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Gorakhpur News: उर्दू ही नहीं संस्कृत पढ़ने के लिए भी नहीं मिल रहे छात्र, DDU में सीट से भी कम आवेदन

Gorakhpur News: डीडीयू में साल दर साल संस्कृत और उर्दू के छात्र-छात्राओं की संख्या ही नहीं आवेदकों की संख्या में भी गिरावट आ रही है। एमए उर्दू विषय में भी 74 सीटों के सापेक्ष कुल 69 आवेदन आए हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 12 Jun 2024 4:15 AM GMT (Updated on: 12 Jun 2024 4:20 AM GMT)
Gorakhpur News
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गोरखपुर यूनिवर्सिटी का मुख्य द्वार (Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: देश के सनातन से लेकर संस्कृति को लेकर भले ही खूब बातें हो रही हों लेकिन देवभाषा संस्कृत को पढ़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी को कौन कहे कमी दिख रही है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में विभिन्न पाठ्यक्रमों में हुए प्रवेश के लिए आवेदनों को देखें तो उर्दू के साथ ही संस्कृत में जितनी सीट है, उतने भी छात्रों ने आवेदन नहीं किया है। डीडीयू में परास्नातक में संस्कृत भाषा की कुल 150 सीटें हैं लेकिन इस विषय में प्रवेश के लिए अब तक सिर्फ 67 आवेदन आए हैं।

डीडीयू में साल दर साल संस्कृत और उर्दू के छात्र-छात्राओं की संख्या ही नहीं आवेदकों की संख्या में भी गिरावट आ रही है। एमए उर्दू विषय में भी 74 सीटों के सापेक्ष कुल 69 आवेदन आए हैं। एमए संस्कृत में सत्र 2023 में महज 33 और सत्र 2022 में 53 ने प्रवेश लिया। एमए उर्दू में सत्र 2023 में 50 और सत्र 2022 में महज 46 ने ही प्रवेश लिया था। उर्दू में एससी/एसटी वर्ग की ज्यादातर सीटें खाली रह जाती हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो.पूनम टंडन का कहना है कि छात्रों के साथ अभिभावक रोजगारपरक कोर्स पर जोर दे रहे हैं। भाषा को रोजगार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इंडियन नॉलेज सिस्टम में भी इसका प्रावधान किया गया है। संस्कृत का वैज्ञानिक महत्व भी है। उर्दू भी उपयोगी विषय है। इसके साथ ही दर्शन शास्त्र पढ़ने वालों की संख्या में कमी आई है। दर्शनशास्त्र में पीजी में 74 सीटें हैं। इसमें कुल 69 आवेदन आए हैं।

हिन्दी पढ़ने वालों की संख्या भी कम हुई

डीडीयू में एमए हिन्दी और अंग्रेजी विषयों में कुल 150-150 सीटें हैं। अंग्रेजी में अब तक कुल 470 और हिन्दी में 321 आवेदन आए हैं। हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र बताते हैं, करीब 10 साल पहले तक एक हजार से अधिक आवेदन आते थे। अब नए विश्वविद्यालय व कॉलेज खुलने से छात्र बंटे हैं। एनईपी के कारण पढ़ाई के वातावरण में बदलाव हुआ है। अब पढ़ाई-लिखाई का मतलब नौकरी पाना रह गया है।


Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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