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Gorakhpur News: अब विदेश में ठगी के शिकार नहीं होंगे, ई माइग्रेंट पोर्टल पर एजेंटों का पंजीकरण अनिवार्य
Gorakhpur News: विदेश में नौकरी के नाम पर जालसाजी के सबसे ज्यादा शिकार पूर्वांचल के लोग हो रहे हैं। गोरखपुर मंडल के 16 लोग अभी लीबिया में सीमेंट फैक्ट्री में बंधक हैं, और उनसे जबरियां काम कराया जा रहा है।
Gorakhpur News: पूर्वांचल में बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देशों से लेकर थाईलैंड-वियतनाम तक रोजी रोटी की तलाश में जा रहे हैं। इन मजदूरों का उत्पीड़न कुकुरमुत्ते की तरह फैले विदेश भेजने वाले एजेंट से लेकर विदेश में रहने वाले जालसाज मालिक भी कर रहे हैं। मजदूरों का लीबिया, सउदी से लेकर थाईलैंड में उत्पीड़न का मामला संसद से लेकर सड़क तक उठता रहा है। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने सख्ती की है। अब विदेश भेजने वाले एजेंटों का ई-माईग्रेंट पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। लेकिन सवाल उठता है कि जब भेजने और जाने वाले की बीच दुश्वारियों का कथित समझौता होगा तो यह नियम सिर्फ कागजी बनकर नहीं रह जाएगा।
विदेश में नौकरी के नाम पर जालसाजी के सबसे ज्यादा शिकार पूर्वांचल के लोग हो रहे हैं। गोरखपुर मंडल के 16 लोग अभी लीबिया में सीमेंट फैक्ट्री में बंधक हैं, और उनसे जबरियां काम कराया जा रहा है। वे सभी टूरिस्ट वीजा पर गए थे। हकीकत यह है कि हाल के वर्षों में विदेश में काम दिलाने के नाम पर युवकों से जालसाजी की घटनाएं बढ़ गई हैं। नौकरी की जगह टूरिस्ट वीजा पर उन्हें विदेश भेज दिया जा रहा है, वहां जाने पर जब कम नहीं मिल रहा तब उन्हें जालसाजी की जानकारी हो रही है। उसके बाद या तो वह बंधक बन जा रहे हैं या फिर किसी तरह से अपने घरवालों से और पैसे का इंतजाम कराकर घर लौट रहे हैं। इन सब में उन्हें नौकरी तो मिल नहीं रही है, उल्टे उनकी गाढ़ी कमाई भी लुट जा रही है। विदेश में फंसे सैकड़ों नागरिकों को केन्द्र सरकार से लेकर विदेश में बैठे राजदूतों से पत्राचार कर स्वदेश वापसी में अहम भूमिका निभाने वाले मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि का कहना है कि बिना वैध पंजीकरण के अब प्लेसमेंट एजेंसी संचालित नहीं होगी। संबंधित जिले के पुलिस ऑफिसर को इसे सुनिश्चित करना होगा। भारत सकार के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एसओपी में फर्जीवाड़ी पर रोकथाम, फर्जी एजेंटों का कार्रवाई की धारा सहित विस्तृत जानकारी दी गई है। इससे विदेशों में माइग्रेंट लेबर का शोषण बंद होगा तथा मानव तस्करी की रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ेगी। इतना नहीं संबंधित जिले के पुलिस ऑफिसर को त्रैमासिक रिपोर्ट भी लखनऊ मुख्यालय भेजनी है। टोल फ्री टेलीफोन नंबर नंबर भी जारी किया गया है, जिससे आप पता कर सकते हैं, कौन एजेंसी फर्जी है।
विदेश मंत्रालय और केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने तैयार की एसओपी
इस तरह की घटनाओं पर रोकथाम के लिए विदेश मंत्रालय और केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने एक एसओपी तैयार किया है। इसके अनुरुप पुलिस-प्रशासन सहित अन्य एजेंसियों को पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ ही फर्जीवाड़े पर शिकंजा कसने को गया है। विदेश भेजने वाले एजेंट का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके लिए ई माइग्रेंट पोर्टल भी बनाया गया है। अगर एजेंट का जिक्र नहीं मिलता है, तो उसे फर्जी मानकर कार्रवाई करने को कहा गया है। पुलिस को निर्देश है कि अपने इलाके के लोगों को न सिर्फ जागरुक करें बल्कि विदेश भेजने वाले एजेंटों की नियमित जांच भी करें, जिससें लोगों के साथ हो रहे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जा सके।
यह है सजा
-धारा 143 (2)- मानव दुर्व्यवहार के अपराध के लिए 7 साल से लेकर 10 साल तक सजा का प्रावधान
-धारा 143 (3)- एक से अधिक व्यक्तियों की तस्करी के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान
-धारा 143 (4)- नाबालिग की तस्करी के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान
-धारा 143 (5)- एक से अधिक नाबालिग की तस्करी के लिए 14 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान