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Gorakhpur News: पाकिस्तान से वर्षों पहले गोरखपुर आए रमा और बसंत अब होंगे भारतीय, औपचारिकता पूरी
Gorakhpur News: वर्षों पहले पाकिस्तान और बंग्लादेश से भागकर गोरखपुर आए भाई-बहन सहित तीन लोगों को जल्द ही भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड करनी होगी।
Gorakhpur News: सीएए लागू होने के बाद देश में बेगाने की तरह रहने वालों लोगों को अब पहचान मिलने लगी है। गोरखपुर के पीपीगंज में पिछले 70 साल से रह रहे रमा पाठक और बसंत पाठक को अब भारतीय नागरिकता मिलने वाली है। विदेशी पंजीकरण अधिकारी कार्यालय ने तीनों लोगों को लिखित और मौखिक जानकारी देकर नागरिकता के लिए पोर्टल पर अपना आवेदन दाखिल करने के लिए कहा है।
रमा और बसंत कम पढ़े-लिखे हैं। उनकी उम्र भी ज्यादा हो गई है लिहाजा रमा पाठक अपने बेटे का इंतजार कर रही हैं। वहीं नागरिकता का इंतजार कर रहीं भागीरथी अगर किसी से पोर्टल पर जानकारी अपलोड नहीं करा पाईं तो विभाग उनकी मदद करेगा। वर्षों पहले रमा पाठक और बशंत कुमार पाठक पाकिस्तान से भागकर अटारी चेक पोस्ट से होते हुए भारत में दाखिल हुए थे। मूल रूप से पीपीगंज की रहने वाले रामनरेश रोजगार के सिलसिले में पाकिस्तान गए थे और बंटवारे के बाद वह वहीं रह गए थे। बाद में जब वहां के हालात खराब होने लगे तो उनकी बेटी रमा पहले आई और उसके बाद भाई बशंत भी आ गया।
रमा की कैम्पियरगंज के सोनरा गांव में योगेन्द्र पाठक से शादी हो गई। बसंत भी बहन के साथ ही रहने लगे। इनके अलावा सिकरीगंज के धोबौली गांव निवासी राजमन की पत्नी भागीरथी करीब 53 साल पहले बंग्लादेश से भागकर भारत आई थीं। भागीरथी बंग्लादेश के बद्दीपुर की रहने वाली थीं। राजमन वहां कोशी नदी के बालू घाट पर नाव चलाते थे। पिता ने राजमन से उनकी शादी कर दी थी। पाकिस्तान-बंग्लादेश लड़ाई में राजमन उन्हें लेकर भारत आ गए थे। इसके अलावा बड़हलगंज के ओझौली गांव गणेश प्रसाद भी बंग्लादेश से भारत आए थे लेकिन दो साल पहले उनका निधन हो गया वह नागरिक नहीं बन पाए।
वीजा होता था रिन्यूवल
वर्षों पहले पाकिस्तान और बंग्लादेश से भागकर गोरखपुर आए भाई-बहन सहित तीन लोगों को जल्द ही भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड करनी होगी। विदेशी पंजीकरण अधिकारी कार्यालय ने तीनों को लिखित और मौखिक तौर पर इसकी जानकारी दे दी है। प्रोफार्मा भरने में दिक्कत आएगी तो विभाग उनकी मदद भी करेगा। इनमें सभी की उम्र 70 साल से ज्यादा है। बहू जहां 52 साल से भारत में रह रही है वहीं भाई-बहन 41 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं। लम्बी अवधि के वीजा पर इन्हें रहने की अनुमति है। हर साल कर्मचारी इनके घर पहुंच कर वीजा रिन्यूवल करते थे। नागरिकता बिल का नोटीफिकेशन जारी होने के बाद से ही इनके भारतीय नागरिक बनने की उम्मीद बढ़ गई थी अब नागरिकता मिलने के बाद उन्हें वीजा रिन्यूवल कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।