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AI Model to Track Blood Sugar: एआई से मैनेज होगा शुगर, समय रहते पता चलेगा भविष्य में शुगर होगा या नहीं

AI Model to Track Blood Sugar: एआई टूल की मदद से यह भी जानकारी हो सकेगी कि इंसुलिन की खुराक किस मरीज को कितनी देनी है। अब एम्स के डॉक्टर एमबीबीएस छात्रों को एआई और डीप लर्निंग की जानकारी देने में जुट गए हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 3 March 2025 8:17 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Image From Social Media)

Gorakhpur News: हेल्थ सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक क्रान्तिकारी साबित होता दिख रहा है। गोरखपुर का एम्स एआई का इस्तेमाल मरीजों को मधुमेह (शुगर) को मैनेज करने में करेगा। एआई टूल की मदद से यह भी जानकारी हो सकेगी कि इंसुलिन की खुराक किस मरीज को कितनी देनी है। अब एम्स के डॉक्टर एमबीबीएस छात्रों को एआई और डीप लर्निंग की जानकारी देने में जुट गए हैं।

एआई टूल का इस्तेमाल धीरे-धीरे शुरू

एम्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में डॉक्टरों ने एआई के इस्तेमाल और संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग के डॉ. शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि एआई टूल का इस्तेमाल धीरे-धीरे शुरू कर दिया गया है। शुगर के प्रबंधन और इलाज में एआई एल्गोरिदम सबसे सटीक माना जा रहा है। यह लगातार मरीजों के डाटा का विश्लेषण करता है। इससे इलाज में आसानी होती है। ब्लड में शुगर के स्तर की सही जानकारी लेकर और इंसुलिन की खुराक को संतुलित कर यह बता पाने में एआई सक्षम है।

एआई एल्गोरिदम बताएगा भविष्य में होने वाली दिक्कतें

डॉ. द्विवेदी का कहना है कि मरीजों की पूरी हिस्ट्री, मसलन-उम्र, पहचान, परिवार का इतिहास, वजन सहित घर में होने वाली बीमारियों की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद एआई एल्गोरिदम के जरिए पता किया जाएगा कि मरीज को क्या दिक्कतें भविष्य में हो सकती हैं। इसे लेकर एमबीबीएस छात्रों को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। सेमीनार में आए एम्स भोपाल प्रो. जगत राकेश कवार ने बताया कि एआई का इस्तेमाल पूरी दुनिया के बड़े-बड़े चिकित्सा संस्थान कर रहे हैं। सर्जरी से लेकर दंत चिकित्सा विभाग में एआई टूल का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। एआई संचालित एल्गोरिदम से शुगर के मरीजों के डाटा का विश्लेषण कर उसे नियंत्रित करने में मदद ली जा सकती है। इसके अलावा डीप लर्निंग मशीन से कैंसर का डाटा इकट्ठा कर इलाज में मदद ली जा सकती है।

समय रहते शुगर की जानकारी हो सकेगी

एम्स की मीडिया सेल की चेयरपर्सन प्रो. डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि डीप लर्निंग मॉडल मरीजों का डाटा इकट्ठा कर पहले से यह बताने में सक्षम है कि मरीज को कौन से रोग हो सकते हैं और उसका उपचार क्या है। अलग-अलग मरीजों के इलाज की व्यवस्था भी इस टूल के जरिए पता की जा सकती है। एम्स समय रहते मरीजों को बता देगा कि शुगर होगा या नहीं। इस तकनीक पर काम किया जा रहा है। एमबीबीएस छात्रों को भी एआई और डीप लर्निंग मॉडल पढ़ाए जा रहे हैं।

Ramkrishna Vajpei

Ramkrishna Vajpei

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