Gorakhpur News: हजारों महिलाओं की जान खतरे में, पूर्वांचल की महिलाओं का मामला, सामने आई ये बड़ी वजह

Gorakhpur News: आकड़ा है कि 15 से 19 साल की 55.8 प्रतिशत किशोरियां व युवतियां एनीमिया की शिकार हैं। इसके अलावा 15 से 49 साल की बेटियां और महिलाएं 53.4 प्रतिशत एनीमिया ग्रसित मिली हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 8 March 2025 8:31 AM IST
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Image From Social Media)

Gorakhpur News: स्वास्थ्य विभाग और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े के आंकड़ों के मुताबिक पूर्वांचल में बेटियां खून की कमी की शिकार हो रही हैं। आकड़ा है कि 15 से 19 साल की 55.8 प्रतिशत किशोरियां व युवतियां एनीमिया की शिकार हैं। इसके अलावा 15 से 49 साल की बेटियां और महिलाएं 53.4 प्रतिशत एनीमिया ग्रसित मिली हैं। जबकि, यह आंकड़ा एनएफएचएस-चार में 52.0 प्रतिशत था। कुल मिलाकर स्थिति सुधरने के बजाए और बिगड़ती चली जा रही है।

कम उम्र में बन रही हैं अम्मा

आकड़े के मुताबिक, वयस्क होने से पहले हर सातवीं युवती के हाथ पीले हो जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। खून की कमी से करीब छह हजार तीन सौ गर्भवतियों की जान खतरे में है। वह खून की अत्यधिक कमी से जूझ रहीं हैं। वहीं एनएफएचएस-पांच के मुताबिक जिले की करीब 14.6 फीसदी युवतियों को वयस्क होने से पहले विवाह कर दिया जा रहा हैं। इतना ही नहीं 2.4 फीसदी बेटियां ऐसी हैं, जो कम उम्र में ही मां बन गई।

हजारों महिलाओं की जान खतरे में

स्वास्थ्य विभाग के फरवरी तक के जारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले में एक लाख 28 हजार 796 महिलाएं गर्भवती हैं। इनमें से छह हजार दो सौ 68 महिलाओं की जान खून की कमी के कारण खतरे में हैं। इनका हिमोग्लोबिन सात मिलीग्राम से कम है। इन्हें हाई रिस्क प्रेगनेन्सी की श्रेणी में रखा गया है। विभाग कोशिश कर रहा है कि इनका प्रसव महिला अस्पताल या बीआरडी हो। वहीं, कामकाजी महिलाओं को घर के अलावा बाहर भी सेहत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हर तीसरी कामकाजी महिला यूरीन ट्रैक इंफेक्शन(यूटीआई) से जूझ रही है। इसकी वजह है कार्यस्थल और बाजार में टॉयलेट का पर्याप्त संख्या में न होना। सीएमओ डॉ.आशुतोष दूबे का कहना है कि महिलाओं की गर्भावस्था में चार बार जांच करने से खून की कमी का समय से पता चल जा रहा है। महिलाएं जागरूक हो रही हैं। पहले की तुलना में अब काफी सुधार हुआ है। अभी इसमें और सुधार की जरूरत है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम जागरूकता कार्यक्रम चलाएगी।

Ramkrishna Vajpei

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