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Gorakhpur News: शोर शराबे से परेशान हुए गिद्ध ने खाना-पीना छोड़ा, सीएम ने किया था देश के पहले केन्द्र का लोकार्पण

Gorakhpur News:जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के उद्घाटन के अगले दिन ही नर राजगिद्ध (रेड हेडड वल्चर) की तबीयत बिगड़ गई। उद्घाटन के अगले दिन से वह खा नहीं रहा है। इसके बाद उसे चिड़ियाघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

Purnima Srivastava
Published on: 10 Sept 2024 7:20 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News: देश के पहले जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले 6 सितम्बर को लोकार्पण किया था। यहां छह नर और मादा गिद्ध हैं। इकलौते नर गिद्ध की तबीयत बिगड़ गई है। उसने खाना पीना छोड़ दिया है। उसे गोरखपुर के चिड़ियाघर में लाया गया है। जहां डॉक्टरों की टीम उसका इलाज कर रही है।

जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के उद्घाटन के अगले दिन ही नर राजगिद्ध (रेड हेडड वल्चर) की तबीयत बिगड़ गई। उद्घाटन के अगले दिन से वह खा नहीं रहा है। इसके बाद उसे चिड़ियाघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सकों की टीम का कहना है कि नर राज गिद्ध मादा गिद्ध की तुलना में अति संवेदनशील होते हैं। ऐसे में इन्हें एकांतवास चाहिए होता है। लेकिन, छह सितंबर को कैंपियरगंज के जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में उद्घाटन कार्यक्रम से पहले अधिकारियों से लेकर अन्य लोगों का आना-जाना लगा रहा। इसकी वजह से नर गिद्ध तनाव में चला गया। फिर उसने खाना-पीना छोड़ दिया। तबीयत खराब होने की जानकारी पर तत्काल उसे चिड़ियाघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी वह भीड़-भीड़ वाले सदमे से उबरा नहीं है। इसकी वजह से उसकी स्थिति बेहतर नहीं है। स्वस्थ होने के बाद ही उसे केंद्र में लाया जाएगा। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी चिड़ियाघर डॉ.योगेश सिंह का कहना है कि नियमित जांच के लिए नरगिद्ध को चिड़ियाघर लाया गया है। समय-समय पर इन जानवरों की नियमित जांच जरूरी है। उसकी निगरानी की जा रही है।

एकांत में रहने के हैं आदी, शोर-शराबे से हुआ परेशान

जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में केवल एक ही नर राजगिद्ध है। जबकि, मादा की संख्या पांच है। अगर नर गिद्ध को कुछ हो जाता है तो इस मौसम में नर गिद्ध को लाना मुश्किल है। नर गिद्ध ललितपुर और चित्रकूट के इलाके में ही पाए जाते हैं। गर्मी के समय यह जल्दी नहीं दिखते हैं। एक बार अगर मानव इनके इलाके में आ जाते हैं तो उन इलाकों को भी छोड़ देते हैं। विभाग चित्रकूट से पांच मादा पकड़कर ला चुका है।



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Shalini singh

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