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Gorakhpur News: खुद के भीतर पूरी होती है मुक्ति की खोज, बोले साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल
Gorakhpur News: कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो रामदेव शुक्ल ने कहा कि मुक्ति की खोज खुद के भीतर सम्पन्न होती है। यह खोज ही बुद्ध को पाना है। जो लोग मुक्ति की तलाश बाहर करते हैं वे पाखंड के शिकार बनते हैं।
Gorakhpur News: प्रेमचंद पार्क में प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में त्रैमासिक पत्रिका साखी के 40 वें अंक ‘बुद्ध की धरती पर कविता’ का लोकार्पण हुआ। प्रख्यात कथाकार एवं प्रेमचंद साहित्य संस्थान के अध्यक्ष प्रो. रामदेव शुक्ल, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो अनिल कुमार राय, वरिष्ठ कवि देवेन्द्र आर्य, गोरखपुर विकास प्राधिकरण के सचिव उदय प्रताप सिंह, साखी के संपादक प्रो सदानंद शाही, प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव प्रो राजेश कुमार मल्ल ने पत्रिका का लोकार्पण किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो रामदेव शुक्ल ने कहा कि मुक्ति की खोज खुद के भीतर सम्पन्न होती है। यह खोज ही बुद्ध को पाना है। जो लोग मुक्ति की तलाश बाहर करते हैं वे पाखंड के शिकार बनते हैं। उन्होंने चरथ भिक्खवे यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि इसके आगामी यात्राओं से लोगों को जुड़ना चाहिए।
इस मौके पर इस अंक में प्रकाशित कवि देवेन्द्र आर्य, प्रो सदानंद शाही और राजेश कुमार मल्ल ने अपनी कविताओं का पाठ किया। प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की कविता का पाठ युवा कवि केतन यादव और अर्पण कुमार की कविता का पाठ पूजा ने किया। कार्यक्रम में प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित नाट्य कार्यशाला व नाटक ‘सेवासदन’ के मंचन में शामिल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। प्रो. अनिल कुमार राय ने कहा कि ' बुद्ध की धरती पर कविता ' और ' चरथ भिक्खवे ' एक ऐसा सामाजिक सांस्कृतिक अभियान है जो हमें हजारों साल की मानव सभ्यता की यात्रा में प्राप्त वृहत्तर मानवीय मूल्यों से जोड़ता है। प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक एवं साखी पत्रिका के सम्पादक प्रो. सदानंद शाही ने बुद्ध की धरती पर कविता के बाद चरथ भिक्खे व मार्च महीने में इसके अगले चरण की यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि बुद्ध ने बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय के लिए निरंतर यात्राएं करते हुए लोगों से संवाद किया। उन्होंने पूरे दुनिया को अपनी देशना से गहरे तक प्रभावित किया। बुद्ध के विचारों ने भारत ही नहीं विश्व कविता, कला और स्थापत्य को भी प्रभावित किया है और कर रहे हैं। आज देश-दुनिया के सामने उत्पन्न गहरे मानवीय संकट के हल के लिए हमें फिर से बुद्ध के पास जाना होगा। ये सारे प्रयास उसी की दिशा में है।
बुद्ध पर केन्द्रित कविताओं का साखी अंक में प्रकाशन
प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव राजेश कुमार मल्ल ने स्वागत वक्तव्य देते हुए बताया की साखी के 40वें अंक में बुद्ध पर केन्द्रित कविताओं का प्रकाशन किया गया है। इसमें देश भर के 80 कवियों की कविता शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि केतन यादव ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के पूर्व सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में प्रगतिशील लेखक संघ के कलीमुल हक, कवि वीरेन्द मिश्र दीपक, कवयित्री रंजना जायसवाल, मेरा रंग फाउंडेशन की संस्थापक शालिनी श्रीनेत, नागेश राम त्रिपाठी, जर्नादन शाही, पृथ्वीराज सिह, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, डॉ. राजेश्वर सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी राजाराम चौधरी, डॉ. प्रेमव्रत तिवारी, डा. रामनरेश राम, सुनीता अबाबील, रजनीश कुमार चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।