TRENDING TAGS :
Gorakhpur News: अपनों के खोने के दर्द, खौफ के मंजर के बीच महाराष्ट्र के सैलानियों ने कहा- योगी जी ने हर संभव मदद की
Gorakhpur News: यात्रियों की सहूलियत के लिए ट्रेन को प्लेटफार्म 9 की बजाय 2 से रवाना किया गया। उन्हें रास्ते में कोई असुविधा न हो इसके लिए निशुल्क खान-पान की भी व्यवस्था की गई है।
Gorakhpur News: नेपाल में बस हादसे का शिकार हुए महाराष्ट्र से आए सैलानियों को शनिवार को देर रात गोरखपुर से स्पेशल ट्रेन से भुसावल के लिए रवाना कर दिया गया। अपनों को खाने वाले सैलानियों के चेहरे पर दर्द के साथ खौफ का मंजर साफ दिख रहा है। हालांकि सैलानी नेपाल से लेकर गोरखपुर तक केन्द्र और प्रदेश सरकार की व्यवस्था से संतुष्ट दिखे। सैलानियों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रियता से अधिकारी से लेकर पुलिस के लोग मदद में लगे हुए हैं। इसमें हम आभारी हैं। नेपाल बस हादसे में अपनों को खो चुके महाराष्ट्र के 48 यात्री 36 घंटे के खौफ के बाद शनिवार की देर रात एलटीटी एक्सप्रेस से मुम्बई रवाना हो गए। आपदा विभाग की पहल पर रेलवे ने यात्रियों के लिए अतिरिक्त कोच की व्यवस्था की थी।
दी गई पूरी सुविधा
यात्रियों की सहूलियत के लिए ट्रेन को प्लेटफार्म नम्बर 9 की बजाय दो से रवाना किया गया। उन्हें रास्ते में कोई असुविधा न हो इसके लिए निशुल्क खान-पान की भी व्यवस्था की गई है। महाराष्ट्र से नेपाल घूमने गए 48 यात्रियों को शनिवार की देर रात गोरखपुर लाया गया। गोरखपुर क्लब में पहले से मौजूद मेडिकल टीम ने यात्रियों का मेडिकल परीक्षण किया और जरूरत के हिसाब से दवाइयां दीं गई। यहां से भोजन करने के बाद सभी यात्री 10 बजे प्लेटफार्म नम्बर पर दो पर पहुंच गए और आरक्षित की गई थर्ड एसी की अतिरिक्त बोगी में यात्रियों को बैठाया गया। हादसे के पीड़ित सूरज सरोद ने बताया कि दुर्घटना में एक ऐसा परिवार है जिसकी कोई भी सदस्य अब जीवित नहीं है और उन्हें मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं बचा। भुसावल के गणेश वरले, उनकी पत्नी मीनल, उनकी बेटी परी और मां सुलभ वरले की इस हादसे में मौत हो गई है। इसी तरह वारंगांव के नगर अध्यक्ष सुधाकर जावड़े, उनकी पत्नी रोहिणी, भाभी और बेटे सागर जावड़े की भी मौत हो गई है। इनके परिवार में केवल एक भाई है जो उन्हें मुखाग्नि दे सकेगा।
शवों को सेना के जहाज से भेजा गया
सरकार की सराहना की पीड़ितों ने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन वे जल्द से जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि नेपाल से शव जो शव मिलिट्री के जहाज से भेज दिया गया है, उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हो सकें। गणेश ने कहा कि नेपाल से लेकर गोरखपुर तक अधिकारियों से काफी सहयोग मिला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संवेदनशीलता को हम कायल हो गए हैं।
मां-बाप का इकलौता बेटा था खलासी रामजीत
कुशीनगर जिले के अहिरौली थाना क्षेत्र के हासखोर गांव निवासी 25 वर्षीय रामजीत अपने मां-बाप का इकलौत बेटा था। एक बहन है उसकी शादी हो गई है। रामजीत बतौर खलासी मुर्तजा के साथ उसकी गाड़ी पर रहता था। रामजीत की पहचान होने के बाद शनिवार की सुबह उनके घरवालों को मौत की जानकारी हुई। रामजीत की मां और बेटी मुर्तजा के घर तुरवा बाजार आई थीं। दो अलग-अलग एंबुलेंस से शव आने की खबर मिलने के बाद मां-बेटी शाम को घर चले गए। रामजीत के पिता खेती-किसानी करते थे। आधी रात को शव घर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। मां-बहन और पिता का रो-रो कर बुरा हाल था। मौत की खबर सुनकर पहुंचने रिश्तेदार और घरवाले उन्हें सान्त्वना दे रहे थे।
मृतक का बेटा भी ड्राइवर
बस हादसे में मारे गए मुर्तजा का बेटा इब्राहिम भी ड्राइवर है। अपने पिता के बस से पीछे-पीछे टेम्पो ट्रेवलर लेकर चल रहा था। बेटे के आंखों के सामने ही पिता की बस खाई में चली गई। 20 साल से बस चला रहा मुर्तजा काफी अनुभवी चालक था। दर्दनाक हादसे का गवाह इब्राहिम मौत के इस मंजर को बयां कर कांप जा रहा है। इब्राहिम ने बताया कि सुबह जब बस में यात्री सवार हुए तब अब्बू से बात हुई। सभी को एक साथ आगे-पीछे चलना था। अब्बू को ड्राइवरी का काफी अनुभव था पर अचानक उनकी गाड़ी अनियंत्रित होकर खाई में चली गई। मुर्तजा के एक बेटे की 3 वर्ष पहले पादरी बाजार स्थित एक पेड़ में डंपर टकराने से मौत हो गई थी। बड़ा बेटा इब्राहिम और हसनैन पिता के साथ रहते हैं।
27 तीर्थ यात्रियों की हुई मौत
नेपाल में शुक्रवार को हुए बस हादसे में 27 तीर्थ यात्रियों के साथ ही बस के चालक मुर्तजा और खलासी रामजीत की मौत हो गई थी। शनिवार को शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद सोनौली बॉर्डर पर चालक और खलासी का शव नेपाल के अधिकारियों ने भारतीय अधिकारियों को सौंपा। वहां से रात में 8.15 बजे मुर्तजा तो 8.30 बजे रामजीत का कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद दो अलग-अलग एंबुलेंस में रखकर रवाना किया गया। मुर्तजा के शव को आजाद और रामजीत के शव को भीमल ने रिसीव किया। मुतर्जा के दोनों बेटे और रिश्तेदार भी साथ रहे। उधर, कुशीनगर जिले के अहिरौली क्षेत्र के हासखोर गांव निवासी रामजीत के परिवारीजन आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर शव लेने नेपाल नहीं जा पाए थे। परिवार के लोग मुर्जता के घर तुरवा बाजार पहुंच गए थे। शव पहुंचने के बाद दूसरे एंबुलेंस से रामजीत का शव लेकर पिपराइच के रास्ते कुशीनगर के अहिरौली थाना क्षेत्र के हासखोर गांव के लिए निकल गए। शव को पहुंचने में दिक्कत न हो इसकी जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी गई थी। वहीं रास्ते में सभी थानों को अलर्ट किया गया था जिससे एंबुलेंस को कहीं जाम में न फंसना पड़े।