लिए लिए वरिष्ठ पत्रकार दीप्त भानु डे का चयन किया गया है। यह चयन निर्णायक समिति के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त एवं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन राय, गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय और वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने किया है। कार्यक्रम का सारगर्भित संचालन व आभार ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह बसर, वीरेंद्र मिश्र दीपक, अशोक चौधरी, कवि देवेंद्र आर्य, बच्चू लाल, प्रो. चंद्रभूषण अंकुर, दरख्शा ताजवर, मो. कामिल खान, वयोवृद्ध बुद्धिजीवी अब्दुल बाकी ‘हासिल’ समेत बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित रहे।



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Shashi kant gautam

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