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Gorakhpur News: भतीजी से रेप के आरोप में जेल से छूटने वाले दिन तीन साल की बच्ची से हैवानियत, जानिये किस हाल में है यह हैवान
Gorakhpur News: 2023 में चिलुआताल इलाके के तीन साल की बच्ची के साथ गांव के ही मिथलेश नामक युवक ने हैवानियत किया था। उसने बच्ची को मां के बिस्तर से अगवा किया।
Gorakhpur News: जेल में तमाम कैदी ऐसे होते हैं जिनसे मिलने के लिए परिवार वालों लंबी कतार लगाते हैं। भाईदूज और रक्षा बंधन के त्योहार पर बहनों की लंबी कतारें भी लगती हैं। लेकिन गोरखपुर के मंडलीय कारागार में 64 बंदी ऐसे हैं जिन्हें परिवार वालों ने उनके हाल पर छोड़ दिया है। ये रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले हैं। कुछ बंदियों को परिवार वालों ने क्यों छोड़ा इसे कुछ उदाहरण से समझा जा सकता है।
2019 में सिकरीगंज इलाके की बच्ची के साथ पड़ोस के गांव के व्यक्ति ने अगवा कर रेप के बाद हत्या कर दी। 2023 में चिलुआताल इलाके के तीन साल की बच्ची के साथ गांव के ही मिथलेश नामक युवक ने हैवानियत किया था। उसने बच्ची को मां के बिस्तर से अगवा किया। कुछ दूर ले गया तो बच्ची जग गई और रोने लगी। उसे चुप कराने के लिए जमीन पर उसका सिर पटक दिया। यही नहीं पैर से बच्ची को बेरहमी से तब तक मारता रहा जब तक वह शांत नहीं हो गई। उसके बाद मिथलेश ने उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची की मौत हो जाने पर शव को सात फीट ऊंची बाउंड्री के अन्दर फेंक कर गांव से फरार हो गया। घटना वाले दिन ही वह अपनी नौ साल की सगी भतीजी के साथ रेप के मामले में जेल से जमानत पर छूट कर घर आया था। भाई और परिवार के अन्य लोगों ने पहले से ही रिश्ता तोड़ रखा था पिता ने उसकी जमानत कराई थी लेकिन इस घटना के बाद अब पिता ने भी दूरी बना ली है। जेल में वैसे में 64 बंदियों की मुलाकात नहीं आती। बंदी भोलू गौड़, तौशीफ, कनवा, विशाल, किशन, छोटू, पवन और राहुल से लंबे समय से कोई मिलने नहीं आया। जेलर कहते हैं कि 64 ऐसे बंदी हैं जिन्हें पोस्टकार्ड दिया जाता है जिससे वे अपने घर चिठ्ठी लिख कर सम्पर्क साध सकें। पत्रों को सिपाही की निगरानी में भेजा जाता है। लेकिन इनका कोई जवाब नहीं आता है।
16 ऐसे रेपिस्ट जो वर्षों से शांत हैं
गोरखपुर जेल में वर्तमान में रेप के आरोप में 186 आरोपित बंद हैं इनमें 16 ऐसे बंदी हैं जो रहते तो सामान्य बैरेकों में ही हैं पर वर्षों से अपनों की ‘तनहाई’ काट रहे हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि उनकी शर्मनाक हरकतों से आहत इनके अपनों ने जेल जाने के बाद से ही इनसे मुंह मोड़ लिया है। ये सारे बंदी अभी विचाराधीन हैं लिहाजा इनके कपड़ों का इंतजाम भी एक चुनौती ही रहती है। जेल प्रशासन अपने स्तर से ही इनके लिए कपड़ों का भी इंतजाम करता है।